किसे मिलेगी राजस्थान की कमान? सोनिया से मिल लौटे सचिन पायलट ने दे दिया जवाब

Who will get the command of Rajasthan? Sachin Pilot, who returned to meet Sonia, gave the answer
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नई दिल्ली। राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट कांग्रेस की राज्य इकाई में संकट के बीच गुरुवार को पार्टी अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। सोनिया से मुलाकात कर बाहर निकले पायलट ने मीडिया से बातचीत की। उन्होंने कहा कि उनका फोकस आगामी राजस्थान चुनाव पर है। पायलट ने कहा कि सीएम पद पर सोनिया गांधी फैसला लेंगी।

सचिन पायलट ने कहा, ‘मैं आज कांग्रेस अध्यक्ष से मिला। उन्होंने मेरी बात सुनी। जयपुर, राजस्थान में जो कुछ हुआ, उस पर हमने विस्तृत चर्चा की। मैंने उन्हें अपनी भावनाएं, अपनी प्रतिक्रियाएं बताईं। हम सभी कड़ी मेहनत करके राजस्थान में 2023 का चुनाव जीतना चाहते हैं। हमें साथ काम करना होगा। उन्होंने आगे कहा कि राजस्थान के सन्दर्भ में जो भी फैसला करना होगा, वही निर्णय लेंगी। मुझे विश्वास है कि अगले 12-13 महीनों में हम अपनी मेहनत से एक बार फिर कांग्रेस की सरकार बनाएंगे।

इससे पहले दिन में राज्य के सीएम अशोक गहलोत ने भी सोनिया गांधी से मुलाकात की और जयपुर में विधायकों के आचरण को लेकर माफी मांगी। गहलोत ने यह भी कहा कि वह अब अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ेंगे। सोनिया गांधी के आवास ’10 जनपथ’ पर उनसे मुलाकात के बाद गहलोत ने कहा कि उनके मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के बारे में फैसला सोनिया गांधी करेंगी। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ”मैं पिछले 50 वर्षों से कांग्रेस का वफादार सिपाही रहा हूं…जो घटना दो दिन पहले हुई उसने हम सबको हिलाकर रख दिया। मुझे जो दुख है वो मैं ही जान सकता हूं। पूरे देश में यह संदेश चला गया कि मैं मुख्यमंत्री बने रहना चाहता हूं इसलिए यह सब हो रहा है।”

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उधर, कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी अगले एक-दो दिन में राजस्थान के मुख्यमंत्री के बारे में फैसला करेंगी। गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव पर राजस्थान में उत्पन्न राजनीतिक संकट की छाया पड़ी है। गत रविवार की शाम जयपुर में विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी, लेकिन गहलोत समर्थक विधायक इसमें शामिल नहीं हुए थे। पार्टी पर्यवेक्षकों मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन ने इसे मंगलवार को ‘घोर अनुशासनहीनता’ करार दिया था और गहलोत के करीबी तीन नेताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की थी। अनुशंसा के कुछ देर बाद ही पार्टी की अनुशासनात्मक कार्रवाई समिति की ओर से इन्हें ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी कर दिये गये।