Shamshera Movie Review: फालतू है टाइम तो जरुर देंखे शमशेरा

एक विशेष कालखंड में बनी फिल्मों का परदे पर असर पैदा करने में सबसे अहम काम फिल्म का संगीत करता है। लेकिन,

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यहां मिथुन ने अपने गानों में ऐसा कुछ करने की कोशिश भी की हो, लगता नहीं है।

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उनका पूरा साज आधुनिक है। इसमें कहीं से भी 19वीं सदी का संगीत झलकता तक नहीं है।

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फिल्म के गाने बेदम हैं और इसका पार्श्व संगीत सिर्फ शोर करता है।

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फिल्म ‘शमशेरा’ से उम्मीद यही थी कि ये फिल्म दर्शकों को डेढ़ सौ साल पीछे के कालखंड को

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महसूस करने का एक अच्छा मौका देगी और रणबीर कपूर की काबिलियत को अच्छे से

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परदे पर उकेरेगी। लेकिन फिल्म पटकथा, निर्देशन, सिनेमैटोग्राफी, संगीत और

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संपादन हर विभाग में चूकती है। रणबीर कपूर के बहुत कट्टर प्रशंसक हों तो फिल्म टाइमपास

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के लिए देखने की हिम्मत जुटा सकते हैं, बाकी दर्शकों के लिए फिल्म बहुत बोझिल लग सकती है।

Shamshera Movie Review: फालतू है टाइम तो जरुर देंखे शमशेरा

संजय दत्त मौजूदा दौर में एक बेहतरीन खलनायक के तौर पर फिल्म दर फिल्म मजबूत हो रहे हैं।