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नई दिल्ली: 1993 के मुंबई बम ब्लास्ट के बाद नेशलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार पर आरोप लगा था कि उनका अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से संबंध है। तब पवार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे। पाकिस्तानी हाई कमीशन ने एक प्रेसवार्ता में कहा था कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का अंडरवर्ल्ड से संबंध है और उन्होंने ही सब योजना बनाई थी।तब विपक्ष और कांग्रेस का एक गुट भी पवार के खिलाफ हमलावर हो गया था। आग में घी का काम किया दाऊद इब्राहिम के भाई इब्राहिम कसकर के इंटरव्यू ने। कसकर ने ‘नवभारत टाइम्स’ के संवाददाता को दिए इंटरव्यू में बताया था कि वह शरद पवार को जानता है। साल 2015 में इस विवाद ने एक फिर तब सिर उठाया जब वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने कहा कि दाऊद इब्राहिम कुछ शर्तों के साथ आत्मसमर्पण करने को तैयार था लेकिन पवार ने प्रस्ताव ठुकरा दिया। शरद पवार ने राजकमल पब्लिकेशन से प्रकाशित अपने संस्मरण ‘अपनी शर्तों पर’ में दाऊद इब्राहिम के साथ संबंध के आरोपों को खारिज किया है। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि दाऊद के कथित प्रस्ताव को किन परिस्थितियों में ठुकराना पड़ा था।
मुंबई बम धमाका
1992 में अयोध्या के बाबरी विध्वंस के बाद महाराष्ट्र में भी सांप्रदायिक दंगे हुए थे। इसके बाद राज्य की कमान सुधाकर नाइक से लेकर पवार को दे दी गई। वह 6 मार्च, 1993 को चौथी बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे। 12 मार्च, 1993 को मुंबई में एक के बाद एक 12 बम ब्लास्ट हुए। बकौल शरद पवार इन बम धमाकों में 257 लोगों की जान गई थी। प्रमुख अभियुक्तों में दाऊद इब्राहिम का भी नाम था। तब तक उसे फरार हुए 20 वर्ष हो चुके थे। हालांकि समय-समय पर उसका नाम विभिन्न असामाजिक और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों से जुड़ता रहता था।
क्या दाऊद ने आत्मसमर्पण का प्रस्ताव दिया था?
पवार अपने संस्मरण में लिखते हैं, “यह सही है कि मैं जब महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री था, उस समय जेठमलानी, दाऊद इब्राहिम का प्रस्ताव लेकर मुझसे मिले। उन्होंने कहा कि दाऊद ने अपना ‘प्रस्ताव’ रखते हुए मुझे लंदन से फोन किया। उनके अनुसार दाऊद इब्राहिम भारत में आत्मसमर्पण करने और मुकदमे की कार्यवाही में उपस्थित होने के लिए तैयार था। दाऊद ने दावा किया कि मुम्बई बम विस्फोट में उसका कोई सम्बन्ध नहीं है।”
आत्मसमर्पण के लिए रखी थी ऐसी शर्त
पवार बताते हैं कि दाऊद की शर्तें उसके आत्मसमर्पण के प्रस्ताव की सबसे बड़ी बाधा थीं। वह लिखते हैं, “वह जेल में बंदी की तरह न रहकर घर में नजरबंद रहना चाहता था। उसे आशंका थी कि पुलिस हिरासत में उसको कठोर यातनाएं दी जाएगी और इसलिए वह घर में नजरबंद रखने की शर्त पेश कर रहा था। मैंने जेठमलानी जी से पूछा कि आपने यह कैसे सुनिश्चित किया कि फोन पर बात करने वाला व्यक्ति दाऊद इब्राहिम ही था? इस बात में शंका की पूरी गुंजाइश थी। एक अपराधी द्वारा समर्पण की शर्तें पेश करना और सरकार द्वारा उसे दब्बूपन से स्वीकारना वास्तव में बिलकुल मूर्खतापूर्ण बात है।”
पवार ने प्रधानमंत्री से ली थी सलाह
पवार का दावा है कि उन्होंने दाऊद के इस कथित आत्मसमर्पण के प्रस्ताव पर मुम्बई के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और प्रधानमंत्री नरसिंह राव से भी बातचीत की थी। वह लिखते हैं, “मैंने जेठमलानी से कहा कि मैं पुलिस अधिकारियों और सरकार के अन्य संबंधित व्यक्तियों से परामर्श करूंगा। इसके बाद ही मैं किसी निर्णय पर पहुंच सकता हूं। मुंबई के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने बताया कि दाऊद बम विस्फोट कांड का प्रमुख आरोपी है और उसके खिलाफ वारंट जारी किया जा चुका है। इंटरपोल ने भी एक रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया है।
यदि वह भारत में आता है तो कानून के अनुसार उसे गिरफ्तार करना ही होगा। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा, ‘ऐसी परिस्थिति में हम अपने अधिकारियों से उसे गिरफ्तार न करने की बात कैसे कर सकते हैं?’ इसके बाद मैंने प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव से इस विषय में बात की। वह भी मेरे विचार से पूर्णत: सहमत थे। ऊपर से नीचे तक सभी पदाधिकारी दाऊद के प्रस्ताव के खिलाफ थे। इसलिए इस विषय में आगे कोई बातचीत नहीं की गई।”