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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने ना सिर्फ सख्त लहजे में नाराजगी जाहिर की बल्कि दिल्ली सरकार के विज्ञापन बजट को लेकर आदेश भी दे दिया। रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) निर्माण के लिए हिस्सेदारी नहीं देने की वजह से कोर्ट ने यह आदेश दिया। हालांकि, कोर्ट ने अपने आदेश को एक सप्ताह के लिए स्थगित करते हुए कहा है कि यदि दिल्ली सरकार ने पैसा नहीं दिया तो इसके विज्ञापन का फंड आरआरटीएस के लिए ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
दरअसल केजरीवाल सरकार ने दिल्ली से अलवर और पानीपत के लिए बन रहे आरआरटीएस प्रॉजेक्ट (रैपिड रेल) के लिए अंशदान नहीं दिया है, जिसको लेकर सर्वोच्च अदालत ने नाराजगी जाहिर की। आरआरटीएस प्रॉजेक्ट के जरिए दिल्ली और आसपास के शहरों के बीच कनेक्टिविटी बेहतर की जार ही है। दिल्ली से मेरठ के बीच पहले चरण में ट्रेन साहिबाबाद से दुहाई डिपो के बीच दौड़ने लगी है। दिल्ली से राजस्थान के अलवर और हरियाणा के पानीपत तक ट्रेन चलाने की योजना है।
जस्टिस संजय किशन कौल और सुधांशु धूलिया की बेंच ने कहा कि 24 जुलाई को दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने भरोसा दिया था कि प्रॉजेक्ट के लिए पैसा दिया जाएगा। बेंच ने कहा, ‘हम यह निर्देश देने के लिए बाध्य हैं कि विज्ञापन के लिए आवंटित किए गए फंड को प्रॉजेक्ट के लिए ट्रांसफर कर दिया जाए।’ हालांकि, दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील के अनुरोध पर सुप्रीम कोर्ट ने एक सप्ताह की मोहलत दी और अपने आदेश को एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया।
जुलाई में भी इस केस की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की थी जब दिल्ली सरकार ने अलवर और पानीपत आरआरटीएस के लिए पैसे देने में खुद को असमर्थ बताया था। कोर्ट ने दिल्ली सरकार की ओर से विज्ञापन पर खर्च राशि का जिक्र करते हुए कहा था तीन वित्त वर्ष में 1100 करोड़ रुपए प्रचार के लिए खर्च किया गया तो इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए पैसा क्यों नहीं दे सकते। सर्वोच्च अदालत ने 2 महीने के भीतर 415 करोड़ रुपए देने को कहा था। दिल्ली सरकार की ओर से फंड जारी नहीं किए जाने की वजह से सर्वोच्च अदालत में आवेदन दायर किया गया था जिस पर बेंच ने सुनवाई करते हुए अब एक सप्ताह की मोहलत दी है।
नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (एनसीआरटीसी) के पास आरआरटीएस का जिम्मा है। यह केंद्र और संबंधित राज्यों का जॉइंट वेंचर है। दिल्ली और मेरठ के बीच बन रहे प्रॉजेक्ट के लिए केजरीवाल सरकार ने अपनी हिस्सेदारी दी थी। लेकिन बाकी दो रूट के लिए फंड देने में असमर्थता जताई थी। पहले कोर्ट ने दिल्ली सरकार को दिल्ली-मेरठ रूट के लिए पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क (ईसीसी) से 500 करोड़ देने को कहा था। 82.15 किलोमीटर के इस रूट की अनुमानित लागत 31,632 करोड़ रुपए है। रैपिड रेल के जरिए दिल्ली-मेरठ के बीच सफर महज 60 मिनट का हो जाएगा।