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लखनऊ। रालोद यानी आरएलडी के अध्यक्ष जयंत चौधरी और अखिलेश यादव के बीच गुरुवार शाम को मुलाकात हुई। करीब 1 घंटे 40 मिनट तक सीटों को लेकर चर्चा तो हुई। लेकिन पश्चिमी यूपी की 10 सीटों पर सपा के सिंबल पर जयंत चौधरी उम्मीदवार उतारने को तैयार नहीं हुए। यही वजह रही कि जयंत मुलाकात के बाद लोहिया ट्रस्ट के पिछले गेट से चले गए। मीडिया के सामने नहीं आए।
इन सीटों पर सपा-आरएलडी की सहमति नहीं बनी
पश्चिमी यूपी में 10 सीटें ऐसी हैं, जिनको लेकर आरएलडी और सपा गठबंधन में सहमति नहीं बन पा रही है। इन सीटों में अमरोहा की नौगांवा, मेरठ की सिवालखास, बिजनौर की चांदपुर, सहारनपुर की गंगोह, बागपत की बड़ौत, मथुरा की मांट व छाता, शामली की थानाभवन, बुलंदशहर शिकारपुर के अलावा मुजफ्फरनगर की चरथावल और मीरापुर सीट हैं। इन पर सपा और आरएलडी दोनों ही दावेदारी कर रही हैं। यह वह सीट हैं, जिस पर सपा और आरएलडी अपने-अपने सिंबल पर उम्मीदवार उतारना चाहती हैं।
70% सीटों पर भाजपा का कब्जा
यूपी विधानसभा में भाजपा के 11 जाट विधायक हैं। जिनमें से लक्ष्मी नारायण चौधरी, भूपेंद्र चौधरी, बलदेव सिंह औलख और उदय भान सिंह योगी सरकार में मंत्री हैं। पार्टी के सांसद बागपत से सत्यपाल सिंह, मुजफ्फरनगर से संजीव बालियान और फतेहपुर सीकरी से राजकुमार चाहर भी हैं। भाजपा पार्टी संगठन में पश्चिमी यूपी के क्षेत्रीय अध्यक्ष मोहित बेनीवाल भी जाट हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आरएलडी और सपा का गठबंधन पश्चिमी यूपी की 70% सीटों पर भाजपा का कब्जा हटा पाएगी।