
Why RBI Can’t Print Unlimited Note: नोट छापने की मशीन मिल जाए तो आप क्या करेंगे? सवाल का जवाब देने में आप जरा देर नहीं करेंगे और कहेंगे- बेहिसाब नोट छापेंगे और क्या! मगर मामला इतना आसान नहीं है जितना सोचने में आसान लगता है. दरअसल जहां और जिनके पास नोट छापने की मशीन है वो भी अपनी मर्जी ने नोट नहीं छाप सकते हैं. क्योंकि नोट छापने के कुछ नियम होते हैं.
इंडियन करेंसी के नोट भारत सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के निर्देश पर ही छापे जाते हैं. नोट छापने का फैसला RBI अकेले नहीं ले सकता है. इसके लिए उसे सरकार से इजाजत लेनी होती है. नोटों की छपाई के दौरान RBI की मुद्रा नीति एवं सरकार की जरूरतों का ध्यान रखा जाता है. जैसे जो नोट फटे या पुराने हो तो लोग उन्हें अपने बैंक में जाकर बदल देते हैं. इस सेनेरियो में आरबीआई उन फटे-पुराने नोट के बदले नए नोट छापता है.
क्यों नहीं छापता RBI अनगिनत नोट? कारण 1- महंगाई बढ़ जाएगी
अर्थशास्त्री बताते हैं कि कोई भी देश अपनी मर्जी से नोट नहीं छाप सकता है. नोट छापने के लिए नियम कायदे बने हैं. अगर देश में ढेर सारे नोट छपने लगें तो अचानक हर किसी के पास काफी ज्यादा पैसा आ जाएगा. ऐसे में लोगों की जरूरतें बढ़ जाएंगी, पर सप्लाई सामान्य ही रहेगी. ऐसा होने से बाजार में महंगाई सातवें आसमान पर पहुंच जाएगी.
कारण 2- करेंसी वैल्यू गिर जाएगी.
दुनिया के जिन देशों की सरकारों ने ऐसा किया उनके नागरिक आजतक रो रहे हैं. ऐसे कई केस सामने आ चुके हैं. जिम्बाब्वे ने एक समय बहुत सारे नोट छापकर ऐसी गलती की थी. इससे वहां की करेंसी की वैल्यू इतनी गिर गई कि लोगों को ब्रेड और अंडे जैसी बुनियादी चीजें खरीदने के लिए भी थैले भर-भरकर नोट दुकान पर ले जाने पड़ते थे. नोट ज्यादा छापने की वजह से वहां एक अमेरिकी डॉलर की वैल्यू 25 मिलियन जिम्बाब्वे डॉलर के बराबर हो गई थी. इसी तरह का हाल दक्षिणी अमेरिकी देश वेनेजुएला का भी हुआ. वेनेजुएला के केंद्रीय बैंक ने अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए ढेर सारे नोट छाप डाले. इससे वहां, महंगाई हर 24 घंटे में बढ़ने लगी यानी खाने-पीने की चीजों के दाम रोजाना डबल हो जाते थे.
कारण 3- Gross Domestic Product पर बुरा असर पड़ेगा.
ज़्यादा कैश फ्लो होने के कारण हमारे देश की जीडीपी (GDP) पर भी प्रभाव पड़ेगा क्योंकि नोट छापने के लिए RBI को विदेशी मुद्रा और सोना रिज़र्व रखना पड़ता है. ज़्यादा नोट छापने के कारण विदेशी मुद्रा कम होगी जो भारत के विकास की गति को धीमा बताएगी जिससे जीडीपी पर प्रभाव पड़ेगा.
कारण 4- अर्थव्यवस्था में संकट आ सकती है.
RBI न्यूनतम आरक्षित प्रणाली (Minimum Reserve System) के आधार पर नोट छापता है जिसमें RBI को नोट छापने के लिए न्यूनतम 200 करोड़ की राशि रिजर्व करनी पड़ती है. यह राशि सोना व विदेशी मुद्रा के रूप में होती है. ज्यादा नोट छापने में खर्च (Currency Printing cost) भी ज्यादा होता है. अगर ये न्यूनतम राशि नियंत्रित न हो तो अर्थव्यवस्था में संकट आ सकता है.