यूपी चुनाव में CM योगी, अखिलेश को छोड़कर प्रियंका गांधी पर क्‍यों हमलावर हैं मायावती?

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लखनऊ। यूपी विधान सभा चुनाव (UP Election 2022) में भले ही बीजेपी (BJP) और समाजवादी पार्टी (SP) पूरे लाव-लश्कर के साथ के साथ मैदान में हो लेकिन बीएसपी (BSP) सुप्रीमो मायावती और उनकी पार्टी के कोर वोट बैंक की अनदेखी करने की गलती कोई नहीं कर सकता है. मायावती को भले ही प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के मामले में योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) और अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की तुलना में नदारद बताया जा रहा हो, इसके बावजूद उनके बयानों और भूमिका को नकारा नहीं जा सकता.

‘मायावती का निशाना’
मायावती फिलहाल और लगातार प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) पर हमलावर हैं. उनकी पार्टी के खिलाफ वो एकदम आक्रामक रुख अख्तियार करते हुए बयान दे रहीं है. हाल ही में एक बार फिर मायावती ने प्रियंका पर निशाना साधते हुए जनता से कांग्रेस (Congress) की बजाय BSP को वोट देने की अपील की. सियासत के जानकार इसके पीछे कई अनुमान लगा रहे हैं. आइए एक-एक करके जानते हैं.

महिला वोट बैंक
बीएसपी में इस बात को लेकर कोई दूसरी राय नहीं है कि अगर 2022 के चुनावों में पार्टी सत्ता में आती है तो CM पद का चेहरा मायावती होंगी. वहीं देश और प्रदेश की आधी आबादी के सहारे सूबे की सत्ता में वापसी का ख्वाब देख रही कांग्रेस महिला मतदाताओं पर फोकस करते हुए चल रही है.

प्रियंका पश्चिमी यूपी में फिरोजाबाद में चूड़ी बनाने वाली महिलाओं से लेकर पूर्वांचल के कई जिलों में अलग-अलग काम करने वाली महिलाओं से वोट मांगती नजर आईं. UP चुनाव में कांग्रेस के चेहरे को लेकर पूछे गए सवाल पर प्रियंका गांधी ने कहा था कि ‘क्या आपको कांग्रेस की तरफ से कोई और चेहरा दिखाई दे रहा है?’ लेकिन जैसे ही उन्होंने यू टर्न लेते हुए कहा कि उन्होंने झल्लाहट में आकर ऐसा कहा था तो मायावती ने इस पर पलटवार करने में देर नहीं लगाई.

मायावती ने प्रियंका गांधी को निशाने पर लेते हुए लोगों से कांग्रेस पर वोट बर्बाद ना करने की अपील कर डाली. उन्होंने ट्वीट में लिखा, ‘यूपी में कांग्रेस हालत इतनी ज़्यादा खस्ता है कि इनकी CM की उम्मीदवार ने कुछ घंटों में ही अपना स्टैंड बदल डाला तो ऐसे में बेहतर होगा कि लोग कांग्रेस को वोट देकर अपना वोट खराब न करें बल्कि एकतरफा तौर पर BSP को वोट दें.’

वोट बैंक की समानता
UP में कांग्रेस की सियासत दलित, मुस्लिम और ब्रह्मणों के आस-पास रही है. ये तीनों कांग्रेस का मूल वोट बैंक रहे हैं. लेकिन प्रदेश में सपा और बसपा जैसे क्षेत्रीय दलों के उभरने के बाद से कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लग गई. अब यही दोनों दल कांग्रेस की मुश्किल का सबब बन चुके हैं.

जाटव वोटों को लेकर टकराव
कांग्रेस और बसपा के बीच जाटव दलित वोटों को लेकर टकराव अब भी बना हुआ है. अगर बीएसपी का ये वोट बैंक छिटकेगा तो कांग्रेस के पास जा सकता है. इसलिए मायावती समय समय पर बयान देकर दलित समाज खासकर जाटव वोट बैंक को लेकर लोगों को सतर्क करती रहती हैं. दरअसल राज्य में तकरीबन 22 % दलित आबादी है जिसमें जाटवों का वोट शेयर काफी बड़ा है.

ऐसे में सभी दलों की नज़र इस वोट बैंक पर रहती है. 2009 के लोकसभा चुनाव में भी उनका नुकसान हुआ था जब कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया था. लेकिन इसके बाद कांग्रेस की हालत बहुत खराब हो गई.

ब्राह्मण और मुस्लिम वोट
UP में करीब-करीब यही स्थिति ब्राह्मण और मुस्लिम वोटर्स के साथ है. एक समय था जब मायावती ब्राह्मण वोटों के समर्थन से CM बनी थीं. जानकारों का कहना है कि बीएसपी ने अपना ये वोट बैंक भी खो दिया है. हालांकि, 2022 के चुनाव में BSP ने ब्राह्मण वोट साधने की पूरी कोशिश की है. चुनाव में ‘प्रबुद्ध सम्मेलन’ के साथ प्रचार अभियान की शुरुआत करते हुए ही उन्होंने इसके संकेत दे दिए थे.

इस प्रचार अभियान के दौरान उन्होंने ब्राह्मणों के साथ अत्याचार होने और मुसलमानों के साथ सौतेला व्यवहार होने की बात कही थी. इसके लिए उन्होंने बीजेपी और कांग्रेस दोनों को निशाने पर लिया था.

‘जब तक सांस तब तक आस’
जब तक नतीजे न आ जाएं तब तक उम्मीद तो हर पार्टी बनाए रखती है. ऐसे में यूपी की राजनीति पर नजर रखने वालों के अनुसार मायावती चाहती हैं कि अगर बीजेपी कमजोर होती है और उसका ब्राह्मण वोट खिसकता है तो वो कांग्रेस में ना जाकर BSP के पास आए. साफ है कि कांग्रेस के कमजोर रहने में उनका और उनकी पार्टी दोनों का सियासी फायदा है.

बीएसपी का डर
यूपी में कांग्रेस को सबसे कमजोर बताया जा रहा है. लेकिन, प्रियंका UP में कांग्रेस को चर्चा में लाने में सफल दिख रही हैं. लखीमपुर खीरी का मामला हो, हाथरस मामला हो या कानपुर में गैंगस्टर विकास दुबे की हत्या या फिर महिलाओं से जुड़े मामले, प्रियंका गांधी लगातार सक्रिय रहीं हैं. जाहिर है कि उनकी सक्रियता मायावती के लिए मुश्किल बन सकती है. इन्हीं वजहों से मायावती जनता को कांग्रेस की कमजोरी की याद दिलाकर बीएसपी का आधार बनाए रखना चाहती हैं.