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देहरादून। मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) एक तरफ अवैध प्लॉटिंग के खिलाफ अभियान चला रहा है। दूसरी तरफ रोक के बावजूद ऐसी जमीन की खरीद-फरोख्त जारी है। मौके पर चेतावनी बोर्ड नहीं लगे होने से अनजाने में लोग धोखाधड़ी का शिकार हो रहे हैं। एमडीडीए की ही वेबसाइट पर नजर दौड़ाएं तो सेक्टर एक से छह तक 55 और सेक्टर सात से 10 तक 32 जगह बीते करीब तीन साल में लेआउट पास नहीं करवाने पर अवैध प्लॉटिंग रुकवाई गई।
इसके अलावा भी कुछ और क्षेत्रों में अवैध प्लॉटिंग का काम रोका गया, जिनकी सूची वेबसाइट पर अपडेट की जानी है। लेकिन, एमडीडीए की इस कार्रवाई का कोई फायदा लोगों को नहीं हो पा रहा। ऐसा इसलिए कि मौके पर न तो कोई तारबाड़ की जा रही है और न ही चेतावनी बोर्ड लग रहे हैं। इसका फायदा उठाकर बिल्डर आगे लोगों को लेआउट पास करवाए बिना ही प्लॉट बेच रहे हैं। लोगों को धोखाधड़ी की जानकारी तब लग रही है, जब उनके भवन का नक्शा नामंजूर हो जाता है।
एमडीडीए की वेबसाइट पर सहस्रधारा रोड, मोथरोवाला, दीपनगर, धोरणखास, रायपुर, मियांवाला, राजपुर रोड, गल्जवाड़ी, जोहड़ी गांव, नवादा, कौलागढ़, सुद्धोवाला, शिमला बाईपास के आसपास समेत कई इलाकों में अवैध प्लॉटिंग की सूची दर्ज है, जिनका लेआउट पास नहीं हुआ है।
केस-1: एमडीडीए ने कैनाल रोड पर बीते दिनों अवैध प्लॉटिंग का काम रुकवाया था। कार्रवाई के बाद अफसरों को पता चला कि बिल्डर ने यहां आगे कुछ लोगों को प्लॉट तक बेच दिए, जिसके बाद यहां चेतावनी बोर्ड लगाया गया।
केस-2: नगर निगम के बद्रीश कॉलोनी वार्ड स्थित धर्मपुर डांडा में कुछ लोगों ने अवैध रूप से कॉलोनी काटकर आगे प्लॉट लोगों को बेच दिए थे। शिकायत के बाद यहां नगर निगम ने मकान ध्वस्त कर जमीन अपने कब्जे में ली।
मास्टर प्लान का क्या फायदा
देहरादून और आसपास के क्षेत्रों में जिस तेज गति से अवैध प्लॉटिंग का काम चल रहा है, उसे लेकर खुद एमडीडीए के अफसर भी हैरान हैं। उनका कहना है कि समय रहते इस पर रोक नहीं लगाई गई तो मास्टर प्लान का कोई लाभ नहीं होगा। क्योंकि, धरातल पर तब तक काफी अनियोजित और अवैध निर्माण हो चुका होगा।
अवैध रूप से की जा रही प्लॉटिंग की सूची एमडीडीए की वेबसाइट पर उपलब्ध है, जिसे अपडेट करने के निर्देश दे दिए गए हैं। लोगों को प्लॉट खरीदने से पहले एक बार लेआउट पास होने के बारे में जानकारी लेनी चाहिए। इसके अलावा कुछ जगहों पर चेतावनी बोर्ड भी लगवाए जा रहे हैं।
मोहन सिंह बर्निया, सचिव-एमडीडीए