इंसान की मौत के बाद जब सारा शरीर होता है ठंडा, तेज़ी से एक्टिव हो जाता है ये हिस्सा!

After the death of a person, when the whole body becomes cold, this part becomes very active.
After the death of a person, when the whole body becomes cold, this part becomes very active.
इस खबर को शेयर करें

After Death Effect on Body: जन्म और मृत्यु इंसान की ज़िंदगी के दो अहम पहलू हैं. ये तो अध्यात्म की बातें हैं लेकिन विज्ञान के मुताबिक इंसान के शरीर में जब अंग काम करना बंद कर देते हैं तो इसे प्वाइंट ऑफ नो रिटर्न कहते हैं. शरीर का तापमान हर घंटे 2 डिग्री तक गिरता चला जाता है और शरीर की कोशिकाएं मरती चली जाती हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि इसके बाद भी हमारे शरीर के कुछ अंग काम रहे होते हैं. आखिर कौन सा वो अंग?

इंसान की मौत के बाद उसके शरीर के ज्यादातर हिस्से काम करना बंद कर देते हैं और शरीर ठंडा पड़ता चला जाता है. अगर आप भी आज तक यही सोचते रहे हैं, तो हम आपको एक ऐसी जीन (Zombie Gene Gets Active After Death) के बारे में बताएंगे, जो हमारी बॉडी में मौत के बाद एक्टिव होती है. कुछ ही घंटों में ये मल्टिप्लाई होकर अपनी संख्या बढ़ाते चले जाते हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनॉयस के रिसर्चर्स ने इससे जुड़ा हुआ शोध किया है.

जॉम्बी जीन्स का है अलग व्यवहार
न्यूरोलॉजिकल कंडीशन से जूझ रहे मरीज़ की ब्रेन टिश्यू को निकालकर स्टडी की गई. टिश्यू की बाकी कोशिकाएं तो मरती चली गईं लेकिन जॉम्बी जीन्स तेज़ी से एक्टिव हो गईं और 24 घंटों के भीतर ये बढ़कर कई गुना हो गईं. ये जीन्स ग्लिअन सेल्स की कैटेगरी में आती हैं, जो सिर में चोट लगते ही एक्शन में आ जाती है. इनका काम मस्तिष्क को चोट से बचाना होता है. ठीक ऐसा ही जॉम्बी जीन्स भी करती हैं, जो मस्तिष्क को मौत को बाद भी काम करते रहने में मदद करती हैं. साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में इससे जुड़ी प्रकाशित हुई है और वैज्ञानिक इस पर आगे स्टडी कर रहे हैं.

कई मायनों में कारगर हैं सेल्स
वैज्ञानिक इन सेल्स की मदद से मानसिक बीमारियों का इलाज खोजने का दावा कर रहे हैं. वैसे आपको ये बात तो मालूम है कि शरीर के अंग मौत के बाद काम नहीं करते हैं लेकिन कुछ प्रक्रियाएं चलती रहती हैं, जैसे – बाल और नाखून का बढ़ना या फिर खाना पचाना. हालांकि ये प्रक्रिया धीमी हो जाती है. मौत की प्रक्रिया के तहत इंसान की पाचन शक्ति कम हो जाती है और वो खाना-पीना कम कर देता है. डॉक्टर इस स्टेज को सोशल और फिजिकल डेथ के नाम से बुलाते हैं.