उत्तराखंड: विपक्ष ने बजट को बताया निराशाजनक, कहा- पांच साल में इतना कर्ज, जो 17 साल में नहीं हुआ

Uttarakhand: Opposition called the budget disappointing, said - so much debt in five years, which was not done in 17 years
Uttarakhand: Opposition called the budget disappointing, said - so much debt in five years, which was not done in 17 years
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देहरादून।बजट सत्र के दूसरे दिन प्रश्नकाल में कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल और चंदन रामदास विपक्ष के सवालों से घिरते नजर आए। दोनों ही मंत्रियों ने विपक्ष के अनुपूरक सवालों के जवाब दिए, लेकिन विपक्ष इससे संतुष्ट नजर नहीं आया। विपक्षी सदस्यों का आरोप था कि मंत्री सवालों के जवाब देने के बजाय तर्क-वितर्क करके सदन का समय खराब कर रहे हैं। सीधे जवाब देने के बजाय बातों को घुमाया जा रहा है। सदन गुरुवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।

बुधवार को बजट सत्र में दूसरे दिन प्रात: 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने नियम 310 के तहत चारधाम यात्रा के मुद्दे पर चर्चा की मांग की। इसे पीठ ने भोजनावकाश के बाद नियम 58 में सुने जाने का आश्वासन दिया। इसके बाद प्रश्नकाल के दौरान विधायक प्रीतम सिंह के एक अल्प सूचित प्रश्न का वित्त एवं पुनर्गठन मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने जवाब दिया, लेकिन विपक्ष उनके जवाब से संतुष्ट नजर नहीं आया।

विधायक प्रीतम ने जानना चाहा था कि राज्य निर्माण के समय कितनी परिसंपत्तियों का बंटवारा हुआ था, उसके बाद हर पंचवर्षीय योजना में कितनी संपत्तियों का बंटवारा हुआ। जवाब में अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश से परिसंपत्तियों के बंटवारे का वर्ष 2017 के बाद का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि दोनों राज्यों के मध्य परिसंपत्तियों के बंटवारे के अधिकांश मामले निपटा लिए गए हैं। शेष मामलों में दोनों राज्यों के मध्य बनी सहमति के अनुसार बंटवारे की कार्यवाही अंतिम चरण में है।
इस पर प्रीतम सिंह ने आपत्ति जताई। उन्होंने इस संबंध में पीठ से भी आग्रह किया कि उन्हें उनके सवालों का सही जवाब मंत्री की ओर दिलवाया जाए। इस बीच कई बार नोक-झोंक की स्थिति तक बन गई। आखिर में मंत्री ने पुन: जवाब देकर अपनी बात समाप्त करनी चाही, लेकिन विपक्ष इससे संतुष्ट नजर नहीं आया।

विपक्ष के सवालों से घिरने की दूसरी बारी समाज कल्याण एवं परिवहन मंत्री चंदन रामदास की थी। मंत्री एक सवाल के अपने ही दिए जवाब में उलझते नजर आए। विधायक अनुपमा रावत ने पति-पत्नी दोनों को वृद्धावस्था पेंशन की पात्रता संबंधी सवाल में पूछा था कि क्या मानकों के कारण बड़ी संख्या में महिलाएं वृद्धावस्था पेंशन पाने से वंचित हो रही हैं?

इसके लिखित जवाब में मंत्री ने हां में उत्तर दिया था। तब कि उन्होंने सदन में कहा कि पति-पत्नी दोनों को पेंशन दी जा रही है। इस पर विपक्षी सदस्यों ने उन्हें जमकर घेरा। हालांकि आखिर में उन्होंने माना कि नए शासनादेश के बाद आय की शर्त जुड़ जाने के कारण बहुत से लोग इस पात्रता से बाहर हो गए हैं।

इसके बाद मंत्री चंदन रामदास परिवहन निगम के राजस्व हानि के विधायक प्रीतम के सवाल पर भी घिरते नजर आए। मंत्री इस सवाल का संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाए कि सीएनजी में बदली गई बसों से कितनी आय हो रही है और घाटा कितना है।
प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों को दिया जाएगा बढ़ावा
प्रदेश में पर्यावरण की दृष्टि से इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से विस्तृत नीति तैयार की जा रही है। बजट सत्र के दौरान एक सवाल के जवाब में परिवहन मंत्री चंदन रामदास ने यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2018 में औद्योगिक विकास विभाग की ओर से इलेक्ट्रिक वाहनों के संबंध में एक अधिसूचना जारी की गई है। इसके तहत इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण और अन्य संरचनाओं के विकास के लिए प्रस्ताव भी तैयार है, जिसे शीघ्र ही कैबिनेट में रखा जाएगा। विधायक डॉ. मोहन सिंह बिष्ट ने इस संबंध में जानना चाहा था कि ईंधन की कीमतों में वृद्धि और पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सरकार की क्या योजना है। इसके जवाब में मंत्री चंदन रामदास ने बताया कि इसके लिए विस्तृत नीति तैयार की जा रही है।

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में मंत्री रामदास ने बताया कि हल्द्वानी में पिछली सरकार में स्वीकृत अंतर राज्यीय बस अड्डे का निर्माण पूरा किया जाएगा। इसके लिए वर्ष 2018 में पूर्व प्रक्रियाओं को निरस्त कर उत्तराखंड मुक्त विवि हल्द्वानी के निकट वन विभाग की 10 हेक्टेयर भूमि पर आईएसबीटी की स्थापना किए जाने का निर्णय लिया गया है। वन भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया जारी है। हालांकि वर्तमान में यह प्रकरण उच्च न्यायालय में विचाराधीन है।
विपक्ष का आरोप, पांच साल में इतना कर्ज, जो 17 साल में नहीं हुआ
विधानसभा सत्र के दौरान बजट पर चर्चा में विपक्ष ने प्रदेश में लगातार बढ़ रहे कर्ज और देनदारियों का मुद्दा उठाया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि बीते पांच साल में ही सरकार ने इतना कर्ज कर दिया है, जितना उससे पहले के 17 साल में नहीं लिया गया। विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि ऐसे तो प्रदेश के हालात श्रीलंका जैसे हो जाएंगे।

भोजनावकाश के बाद बजट पर चर्चा शुरू हुई। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने तेजी से बढ़ रहे कर्ज का मुद्दा उठाते हुए इसे गंभीर विषय बताया। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने इस बजट में बड़ी चतुराई से सरकार की कमियों को आंकड़ों के माध्यम से छिपाने की कोशिश की। कहा कि उत्तराखंड भी श्रीलंका की दिशा में आगे बढ़ रहा है। राज्य गठन से 2016-17 तक राज्य पर कुल देयता 35 हजार करोड़ थी। 17 साल में कुल 35 हजार करोड़ का कर्ज हुआ था। 2017 से 2022 तक में सरकार ने 57,152 करोड़ की उधारी ली है। इस बार 12,850 की अनुमानित धनराशि को छोड़ दें तो पांच साल में 70 हजार करोड़ की देनदारी है। यह स्थिति बहुत चिंताजनक है।
नेता प्रतिपक्ष आर्य ने कहा कि वर्तमान में उत्तराखंड राज्य पर कुल एक लाख पांच हजार करोड़ की देनदारी और उधारी है। 2011 की जनसंख्या के हिसाब से देखें तो प्रति व्यक्ति 95 हजार का कर्ज है। सरकार को बजट में यह स्वीकार करना चाहिए था। उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार ने कितना कर्ज लिया, किन शर्तों पर लिया। बजट में इसका जिक्र नहीं है। कब तक हम उधार लेंगे। देनदारी भी है। ब्याज की अदायगी भी है। पुराने कर्ज पर ब्याज अदायगी के 6017 करोड़ और पांच हजार करोड़ को जो

विपक्ष का आरोप, पांच साल में इतना कर्ज, जो 17 साल में नहीं हुआ
विधानसभा सत्र के दौरान बजट पर चर्चा में विपक्ष ने प्रदेश में लगातार बढ़ रहे कर्ज और देनदारियों का मुद्दा उठाया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि बीते पांच साल में ही सरकार ने इतना कर्ज कर दिया है, जितना उससे पहले के 17 साल में नहीं लिया गया। विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि ऐसे तो प्रदेश के हालात श्रीलंका जैसे हो जाएंगे।

भोजनावकाश के बाद बजट पर चर्चा शुरू हुई। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने तेजी से बढ़ रहे कर्ज का मुद्दा उठाते हुए इसे गंभीर विषय बताया। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने इस बजट में बड़ी चतुराई से सरकार की कमियों को आंकड़ों के माध्यम से छिपाने की कोशिश की। कहा कि उत्तराखंड भी श्रीलंका की दिशा में आगे बढ़ रहा है। राज्य गठन से 2016-17 तक राज्य पर कुल देयता 35 हजार करोड़ थी। 17 साल में कुल 35 हजार करोड़ का कर्ज हुआ था। 2017 से 2022 तक में सरकार ने 57,152 करोड़ की उधारी ली है। इस बार 12,850 की अनुमानित धनराशि को छोड़ दें तो पांच साल में 70 हजार करोड़ की देनदारी है। यह स्थिति बहुत चिंताजनक है।
नेता प्रतिपक्ष आर्य ने कहा कि वर्तमान में उत्तराखंड राज्य पर कुल एक लाख पांच हजार करोड़ की देनदारी और उधारी है। 2011 की जनसंख्या के हिसाब से देखें तो प्रति व्यक्ति 95 हजार का कर्ज है। सरकार को बजट में यह स्वीकार करना चाहिए था। उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार ने कितना कर्ज लिया, किन शर्तों पर लिया। बजट में इसका जिक्र नहीं है। कब तक हम उधार लेंगे। देनदारी भी है। ब्याज की अदायगी भी है। पुराने कर्ज पर ब्याज अदायगी के 6017 करोड़ और पांच हजार करोड़ को जोड़ दें तो यह 11 हजार 575 करोड़ का पुराना कर्ज, ब्याज देना पड़ेगा। जब इतना पैसा ब्याज व देनदारियों में चला जाएगा तो विकास कार्य कैसे होंगे।

उन्होंने प्रदेश में अघोषित बिजली कटौती, जल जीवन मिशन के तहत केवल नल लगाने, कृषि, सिंचाई में कोई प्रावधान न करने का भी आरोप लगाया। कहा कि यह बजट बहुत निराशाजनक है। आंकड़ों का मायाजाल है। इसमें पेट्रोल, डीजल की महंगाई से राहत देने की बात नहीं है। निवेश बढ़ाने, प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने की कोई पहल नहीं की गई। कहा कि राज्य आंदोलनकारियों का चिन्हीकरण नहीं हो पा रहा है। जिन्हें नौकरी दी थी, वह भी खतरे में है। कांग्रेस विधायक विक्रम सिंह नेगी, सुमित ह्दयेश ने भी बजट को निराशाजनक करार दिया।

जवाब में सत्ता पक्ष की ओर से विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि पुष्कर धामी की सरकार ने बजट से पूर्व सभी हितधारकों से संवाद किया। पहले 57 हजार करोड़ का बजट अब बढ़कर 65 हजार करोड़ पर पहुंच गया। उत्तराखंड में पिछले पांच साल में 40 हजार से ज्यादा महिलाओं के सेल्फ ग्रुप बनाकर उन्हें सरकार की योजनाओं का लाभ दिया गया। एक लाख से तीन लाख तक का ऋण दिया गया। पांच लाख का भी ऋण दिया गया। बांग्लादेश के नोबेल विजेता प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस के माइक्रो फाइनेंस को समझना होगा।