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हरिद्वारः अपने तीन दशक पुराने राजनीतिक करियर में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत हरिद्वार सीट से भाजपा के उम्मीदवार हैं। पार्टी ने उन्हें पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक की जगह मैदान में उतारा है। निशंक ने साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में यह सीट जीती थी। वहीं, कांग्रेस ने राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस लोकसभा सीट पर पूर्व सीएम हरीश रावत के बेटे वीरेंद्र सिंह रावत को अपना उम्मीदवार चुना है। 70 साल के हरीश रावत अपने बेटे के निर्वाचन क्षेत्र में डेरा डाले हुए हैं और हरिद्वार-ऋषिकेश में घर-घर जाकर प्रचार कर रहे हैं। हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत भी राज्य विधानसभा में हरिद्वार ग्रामीण सीट का प्रतिनिधित्व करती हैं।
हरिद्वार के धार्मिक महत्व को देखते हुए यह निर्वाचन क्षेत्र हमेशा भाजपा और आरएसएस के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। हरिद्वार में 13 अखाड़े हैं, जहां तमाम साधु-संत रहते हैं। ऋषिकेश के एक स्थानीय होटल में लंच के बाद त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा, “हम हरिद्वार की यह सीट जीतेंगे। मुझे भरोसा है क्योंकि हमें समाज के हर वर्ग से समर्थन मिल रहा है।” त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुताबिक भाजपा का फोकस बूथ मैनेजमेंट पर है। उन्होंने कहा कि हरिद्वार में खेतिहर मजदूरों की बड़ी आबादी है, जिन्हें केंद्र की विभिन्न योजनाओं का सबसे ज्यादा लाभ मिलता है। उनके मन में पीएम मोदी के लिए बहुत सम्मान है।
कई नेता भाजपा में शामिल
हरिद्वार के कई प्रमुख चेहरों के भाजपा में शामिल होने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत का आत्मविश्वास जबर्दस्त है। पिछले दो हफ्तों में धर्मपुर से पूर्व कांग्रेस विधायक दिनेश अग्रवाल और बीएसपी नेता सुबोध राकेश समेत कई नेता बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। साल 2012 में भगवानपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले राकेश अनुसूचित जाति के मतदाताओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं। झबरेड़ा से बसपा के पूर्व विधायक हरिदास भी भाजपा में शामिल हो गए। धर्मपुर, भगवानपुर और झबरेड़ा हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा हैं।
बसपा ने हरिद्वार सीट से जमील अहमद कासमी को अपना उम्मीदवार बनाया है। हरिद्वार में मुस्लिम और एससी मतदाताओं की अच्छी-खासी आबादी है। इस सीट पर एससी मतदाताओं के बीच जनाधार रखने वाली बसपा की मैदान में मौजूदगी इस सीट पर कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए नुकसान पहुंचाने वाली है। जहां कांग्रेस मुस्लिम मतदाताओं के बीच अपना जनाधार बरकरार रखना चाहती है, वहीं भाजपा एससी मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है।
निर्दलीय भी मैदान में
भाजपा, कांग्रेस और बसपा प्रत्याशियों के अलावा खानपुर के विधायक उमेश कुमार भी निर्दलीय के तौर पर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। हरिद्वार के रानीपुर विधानसभा क्षेत्र के सलेमपुर से आने वाले वीरेंद्र एससी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने कहा, ‘एससी मतदाता तीन खेमों में बंटे हुए हैं- बसपा, भाजपा और कांग्रेस। हालांकि, बसपा को एससी वोटों का बहुमत मिलेगा क्योंकि वह हमारी पहली पसंद है।’ हालांकि, सलेमपुर के रविदास मंदिर में मौजूद एक अन्य मतदाता हरनाम ने कहा कि युवा एससी मतदाता अब भाजपा के प्रति झुकाव दिखा रहे हैं। कई एससी मतदाता गुरुवार को ऋषिकेश में पीएम मोदी की रैली में शामिल होने भी गए थे।