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देश में इमरजेंसी नहीं लगी थी पर सत्ता के गलियारों में संजय गांधी की तूती बोलने शुरू हो गई थी. उस वक्त देश में ऐसा कोई नहीं था जो संजय गांधी से नजर मिलाकर बात कर सके. यहां तक की संजय गांधी की मां इंदिरा गांधी भी संजय गांधी के फैसलों में दखलांदाजी नहीं करती थी.बावजूद इसके कि उस वक्त इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थी. दरअसल उस वक्त संजय गांधी और इंदिरा गांधी के बीच एक मौन समझौता था.
विदेश के मामले प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी देखा करती थी जबकि देश की सारी अंदरुनी राजनीतिक फैसलों की जिम्मेदारी संजय गांधी ने अपने हाथों में ले रखी थी. हालांकि संजय गांधी के इस राजनीतिक प्रभाव के बावजूद इस खबर पर विश्वास करना मुश्किल है कि वे प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर हाथ भी उठाते थे. ऐसा एक दावा पत्रकारिता का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार जीतने वाले पत्रकार लुईस एम सिमॉन्स ने किया था. उनका यह दावा न सिर्फ हिन्दुस्तान बल्कि पूरे विश्व के लिए चौंकाने वाला था.
उन्होंने यह खुलासा किया था कि एक प्राइवेट पार्टी के दौरान संजय गांधी ने इंदिरा को थप्पड़ मारे – संजय गांधी ने इंदिरा को एक नहीं बल्कि पूरे 6 थप्पड़ मारे थे वह भी वहां मौजूद मेहमानों के सामने. कुछ दिन पहले अंग्रेजी वेबसाइट स्क्रॉल को एक सक्षात्कार देते हुए लुइस ने दावा किया था कि उन्होंने यह खबर दो अलग-अलग प्रत्यक्षदर्शियों से इस घटना की पुष्टि करने के बाद छापी थी. लुईस के अनुसार वे दोनो सूत्र बेहद विश्वसनीय हैं. हालांकि लुईस को इस बात की जानकारी नहीं थी कि संजय गांधी ने ऐसा क्यों किया था.
संजय गांधी ने इंदिरा को थप्पड़ मारे – ये खबर लुईस ने तुरंत नहीं छापवाया थी बल्कि इसे इमरजेंसी लगने के बाद छपवाया. इमरजेंसी के कारण उस वक्त यह खबर भारत में नहीं छप पाई थी पर विदशों में इस खबर पर खूब चर्चा हुई थी. बाद में कुछ भारतीय लेखकों ने अपनी किताबों में इस खबर की और इसपर उस वक्त के वैश्विक प्रतिक्रिया का जिक्र किया.