अलवर. राजस्थान के अलवर शहर में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार पहले शस्त्र संग्रहालय को शुरू करने की कवायद की जा रही है. शहर में अरावली की पहाड़ियों पर स्थित प्राचीन बाला किले में यह संग्रहालय जल्द ही शुरू किया जाएगा. इस संग्रहालय में पर्यटक राजा-महाराजाओं के हथियारों का अवलोकन कर सकेंगे. पुरात्तव एवं संग्रहालय विभाग की ओर से शस्त्र संग्रहालय बनाने की तैयारियां शुरू कर दी गई है.
बाला किले में रखे हैं रियासतकालीन हथियार
अलवर शहर के बाला किला में रियासकालीन अस्त्र-शस्त्रों का भंडार है. इनकी सुरक्षा पुलिस विभाग कर रहा है. कलेक्टर जीतेंद्र कुमार सोनी ने पिछले दिनों कला साहित्य एवं संस्कृति विभाग को पत्र भेजकर यहां हथियारों का म्यूजियम स्थापित कराने का आग्रह किया था. अब जल्द ही पुरातत्व विभाग जयपुर मुख्यालय के अधिकारियों की ओर से बाला किला में रखे अस्त्र-शस्त्र, उनको संरक्षित रखने के स्थान आदि के निरीक्षण की प्रक्रिया पूरी की जानी है. इसके बाद बाला किला पर शस्त्र संग्रहालय का स्वरूप तय होगा.
बाला किले में अभी रखी हुई हैं 52 तोप
अलवर के बाला किला में अनेक पुराने हथियार रखे हैं. इनमें रियासतकालीन 52 तोप भी हैं. ये तोप लोहे व अष्टधातु से बनी हुई है. इसके अलावा बाला किले में कैमल गन, तलवार, भाले, पिस्तोल, तमंचा, टोपीदार बंदूक भी हैं. अलवर संग्रहालय में अभी जगह कम है, इस कारणअस्त्र शस्त्रों को एक साथ प्रदर्शित करना संभव नहीं है. इसलिए बाला किले पर अलग से शस्त्र संग्रहालय स्थापित किया जा रहा है
डीपीआर के बाद शुरू होगा काम
पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग अलवर की संग्रहालय अध्यक्ष प्रतिभा यादव का कहना है कि बाला किला में शस्त्र संग्रहालय की पहल जिला कलक्टर के निर्देश पर की जा रही है. संभावना है कि जल्द ही इसकी डीपीआर बनने के काम शुरू होगा.