जीवित रहते हुए भी आप अपने इन चार ऑर्गन को कर सकते हैं दान, जानें क्या है प्रोसेस

You can donate these four organs even while you are alive, know what is the process
You can donate these four organs even while you are alive, know what is the process
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Organ Donation: बीमारियों के बढ़ते बोझ की वजह से ऑर्गन फेल होने की समस्या भी बढ़ती जा रही है. अगर अंग खराब हो जाता है तो व्यक्ति की मौत हो जाती है, लेकिन ट्रांसप्लांट करके मरीज की जान बचाई जा सकती है, जिसके लिए ऑर्गन डोनर की जरूरत होती है, लेकिन हर मरीज को डोनर नहीं मिल पाता है, जिससे उसकी मौत हौ जाती है. सरकारी आंकड़े बताते हैं कि भारत में हर साल लाखों लोगों को ट्रांसप्लांट के लिए अंग की जरूरत होती है, लेकिन इसमें कुछ हजार को ये मिल पाता है. इसका कारण यह है कि लोगों में अंगदान को लेकर जानकारी का काफी अभाव है. अधिकतर का मानना है कि मौत के बाद ही ऑर्गन डोनेट हो सकते हैं, जबकि ऐसा नहीं है. जीवित रहते हुए भी आप अपने चार ऑर्गन को दान कर सकते हैं.

जिसे परिवार में किसी मरीज की जान बचाई जा सकती है. किडनी, लिवर, आंत और लंग्स को डोनेट किया जा सकता है. कोई भी स्वस्थ व्यक्ति इन ऑर्गन को दान कर सकता है. इस दान से शरीर में बाद में किसी प्रकार की परेशानी भी नहीं होती है. डोनर एक स्व्स्थ जीवन व्यतीत कर सकता है.शरीर में फिर से बन जाते हैं लिवर और आंत सफदरजंग हॉस्पिटल में मेडिसन डिपार्टमेंट में प्रोफेसर डॉ जुगल बताते हैं कि अंगदान को लेकर जागरूकता की कमी है. ग्रामीण इलाकों में तो अंधविश्नास काफी अधिक है. कई बार लोग अपने परिवार के सदस्य तक को ऑर्गन डोनेट करने से कतराते हैं.

उन्हें लगता है कि अंगदान करने से वह अपना जीवन सही से नहीं व्यतीत कर सकेंगे, जबकि ऐसा नहीं है. कोई भी स्वस्थ व्यक्ति अपनी एक किडनी, एक लंग्स और लिवर व आंतों का कुछ हिस्सा दान कर सकता है. अगर कोई व्यक्ति किडनी दान करता है तो वह जीवनभर एक किडनी के सहारे रह सकता है. इसी तरह एक लंग्स भी डोनेट किया जा सकता है.

हालांकि इसमें यह देखना होगा तो कि लंग्स डोनेट करने वाले को स्मोकिंग हैबिट तो नहीं है. जहां तक बात लिवर और आंतों को डोनेट करने की है तो ये दोनों की अंग शरीर में बन जाते हैं. अगर आप किसी को लिवर या आंत का हिस्सा डोनेट करते हैं तो यह अंग कुछ समय बाद अपने शरीर में फिर से पूरे डवलप हो जाते हैं. इन ऑर्गन को दान करने से परिवार में किसी मरीज की जान बचा सकता है.

ऑर्गन डोनेशन का प्रोसेस ऑर्गन डोनेशन का प्रोसेस में डोनर और रिसीवर के ब्लड सैंपल मैच किए जाते हैं. आप अपने परिवार के ही किसी सदस्य तो ये ऑर्गन डोनेट कर सकते हैं और वो भी सैंपल मैच होने पर ही. ट्रांसप्लांट के प्रोसस के दौरान ब्लड ग्रुप देखा जाता है. यह भी जरूरी होता है कि जिस व्यक्ति को अंग का ट्र्र्रांसप्लांट होना है वह अस्पताल में ही हो या अगर किसी दूसरे हॉस्पिटल में है दूरी बहुत लंबी न हो.

चार से पांच घंटे में ऑर्गन ट्रांसप्लांट हो जाना चाहिए. हालांकि हर ऑर्गन की लाइफ अलग-अलग है. आंखों के कॉर्निया को कई दिन तक रखा जा सकता है, जबकि लिवर और किडनी और 6 घंटे के भीतर ट्रांसप्लांट करना बेहतर होता है. ऑर्गन डोनेशन के मौटे तौर पर दो तरीके हैं.

पहला लाइव डोनर जैसे की बताया गया है कि जिंदा व्यक्ति ये अंगदन कर सकता है. दूसरी स्थिति ब्रेन डेड की होती है. इसमें स्ट्रोक, सिर में लगी किसी चोट की वजह से होता है.ब्रेन डेड में ब्रेन हमेशा के लिए काम करना बंद कर देता है, लेकन हार्ट बीट चलती रहती है. हार्ट के फंक्शन करने से सभी ऑर्गन में ब्लड सप्लाई चालू रहती है. इससे शरीर के अंग जिंदा रहते हैं. डॉक्टरों की टीम चेक करती है.