धामी सरकार रोडवेज के बस अड्डों में बनाने जा रही शॉपिंग कांप्लेक्स, दफ्तर-दुकान, जानें क्या है प्लान

इस खबर को शेयर करें

उत्तराखंड के शहरी क्षेत्रों में स्थित बस अड्डों को रोडवेज कॉमर्शियल सेंटर के रूप में विकसित करेगा। इसके बाद बस अड्डे न सिर्फ यात्री सुविधाओं से लैस होंगे बल्कि शापिंग कांप्लेक्स, दफ्तर-दुकानें आदि भी होंगे। राज्य सरकार गढ़वाल व कुमाऊं के कुछ प्रमुख शहरों के बस अड्डों को आईएसबीटी की तर्ज पर विकसित करने योजना की बना रही है। हालांकि यह अंतर होगा कि आईएसबीटी रोडवेज के अधिकार में नहीं है, जबकि नए बस अड्डों का स्वामित्व और संचालन पूरी तरह से रोडवेज प्रबंधन के पास होगा। परिवहन मंत्री चंदनराम दास ने परिवहन सचिव अरविंद सिंह ह्यांकी और रोडवेज के एमडी रोहित मीणा से प्रदेश के सभी बस अड्डों की रिपोर्ट मांगी है।

मंत्री ने यात्री संख्या और शहरों से कनेक्टिविटी के हिसाब से महत्वपूर्ण व पर्याप्त जमीन की उपलब्धता वाले बस अड्डों को चुनने के निर्देश दिए हैं। मंत्री ने कहा कि हर शहर में रोडवेज बस अड्डा है। उनके पास पर्याप्त भूमि भी है, पर उनका ठीक से उपयोग नहीं हो रहा है। रोडवेज अपने संसाधनों का इस्तेमाल अतिरिक्त आमदनी बढ़ाने में कर सकता है।

इसके लिए बस अड्डों को विकसित कर वहां शॉपिंग कांप्लेक्स, दफ्तर और दुकानें आदि बनाकर किराये पर दिए जा सकते हैं। सूत्रों के अनुसार, सरकार प्रथम चरण आठ बस अड्डों पर फोकस कर रही है। इनमें चार गढ़वाल और चार कुमाऊं मंडल में है। ये अड्डे शहर के बीच हैं व कॉमर्शियल रूप से इनकी काफी ज्यादा अहमियत है। यदि रोडवेज इन अड्डों के साथ कामर्शियल इमारत भी तैयार करता है तो सरकार को अच्छी खासी आमदनी हो सकती है।
ई-वाहनों को पॉलिसी जल्द : राज्य में बिजली और सीएनजी से चलने वाले वाहनों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार राज्यस्तरीय पालिसी बना रही है। उनके लिए फिलिंग-चार्जिंग स्टेशन आदि भी बनाए जाने हैं। इसके लिए परिवहन विभाग,शहरी विकास, पावर कार्पोरेशन समेत कुछ विभागों के साथ मिलकर संयुक्त पॉलिसी तैयार कर रहा है। भविष्य में बनने वाले चार्जिंग-फिलिंग स्टेशन के भूमि, बिजली के कनेक्शन में रियायत दी जाएगी।
यात्रियों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए रोडवेज की आमदनी के स्रोत बढ़ाने की जरूरत है। आय के लिए किराया बढ़ाना ही एकमात्र उपाय नहीं। सरकार अन्य स्रोतों से रोडवेज की अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाएगी और यात्रियों को सामान्य दर पर ही स्तरीय सुविधाएं देने की कोशिश करेगी। बस अड़्डों का सुधारीकरण सरकार स्वयं या पीपीपी मोड पर भी करा सकती है।