अगर यूक्रेन पर परमाणु बम गिरा तो क्या होगा?

What would happen if a nuclear bomb was dropped on Ukraine?
What would happen if a nuclear bomb was dropped on Ukraine?
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रूस यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के बात करते समय अक्सर परमाणु हमले (Nuclear War) के खतरे का जिक्र होता है. यह कोई नई बात नहीं है जब परमाणु हमले के खतरे का नाम लिया जा रहा है. शीत युद्ध में तो इसकी अच्छी खासी दहशत हुआ कर करती थी. उसी तरह का माहौल अभी फिर पैदा होता दिख रहा है. पश्चिमी मीडिया में बार-बार यह कहा जा रहा है कि जिस तरह से रूस यूक्रेन पर कब्जा करने में नाकाम हो रहा है, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन खिसिया कर यूक्रेन पर परमाणु हमला कर सकते हैं. एक विश्लेषण में यह जानने का प्रयास किया गया है कि यदि यूक्रेन युद्ध में परमाणु बम का उपयोग हो तो क्या होगा (Consequences of using Nuclear Bomb)?

दो ही बार गिराए गए हैं परमाणु बम
परमाणु बम के प्रभावों की बात की करें तो अभी तक 1945 को जापान में हिरोशिमा और नागासाकी पर गिरे परमाणु बम के बाद कहीं भी परमाणु बम का इस्तेमाल नहीं किया गया है. हां चेर्नोबिल और फुकुशिमा परमाणु संयंत्र की दुर्घटनाएं जरूर हुई हैं जो रेडियोधर्मी खतरों को रेखांकित करती है, लेकिन पिछले 77 सालों में दुनिया में उस समय के परमाणु बमों से कहीं ज्यादा शक्तिशाली परमाणु बम बनने लगे हैं.

इन्हीं के जरिए होता है आकलन
लेकिन फिर भी हिरोशिमा और नागासाकी पर गिरे परमाणु बम के प्रभाव आज भी एक बड़ी केस स्टडी के तौर पर देखे जाते हैं जिसमें परमाणु बम के तात्कालिक और दीर्घकालिक दोनों तरह का प्रभावों का अध्ययन किया जाता है. उसके आधार पर विशेषज्ञ आज भी परमाणु बम के प्रभावों का अनुमान लगाते हैं.

कैसे होगा इस्तेमाल यह जरूरी
अमेरिका के यूनयन ऑफ कंसर्न साइंटिस्ट में ग्लोब सिक्यूरिटी प्रोग्राम के वरिष्ठ वैज्ञानिक जिलान स्पॉल्डिंग का कहना है कि परमाणु बम का इस्तेमाल अगर यूक्रेन युद्ध में हुआ तो उसका असर इस पर निर्भर करेगा कि किस प्रकार के परमाणु बम का इस्तेमाल होगा और कैसे होगा. यहां कैसे को भी समझना जरूरी है. अगर बम ऊंचाई से गिराया जाता है तो उसका असर अलग है और अगर जमीन पर ही फेंक कर फोड़ा जाता है तो उसका असर अलग होता है.

अलग-अलग प्रभाव
हैरानी की बात की है सबसे ज्यादा चिंता की बात दूसरे मामले में होती है जब जमीन पर बम गिर फूटेगा जिससे पृथ्वी की रेडियोधर्मिता सक्रिय हो सकती है. वहां हवा में फूटने वाले परमाणु बम के नतीजे अलग तरह की समस्याएं पैदा करते हैं. और तो और अलग अलग हथियार अलग-अलग कारणों से इस्तेमाल भी किए जाते हैं.

ज्यादा खतरा किसमें
जहां हवा में परमाणु बम फोड़ने से एक बार मे बहुत सारे लोग मार जाते हैं लेकिन आसपास के वातावरण और जनसंख्या पर विकिरण का कम असर होता है और दूरगामी प्रभाव भी कम होते हैं. वहीं पृथ्वी की सतह के पास या फिर सतह पर ही परमाणु बम फोड़ने से बहुत सारे लोग तो एक बार में मरते ही हैं, सालों तक पर्यावरण और खाद्य आपूर्ति भी प्रभावित होती है.

दो उदाहरणों में अंतर
इस मामले में नागासाकी और हिरोशिमा पर बम गिरने की घटना और 1986 में चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र दुर्घटना दो अलग उदाहरण हैं. नागासाकी में बम गिरने के महीनों बाद तक 60 से 80 हजार लोग मारे गए र नागासाकी में 70 हजार से 1.35 लाख लोग मारे गए. लेकिन इन बमों में चेर्नोबिल दुर्घटना की तुलना 40 प्रतिशत विकिरण कम हुआ लेकिन इसमें सैकड़ों हजारों लोग तुरंत मारे गए. आज लोग नागासाकी और हिरोशिमा में तो सुरक्षित रह सकते हैं, लेकि चेर्नोबिल में विकिरण का खतरा अब भी कायम है.

हर परमाणु बम के रेडियोधर्मी दुष्प्रभाव कम ज्यादा लेकिन एक ही से होंगे. ब्लड कैंसर, आंतों में समस्या, पैदा होने वाले बच्चों के सिर का आकार कम होना, शारीरिक वृद्धि धीमी होना, मानसिक क्षमताएं कम होना, जैसी कई समस्याएं देखने को मिलती हैं. इन तमाम प्रभावों में तीव्रता और दायरे में आज के परमाणु बम बेशक बहुत ज्यादा इजाफा करेंगे जो 8 दशक पहले के परमाणु बमों से 80 गुना ज्यादा शक्तिशाली हैं. इसलिए यह आकलन करना बहुत मुश्किल काम है.