यूपी प्रदेश अध्यक्ष को लेकर कांग्रेस में इतना असमंजस क्यों? जानिए क्या है सुगबुगाहट

Why so much confusion in the Congress regarding the UP state president? Know what is fragrance
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लखनऊ: महज आठ महीनों के भीतर ही कांग्रेस एक बार फिर यूपी में प्रदेश अध्यक्ष को लेकर ऊहापोह की स्थिति में आ पहुंची है। इस छोटे से कार्यकाल के बीच ही अब एक बार फिर नया प्रदेश अध्यक्ष लाने की सुगबुगाहट है। फिजाओं में कुछ नाम तैरने भी लगे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष को लेकर इस तरह का असमंजस क्यों है?

दरअसल, कांग्रेस में पिछले कुछ वक्त से प्रदेश अध्यक्षों से उम्मीद यही रही है कि वे अपने स्तर पर से ही फैसले न लें। यह प्रियंका गांधी के राष्ट्रीय महासचिव और यूपी प्रभारी बनने के बाद हुआ। यही वजह थी कि 2019 के लोकसभा चुनावों के बीच ही तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर को बिना ऐलान किए एकदम से जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया गया। हालांकि, उनको हटाने के आदेश चुनाव परिणाम के बाद जारी हुए।

यही नहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को बाद में प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया तो वह भी कोई फैसला अपने बूते नहीं ही ले रहे थे। विधानसभा चुनावों के बाद उन्हें हटाकर बीते साल अक्टूबर में बृजलाल खाबरी को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी गई। उम्मीद तो यही थी कि वह कोई फैसला बिना टीम प्रियंका की सहमति के नहीं लेंगे, लेकिन ब्रजलाल खाबरी अपने ढर्रे पर आगे बढ़ने लगे। सूत्र बताते हैं कि यह बात ही लोगों को रास नहीं आई और यही वजह है कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के पहले नया अध्यक्ष लाने की तैयारी है।

कहां से शुरू हुई खींचतान?

खींचतान की शुरुआत प्रदेश कांग्रेस में तैनातियों से शुरू हुई। शुरुआती दो तैनातियों के बारे में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को पता तक नहीं चला। आदेश सीधे ऊपर से आए। इसके बाद बृजलाल खाबरी ने अपने स्तर से फैसले लेने की शुरुआत कर दी। उन्होंने कई लोगों को कंट्रोल रूम में तैनात किया। जिन लोगों को तैनात किया गया, उनमें कई वरिष्ठ कांग्रेस नेता थे, जो टीम प्रियंका के यहां हावी होने की वजह से असंतुष्ट थे। इस बात को लेकर अच्छा संदेश नहीं गया क्योंकि इन तैनातियों में प्रदेश प्रभारी या टीम प्रियंका से कोई मशविरा नहीं हुआ। इसके बाद निकाय चुनाव में मथुरा में मेयर सीट के प्रत्याशी को लेकर हुआ घमासान और लोकसभा सीटों पर समीक्षा करने की जिम्मेदारी लोगों को दे दी। इन सबसे ऊपर यही संदेश गया है कि खाबरी प्रदेश कांग्रेस को अपने तरीके से चलाना चाहते हैं। इस बीच दो जिलों में कार्यवाहक जिला अध्यक्ष बनाने का भी मामला आया, जिसमें तकनीकी खामी थी कि बिना राष्ट्रीय अध्यक्ष की मर्जी के ऐसा फैसला नहीं हो सकता है।

प्रियंका ने बनाई दूरी तो बढ़े हौसले?

सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने जैसे ही प्रदेश कांग्रेस से दूरी बनाई, उसने ही खाबरी के हौसले बढ़ा दिए। टीम प्रियंका की तवज्जो भी प्रियंका के यूपी में न आने से कम हुई है। इसके अलावा जब आधिकारिक तौर पर पिछले आठ महीने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को कमिटी नहीं दी गई तो वह इन्हीं तैनातियों से अपनी टीम तैयार करने में जुट गए हैं ताकि प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर वह अपनी जिम्मेदारियां निभा सकें।

आगे क्या होगा?

कयासों का बाजार काफी गर्म है। लोग मान रहे हैं कि इन फैसलों और इससे उपजी स्थितियों के बाद यह लगभग तय है कि बृजलाल खाबरी की प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद से विदाई हो जाएगी। माना जा रहा है कि एक नए अध्यक्ष की तैनाती अगले एक महीने के भीतर हो सकती है। इसमें एक प्रांतीय अध्यक्ष को प्रमोट करके प्रदेश अध्यक्ष बनाने पर विचार चल रहा है। साथ ही एक नाम इन्हीं प्रांतीय अध्यक्ष के जिले के एक नेता का भी है। इनका नाम पिछली बार भी प्रदेश अध्यक्ष के लिए काफी हद तक तय माना जा रहा था। कुछ और नाम भी सामने आ रहे हैं। हालांकि कुछ लोग मानते हैं कि फिलहाल स्थिति इतनी बिगड़ी नहीं है। हालात मैनेज करने की दिशा में प्रयास हो सकते हैं।