उत्तराखंड में अब नगर पंचायतों को स्मार्ट बनाने की तैयारी, सरकार ने कसी कमर

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देहरादून: इसे चुनावी वर्ष का असर कहें या फिर निकायों की सूरत संवारने की चिंता, बात चाहे जो भी हो, लेकिन अब उत्तराखंड में नगर पंचायतों को स्मार्ट बनाने की तैयारी है। इसके तहत वित्तीय संसाधनों से जूझ रही नगर पंचायतों को अपने पैरों पर खड़ा करने के मद्देनजर उन्हें ट्रेड लाइसेंस नवीनीकरण, संपत्ति कर समेत विविध कर संग्रहण की जिम्मेदारी सरकार देने जा रही है। साथ ही इन निकायों के क्षेत्रांतर्गत मूलभूत सुविधाओं के विस्तार के लिए भी ठोस एवं प्रभावी कदम उठाए जाएंगे।

उत्तराखंड में नगरीय स्वरूप ले चुके ग्रामीण क्षेत्रों को सरकार नगर पंचायत में तब्दील करती आई है, ताकि वहां शहरी दृष्टिकोण से मूलभूत सुविधाएं तेजी से विकसित हो सकें। पूर्व में राज्य में 41 नगर पंचायतें थी, जिनकी संख्या बढ़कर अब 47 हो गई है। बावजूद इसके नगर पंचायतों की स्थिति में कोई खास बदलाव नजर नहीं आ रहा है। उनके सामने वित्तीय संकट तो है ही, वे अपने क्षेत्र के नागरिकों के लिए आवश्यक मूलभूत सुविधाओं के विस्तार को भी कदम नहीं उठा पा रही हैं।

इस सबको देखते हुए सरकार ने नगर पंचायतों की दशा सुधारने की ठानी है। शहरी विकास मंत्री बंशीधर भगत के अनुसार नगर पंचायतों को स्मार्ट बनाने के मद्देनजर कई योजनाएं बनाई गई हैं, ताकि इनमें सड़क, पानी, बिजली के साथ ही पानी की निकासी, कूड़ा प्रबंधन जैसे विषयों पर गंभीरता से कदम उठाए जा सकें। उन्होंने बताया कि नगर पंचायतों को विभिन्न कर संग्रहण की जिम्मेदारी दी जा रही है।

कैबिनेट मंत्री भगत ने बताया कि मुख्यमंत्री शहरी अवस्थापना विकास योजना, स्थानीय निकाय निधि, राज्य व केंद्रीय वित्त आयोग से प्राप्त राशि से अवस्थापना सुविधाओं के विकास के साथ ही कचरा प्रबंधन व नाली निर्माण जैसे कार्य कराए जाएंगे। इसके अलावा सरकार भी विभिन्न मदों से नगर पंचायतों में कार्य कराएगी। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए धनराशि जारी की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में नगर पंचायतें एकदम नए कलेवर में नजर आएंगी।