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नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने अक्टूबर 2021 में एक दिव्यांग महिला से बलात्कार के मामले में दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल के 53 वर्षीय एक पूर्व कर्मचारी को पांच साल कठोर कारावास की सजा सुनाई है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आंचल उस व्यक्ति के खिलाफ सजा पर बहस सुन रही थीं, जिसे पहले भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 सी के तहत दोषी ठहराया गया था।
एक्स-रे के दौरान हुई शर्मनाक घटना
अभियोजन पक्ष ने कहा कि महिला अपना दिव्यांगता प्रमाणपत्र लेने के लिए अस्पताल गई थी । आरोपी ने उसका एक्स-रे लेते समय अपनी उंगली पीड़िता के गुप्तांग में डाल दी, जिससे उसे चोटें आईं। अदालत ने छह सितंबर को अपने फैसले में कहा, ”यह स्थापित कानून है कि सजा देने के संबंध में कोई निश्चित फार्मूला संभव नहीं है, लेकिन सजा देने का उद्देश्य यह देखना होना चाहिए कि अपराध करने वाले को सजा मिले और अपराध के पीड़ित के साथ-साथ समाज को भी यह संतुष्टि मिले कि सजा देने में न्याय हुआ है।’
निजता का उल्लंघन करते हुए अपराध
कोर्ट ने कहा कि ऐसा नहीं है कि दोषी मानसिक तनाव या मानसिक आघात की स्थिति में था या उसने किसी मजबूरी में अपराध किया, बल्कि दोषी ने पीड़ित की निजता का उल्लंघन करते हुए अपराध किया था, जो शारीरिक रूप से विकलांग थी।’ अदालत ने कहा, ”आज की तारीख में, दोषी की उम्र लगभग 53 वर्ष है। वह पहले ही अस्पताल से अपनी नौकरी खो चुका है।
एक साल हिरासत में रहा था आरोपी
कोर्ट ने कहा कि आरोपी ने मुकदमे के दौरान एक वर्ष से अधिक समय हिरासत में बिताया और उसके खिलाफ कभी भी इस अदालत में कोई प्रतिकूल मामला दर्ज नहीं किया गया और जमानत पर रिहा होने के बाद से वह नियमित रूप से पेश हो रहा था। अदालत ने दोषी को पांच वर्ष के कठोर कारावास तथा 5,000 रुपये जुर्माने की सजा सुनायी।