पायलट और गहलोत में किसकी होगी सरकार, कांग्रेस नेतृत्व बोलाः कठोर निर्णय का समय आ गया

Whose government will be between Pilot and Gehlot, Congress leadership said: The time has come for a tough decision
Whose government will be between Pilot and Gehlot, Congress leadership said: The time has come for a tough decision
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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और नेता सचिन पायलट के बीच तकरार बढ़ती ही जा रही है. 2018 से जारी विवाद अब चरम पर है. अशोक गहलोत द्वारा पायलट को गद्दार कहे जाने के बाद दोनों नेताओं के गुटों के बीच तनातनी तेज हो गई है.

दोनों नेताओं को कांग्रेस ने दे दी चेतावनी

अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच जारी विवाद पर कांग्रेस ने सख्त रुख अपना लिया है. दोनों नेताओं को पार्टी ने चेतावनी दे दी है. वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि पार्टी के लिए राजस्थान में संगठन सर्वोपरि है और वह इसकी मजबूती के लिए जरूरत पड़ने पर कठोर निर्णय लेने से भी पीछे नहीं हटेगी. राजस्थान के मसले का हम वही हल चुनेंगे, जिससे हमारा संगठन मजबूत होगा. अगर गहलोत और पायलट के गुटों के बीच समझौता कराया जाना है तो समझौता कराया जाएगा. जयराम रमेश ने कहा, कांग्रेस को गहलोत और पायलट, दोनों की जरूरत है. जयराम रमेश के इतर कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच जारी विवाद का सौहार्द्रपूर्ण समाधान होगा.

अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को बताया था गद्दार

गौरतलब है कि गहलोत ने एक टीवी चैनल को हाल ही में दिए साक्षात्कार में पायलट को गद्दार करार देते हुए कहा था कि उन्होंने वर्ष 2020 में कांग्रेस के खिलाफ बगावत की थी और गहलोत नीत सरकार को गिराने की कोशिश की थी, इसलिए उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया जा सकता. गहलोत के बयान पर कांग्रेस नेता जयराम ने कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री को इस साक्षात्कार में कुछ शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए था.

2018 में गहलोत और पायलट के बीच शुरू हुआ विवाद

2018 विधानसभा चुनाव के समय से ही अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच विवाद की शुरुआत हुई. पायलट गुट के नेताओं ने अशोक गहलोत का विरोध किया था और सचिन को मुख्यमंत्री बनाये जाने की मांग की थी. उसके बाद हाल के दिनों में भी दोनों गुट के नेताओं में विवाद गहराया था. जब अशोक गहलोत ने कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने का फैसला किया था. इस फैसले के बाद पायलट गुट के नेताओं ने अपने नेता को राजस्थान का नया मुख्यमंत्री बनाये जाने की मांग की. जिसके बाद कांग्रेस में अंदरुनी कलह की शुरुआत हुई. पायलट गुट के विधायकों ने कैबिनेट की बैठक का विरोध किया और उसके समांतर एक अलग बैठक की. जिसके बाद कांग्रेस ने कुछ नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की.