BJP क्यों चाह रही तेजस्वी बनें CM: दूसरों को चक्रव्यूह में फंसाने वाले नीतीश कहीं फंस तो नहीं गए!

Why BJP wants Tejashwi to become CM: Has Nitish, who trapped others in the Chakravyuh, got trapped somewhere?
Why BJP wants Tejashwi to become CM: Has Nitish, who trapped others in the Chakravyuh, got trapped somewhere?
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पटना: जिस राज्य के 12 करोड़ लोगों के ब्लड में राजनीति हो, वहां की सत्ता पर 18 साल तक काबिज रहना कोई मामूली बात नहीं है। वो भी तब, जब चार बार पाला बदलना पड़े। बीजेपी और आरजेडी मुंह ताकते रहती है, नीतीश कुमार ‘खेला’ कर देते हैं। बांह फैलाए दोनों पार्टियों ने वेलकम किया। अब भी दोनों पार्टियों को कोई रास्ता नहीं सूझ रहा। नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के बारे में कहा जाता है कि चाहे वो कितना भी बड़ा नेता हो, दूसरा बड़ा पावर सेंटर नहीं बनने देते हैं। किनारे लगवा देते हैं। जिसने भी नीतीश कुमार से पंगा लिया, वो आज कहीं का नहीं है। जॉर्ज फर्नांडिस से लेकर आरसीपी सिंह तक लंबी फेहरिस्त है। मगर उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) मामले में इस बार नीतीश कुमार फंसते दिख रहे हैं।

जॉर्ज से आरसीपी तक.. सबको निपटा डाले
बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार और उनकी पार्टी बड़ी चर्चा का विषय बनी हुई है। तत्काल इसकी वजह उपेंद्र कुशवाहा हैं। कहा जा रहा है कि उनकी पार्टी का कौन-सा विधायक, कौन-सा एमएलसी और कौन-सा नेता कब टूट जाएगा, कोई भरोसा नहीं है। नीतीश कुमार के कमांडर बन कर आए उपेंद्र कुशवाहा बता चुके हैं कि सबकुछ स्थिर नहीं रहने देंगे। वो बार-बार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं। हमला होने के बाद नीतीश कुमार पर और हमलावर हो गए हैं। चर्चा है कि उपेंद्र कुशवाहा को नीतीश कुमार किनारे लगा देंगे। या इसके पहले ही वो उपेंद्र कुशवाहा को किनारे लगा चुके थे? जॉर्ज फर्नांडिस, शरद यादव, शकुनी चौधरी, अरुण कुमार, पवन वर्मा, प्रशांत किशोर और आरसीपी सिंह इन सबको नीतीश कुमार ने किनारे लगा दिया।

बीजेपी के ‘खेला’ का नीतीश को अहसास
दरअसल, नीतीश कुमार के समानांतर जो भी व्यक्ति खड़ा होने का प्रयास करता है, वो फिर कहीं का नहीं रहता। कुशवाहा को नीतीश ने एमएलसी बनाया, पार्लियामेंट्री बोर्ड का अध्यक्ष बनाया और अब कहते हैं कि उनको जब जाना है, तब चल जाएं। ये सिर्फ कुशवाहा से बीजेपी नेताओं की एम्स में मुलाकात का मामला नहीं है। नीतीश कुमार को पता है कि बिहार की राजनीति में बीजेपी ‘खेल’ कर रही है। कुशवाहा नेताओं को इकट्ठा करने का प्रयास बीजेपी की ओर से किया जा रहा है। नीतीश कुमार जानते हैं कि जरा भी मौका मिला तो उपेंद्र कुशवाहा अपनी जाति का बड़ा नेता बन जाएंगे। ये बात नीतीश कुमार को बर्दाश्त नहीं। अब तक का जो इतिहास रहा, उसमें देखा गया कि जिसने भी नीतीश कुमार के समानांतर या जिसने भी खुद को बराबरी का समझने की कोशिश की, उसे नीतीश ने कहीं का नहीं छोड़ा। जॉर्ज से लेकर आरसीपी तक उदाहरण भरे पड़े हैं।

बीजेपी-आरजेडी को नहीं सूझ रहा उपाय
नीतीश के तिलिस्म की बात करें तो बड़ा ही आश्चर्य लगता है कि आखिर बिहार जैसे राज्य में 18 साल से एक आदमी मुख्यमंत्री कैसे बना हुआ है? बिहार से बाहर के लोग कहते हैं कि वहां के हवा-पानी में पॉलिटिक्स है। वैसे राज्य को एक आदमी इतना लंबे समय तक रूल कैसे कर सकता है? इसका मतलब है कि या तो नीतीश कुमार वाकई अच्छा शासक-प्रशासक हैं या फिर उनकी चाल का काट किसी के पास नहीं है। इस बार बारी उपेंद्र कुशवाहा की है। जो भी नीतीश कुमार के सामने खड़ा होने का प्रयास किया, नीतीश जी ने नेस्तनाबूद कर दिया। बीजेपी और आरजेडी के गले में नीतीश कुमार ऐसे फंसे हैं कि निकल ही नहीं रहे। कोशिश तो दोनों ओर से बहुत की जा रही है। इस बार उपेंद्र कुशवाहा मोहरा बने हैं।

सम्राट चौधरी पर क्यों नहीं बोलते नीतीश?
पूरा मामला नीतीश कुमार के हिडेन वोट बैंक का है। वो कुर्मी और कुशवाहा का वोट है। यही साइलेंट वोटर नीतीश कुमार के हैं, जो उनके नाम पर वोट डालते हैं। इसी के बदौलत नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने हुए हैं। नीतीश कुमार ये बात जानते हैं कि अगर कोई कुशवाहा नेता आया तो उनको नुकसान करेगा। यही वजह है कि बीजेपी के सम्राट चौधरी पर नीतीश कुमार कोई बयान नहीं देते हैं। वो जानते हैं कि अगर सम्राट चौधरी की ज्यादा चर्चा हो गई तो वो ‘आदमी’ बन जाएंगे। फिर उनमें बीजपी के नेता सीएम का चेहरा देखने लगेंगे। ठीक उसी तरह, नीतीश कुमार को पता है कि अगर उपेंद्र कुशवाहा को साइड लाइन नहीं करेंगे तो ये आगे बढ़ने की काबिलियत रखते हैं। जिस कुर्मी-कुशवाहा के बदौलत वो आजतक मुख्यमंत्री बने हुए हैं तो कोई दूसरा क्यों नहीं बन सकता है?

कुशवाहा पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे नीतीश?
एक बात और, नीतीश कुमार को ये बात पता है कि जॉर्ज और शरद यादव वाला दौर नहीं है। डिजिटल के दौर में लोगों तक अपनी बात सीधे पहुंचाने के लिए नेताओं को किसी मीडिया या खबर छपने का इंतजार नहीं करना है। अगर उपेंद्र कुशवाहा के नाम पर कुशवाहा समुदाय के लोग जुड़ गए तो मुश्किल हो जाएगी। कुशवाहा ने ये बात समझा दी कि नीतीश जी के राज में उनकी इज्जत कुछ भी नहीं है तो ‘खेल’ हो सकता है। ऐसा इसलिए कि जॉर्ज साहब और शरद यादव ने कभी हिस्सेदारी की बात नहीं की। मगर उपेंद्र कुशवाहा ने हिस्सेदारी की बात की है। शायद यही वजह है कि उपेंद्र कुशवाहा के बगावत के बावजूद नीतीश कुमार कुछ नहीं कर रहे हैं।

उपेंद्र कुशवाहा सिर्फ नीतीश को करेंगे डैमेज
उपेंद्र कुशवाहा इतना तेवर दिखा रहे तो पार्टी से क्यों नहीं निकाले जा रहे? दरअसल, इसके पीछे राजनीतिक पंडितों का कहना है नीतीश कुमार एक बार फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहना चाहते है कि वो अपने से आए थे, अपने चले गए। आरसीपी से लेकर प्रशांत तक के बारे में नीतीश कुमार कह चुके हैं कि वो तो कोई और काम कर रहे थे, उनको नेता बना दिए। आए और अपने से चले गए। यहां पर मामला इमेज बिल्डिंग से जुड़ा हुआ है, नीतीश कुमार ये जताना चाहते हैं कि मैं तो लाया, काम करने का मौका दिया, वो इतने खराब थे कि खुद ही चले गए। नीतीश कुमार अपने ऊपर कुछ भी लेना नहीं चाहते हैं। हाथ-पांव मारने का पूरा मौका देना चाहते हैं, थकने तक छेड़ना नहीं चाहते हैं। इसके बाद वो खुद ही किनारे लग जाते हैं। इलेक्टोरल पॉलिटिक्स के हिसाब के देखें तो कुर्मी-कुशवाहा वोट पर नीतीश कुमार और उनकी पार्टी सौ फीसदी दावेदारी जताती है। अगर उपेंद्र कुशवाहा अपनी जाति का कुछ भी वोट काटते हैं तो वो सीधे-सीधे नीतीश कुमार को नुकसान करेंगे।

बीजेपी का गेम प्लान, तेजस्वी को सीएम बनाना
बीजेपी की प्लानिंग है कि कुर्मी-कुशवाहा वोटरों में से कुशवाहा को तोड़ा जाए, जिसमें पहली कड़ी उपेंद्र कुशवाहा हैं। इसके अलावे सम्राट चौधरी को पूरा मौका देना भी प्लान का हिस्सा है। बीजेपी ने अपना दरवाजा नीतीश कुमार के लिए बंद करने का ऐलान कर दिया। इसका मतलब ये निकाला जा रहा है कि आरजेडी नेताओं को इशारा कर दिया गया कि डरने की जरूरत नहीं है। जब आरजेडी नेता नीतीश कुमार पर हमलावर होंगे तो सीक्रेट डील की भी बात आएगी। जिसका जिक्र बार-बार उपेंद्र कुशवाहा कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि सीक्रेट डील यही है कि 2024 से पहले तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाना है। बीजेपी का पहला लक्ष्य खुद की सरकार नहीं बल्कि तेजस्वी यादव को सीएम बनाना है। नीतीश कुमार जब तक सीएम हैं, तब बीजेपी उन पर बहुत हमलावर नहीं होना चाहेगी क्योंकि उन्होंने सबसे ज्यादा वक्त (करीब 16 साल) तक बीजेपी के साथ ही सरकार चलाई है। अब तक लोगों को यही लग रहा है कि नीतीश कुमार ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ लिया तो छाती पीट रहे हैं।

नीतीश से निपटना इतना भी आसान नहीं
बीजेपी का मकसद है कि पहले उपेंद्र कुशवाहा तोड़ा जाए। फिर नीतीश कुमार के जरिए तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनवाया जाए। ऐसा माना जा रहा है कि जिस दिन तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनेंगे, उसी दिन से जंगल राज का राग बीजेपी छेड़ देगी। उसके बाद बीजेपी के पास लालू से लेकर तेजस्वी तक बोलने के लिए होंगे। बीजेपी ने ऐसा चक्रव्यूह रचा है कि जरा-सा भी नीतीश-तेजस्वी उलझे तो पूरा खेल खत्म। जिस चाल से नीतीश अपने समानांतर आनेवाले नेताओं को निपटाते हैं, अब उसी चक्रव्यूह में फंसते दिख रहे हैं। अपनी बहुमत नहीं रहने के बाद 18 साल तक जो आदमी सीएम की कुर्सी पर काबिज है, उससे निपटना इतना भी आसान नहीं रहनेवाला। चाहे वो बीजेपी हो या फिर आरजेडी। मगर ऊपरी तौर पर मामला उलझा-उलझा जरूर दिख रहा है।