स्पैम कॉल से मुक्ति कब? देशभर में ऐसे बिछा मकड़ जाल, सर्वे में चौंकाने वाले खुलासे

When will you get rid of spam calls? Such spider web spread across the country, shocking revelations in the survey
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नई दिल्ली: देश के ज्यादातर लोग स्पैम कॉल की समस्या से जूझ रहे हैं, लेकिन इससे भी बड़ी समस्या ये है कि ऐसी स्पैम कॉल्स का कोई निर्धारित वक्त नहीं होता, ये आपको सुबह 7 बजे भी आ सकती हैं और रात को 9 बजे भी कोई भी आपको कुछ ख़रीदने के लिए कॉल कर सकता है. इसीलिए बड़ी संख्या में लोग अब अनजान नंबर वाली कॉल उठाने से भी डरने लगे हैं. बीते कुछ वर्षों से स्पैम कॉल्स का ये डर हर भारत के मोबाइल फोन की एक हकीकत बन गया है. ये सिर्फ हमारी, आपकी या एक कुछ चुनिंदा यूजर्स की समस्या नहीं है. आज लगभग हर भारतीय मोबाइल यूजर स्पैम कॉल्स की इस समस्या से सहमा हुआ है.

लोकल सर्कल्स के इस सर्वे के अनुसार…
– 96 प्रतिशत मोबाइल ग्राहकों ने शिकायत कि उन्हे दिन में कम से कम एक स्पैम कॉल जरूर आती है.
– जबकि सर्वे में शामिल 30 प्रतिशत लोगों ने दिन में एक से दो बार ऐसी अनचाही कॉल्स आने की बात मानी है.
– वहीं 66 प्रतिशत लोगों ने माना है कि उनके फ़ोन में प्रतिदिन औसतन तीन या तीन से ज़्यादा स्पैम कॉल्स जरूर आती हैं.
– जबकि 45 प्रतिशत मोबाइल यूजर्स तो ऐसे निकले, जिन्होने हर दिन औसतन तीन से पांच स्पैम कॉल्स आने की शिकायत की.
– हैरानी की बात है कि 5 प्रतिशत मोबाइल यूजर्स तो ऐसे भी हैं, जिन्हे दिन भर में 10 से भी ज्यादा स्पैम कॉल्स आती हैं.

कई बार लोग अनचाही कॉल्स से बचने की कोशिश में अपने जरूरी फोन कॉल्स भी मिस कर देते हैं, क्योंकि टेलिमार्केटिंग करने वाली ये कंपनियां आम तौर पर ऐसे फोन नंबर्स का इस्तेमाल करती हैं, जिन्हें देखकर किसी को भी गलतफहमी हो सकती है.

सर्वे के मुताबिक…
– भारत में 93.5 प्रतिशत यानी ज्यादातर स्पैम कॉल्स सेल्स के लिए आती हैं. यानी कुछ ना कुछ बेचने के लिए आती हैं.
– इसमें 60 प्रतिशत लोगों को वित्तीय सेवाओं, जैसे क्रेडिट कार्ड, इंश्योरेंस पॉलिसी या फिर बैंक लोन के लिए कॉल्स आईं.
– जबकि 18 प्रतिशत लोगों को रियल एस्टेट, यानी फ्लैट या प्लॉट खरीदने के लिए अनचाही कॉल्स आईं.
– इसी तरह 10 प्रतिशत लोगों को फ्री लांस नौकरी या रोज़गार से जुड़े कॉल्स आते हैं.
– 2 प्रतिशत लोगों को हेल्थकेयर-पैथोलॉजी सेवाओं से संबंधित और 2 प्रतिशत लोगों को बेहतर मोबाइल सेवा और डेटा प्लान से जुड़े कॉल्स मिलते हैं.

ये वर्ष 2017 के आंकड़े हैं और ये आंकड़े बताते हैं कि इस वर्ष सिर्फ अक्टूबर के महीने में ही 380 करोड़ स्पैम कॉल्स रिकॉर्ड हुई थीं, सोचिए एक महीने में 380 करोड़ स्पैम कॉल्स और आज ये आंकड़ा कहां तक पहुंच चुका होगा, इसकी सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है.

इस दौरान कुल स्पैम कॉल्स की 1.4 प्रतिशत कॉल्स ऐसी थीं, जिसका इस्तेमाल धोखाधड़ी यानी स्कैम के लिए किया गया, यानी इस दौरान 3 करोड़ से ज्यादा कॉल लोगों की गाढ़ी कमाई लूटने के लिए की गई थी. इसी डर से आज फोन पर अनजान नंबर्स को उठाने से भी डरने लगे हैं.

दरअसल, DND के तहत सरकार ने कई नंबर बैन कर रखे हैं. उनसे कॉल्स नहीं आते, यानी ऐसा भी नहीं है कि DND काम नहीं करता, लेकिन कंपनियां ‘तू डाल डाल तो मैं पात पात’ वाली चाल अपना रही हैं और उन्होंने ग्राहकों को आधिकारिक नंबर से कॉल करना ही बंद कर दिया है. इसकी जगह उनके एजेंट अपने प्राइवेट नंबरों से फ़ोन करते हैं. ऐसे नंबर्स का न तो सरकार के पास कोई डेटा होता है और न ही ग्राहक के पास.

ऐसे में आम तौर पर ऐसी कॉल्स को रोकना संभव नहीं हो पाता और इन नंबर्स की शिकायत करने से भी कोई खास फायदा नहीं होता. इसीलिए भारतीय मोबाइल यूजर्स को टेलीकॉम ऑपरेटर की DND लिस्ट में रजिस्टर्ड होने के बावजूद लगातार स्पैम कॉल आती हैं.
– एक सर्वे में शामिल 92 प्रतिशत लोगों का कहना है कि वो DND लिस्ट में हैं, लेकिन फिर भी उन्हें ऐसी कॉल आती रहती हैं.
– जबकि सिर्फ़ 4 प्रतिशत लोग ऐसे थे, जिन्होने कहा कि उन्हे DND में रजिस्टर करने के बाद अनचाही कॉल नहीं आईं.
– जबकि 4 प्रतिशत ने कुछ नहीं कह सकते का विकल्प चुना.

वर्ष 2021 के डेटा के अनुसार अमेरिका में भी 50 अरब से ज़्यादा स्पैम कॉल्स दर्ज किए गए, यही नहीं ब्राज़ील, पेरू, चिली और ब्रिटेन जैसे देश भी इस समस्या से बेहाल हैं, लेकिन उनके पास भी इससे बचने का कोई उपाय नहीं है. हालांकि, भारत में स्थितियां और ख़राब हैं और हमारे देश में डेटा प्रोटेक्शन क़ानून का न होना इसकी सबसे बड़ी वजह है, क्योंकि आज अगर इन कंपनियों के पास आपका नंबर और आपकी दूसरी डिटेल्स मौजूद हैं, तो उसकी वजह यही है कि आपका डेटा लगातार शेयर किया जा रहा है और बेचा जा रहा है.

दुनिया भर की कई वेबसाइट्स और ऐप्स पहले तो इस्तेमाल के वक्त आपके फ़ोन नंबर से लेकर आपकी ईमेल आईडी ले लेती हैं, और बाद में आगे बेच देती हैं और फिर इसी ख़रीदे हुए डेटा से कंपनियां और उनके प्रतिनिधि आपको कॉल करके तंग करना शुरू कर देते हैं.

इसके लिए Trai एक डिजिटल कंसेंट ऑथराइज़ेशन यानी DCA नाम के एक प्लेटफॉर्म को लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है, इसकी मदद से ग्राहकों को आने वाली स्पैम कॉल्स और दूसरे मैसेजेस को रोकने में मदद मिल सकेगी, शुरुआती जानकारी के मुताबिक ये प्लेटफॉर्म आने वाले दो से तीन महीनों के अंदर लॉन्च किया जा सकता है.