बिहार में सरकारी आसरा हुआ खत्म तो चंदा जुटाकर किसानों ने बनाया 4 किमी लंबा तटबंध

When the government's shelter ended in Bihar, farmers built a 4 km long embankment by raising donations
When the government's shelter ended in Bihar, farmers built a 4 km long embankment by raising donations
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पटना. दुष्यंत कुमार का मशहूर शेर है ‘कैसे आकाश में सूराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीअत से उछालो यारो’ इस शेर को चरितार्थ कर दिखाया है राजधानी पटना के फतुहा प्रखंड के किसानों ने. यहां के गौरीपुंदा पंचायत के किसानों ने बाढ़ से अपनी फसल बचाने के लिए आपस में चंदा इकट्ठा कर तकरीबन 4 किलोमीटर लंबे तटबंध का निर्माण करने का फैसला किया है और उसपर काम भी शुरू कर दिया है.

इन किसानों ने अबदालचक पुल से ठेगुआ के बुधुआ खंदा तक तकरीबन 4 किलोमीटर लंबे तटबंध को अपने दम पर बांधने का निर्णय करते हुए काम शुरू कर दिया है. किसानों ने अपनी मेहनत और किराए पर लिए गए जेसीबी की मदद से अबतक 1 किलोमीटर तटबंध बनाने का काम पूरा कर लिया है. उन्होंने तय किया है कि इस 4 किलोमीटर लंबे तटबंध को अगले 10 दिनों में पूरा कर लेंगे. इस तटबंध के बन जाने का फायदा यह होगा कि हर साल बरसाती नदी में आने वाली बाढ़ की तबाही से किसान बच जाएंगे.

गौरतलब है कि धोबा, महात्माइन, लोकाइन, कठौतिया समेत अन्य बरसाती नदियों में हर वर्ष बाढ़ आने से किसानों की हजारों एकड़ में लगी धान की फसल डूब कर नष्ट हो जाती थी. इस तटबंध का निर्माण हो जाने के बाद गौरीपुंदा पंचायत के अब्दालचक, शिवचक, नारायण टोला, तरीपर और मुसहरी गांव बाढ़ की तबाही से पूरी तरह सुरक्षित हो जाएंगे. इलाके के किसानों ने बताया कि मॉनसून के दिनों में बरसाती नदियों में बाढ़ का पानी आ जाने से हर साल हजारों एकड़ खेत में लगी धान की फसल डूब कर नष्ट हो जाती थी. किसानों की शिकायत यह भी है कि बाढ़ आने के बाद आपदा प्रबंधन विभाग फसल क्षतिपूर्ति मुआवजे को लेकर सिर्फ कागजी कार्रवाई करता था. इसका कोई लाभ किसानों को नहीं मिल पाता था.

किसानों ने यह भी बताया कि वे लोग जमीन मालिक से पट्टा पर जमीन लेकर खेती करते हैं. ऐसे में फसल नष्ट हो जाने पर वे जमीन मालिक को पैसा चुकाने में भी असमर्थ हो जाते थे. किसानों ने कहा कि सरकार की ओर से कोई मदद मिलता नहीं देख, उनलोगों ने आपस में ही चंदा कर तटबंध बनाने का फैसला किया है और इसे वे हर हाल में इसे पूरा करेंगे.