महाराष्ट्र संकट के बीच क्या उद्धव ने की थी फडणवीस के साथ डील करने की कोशिश?

Did Uddhav try to deal with Fadnavis in the midst of Maharashtra crisis?
Did Uddhav try to deal with Fadnavis in the midst of Maharashtra crisis?
इस खबर को शेयर करें

मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीतिक उथल-पुथल अब थम चुकी है. उद्धव ठाकरे के कुर्सी से हटने के बाद एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री बन चुके हैं. लेकिन पुरानी सियासी उठापटक के किस्से अब तक सामने आ रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक जब उद्धव ठाकरे को यह अहसास हो गया कि अब उनकी कुर्सी बचना मुश्किल है तो उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से तक बात करने की कोशिश की थी, लेकिन दोनों की तरफ से कोई जवाब नहीं आया.

सूत्रों के मुताबिक 21 जून 2022 को जब यह स्पष्ट हो गया कि एकनाथ शिंदे लगभग 26 एमएल के साथ मुंबई से सूरत के लिए रवाना हो चुके हैं, तब शिवसेना प्रमुख और तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे हरकत में आए. पहले उन्होंने बचे हुए विधायकों को अपने पक्ष में करने की कोशिश की, लेकिन जब सूरत से विधायकों को गुवाहाटी भेजा गया और उद्धव खेमे के और विधायक गुवाहाटी के लिए रवाना होने लगे तो उद्धव घबरा गए.

उद्धव ने अपने एक करीबी और पूर्व कैबिनेट मंत्री के जरिए देवेंद्र फडणवीस से संपर्क किया. सूत्रों की मानें तो उन्होंने खुद फडणवीस से बात की. उद्धव को जब अहसास हुआ कि अब वो विधायकों को नहीं रोक पाएंगे और बड़ी टूट हो कर रहेगी तब उन्होंने देवेंद्र फडणवीस को फोन किया था.

सूत्रों के मुताबिक उद्धव ने फडणवीस को प्रस्ताव दिया कि भाजपा को सीधे उद्धव से निपटना चाहिए, ताकि एकनाथ शिंदे को समर्थन देने के बजाय पूरी पार्टी उद्धव के साथ आ सके. फडणवीस ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि चीजें काफी दूर जा निकल चुकी हैं. पिछले एक साल में फडणवीस और उद्धव के बीच यह पहली आमने-सामने की बातचीत थी.

उद्धव को बीजेपी नेतृत्व ने अमित शाह या पीएम मोदी से बात करने की सलाह दी थी. इसके बाद उद्धव ने अमित शाह और पीएम मोदी को भी फोन किया, लेकिन दोनों ने कोई जवाब नहीं दिया. कहा जाता है ठीक इसी तरह 2019 में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने उद्धव से बात करने की बहुत कोशिश की थी, लेकिन उन्होंने किसी भी बात का जवाब नहीं दिया था. बीजेपी तय कर चुकी है कि उन्हें बिना उद्धव ठाकरे के शिवसेना चाहिए.

हाल ही में कुछ शिवसेना सांसदों ने उद्धव ठाकरे को खत लिखकर द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने की अपील की थी. उन सांसदों ने मध्यस्थता का प्रस्ताव भी रखा था. जब सांसदों ने उद्धव से मुलाकात की तो उन्होंने सांसदों को 3 विकल्प दिए थे. लेकिन सांसदों ने भाजपा के साथ जाने का फैसला किया.

उद्धव लगातार कहते रहे कि बीजेपी के साथ जाने का कोई नतीजा नहीं निकलेगा. यहां तक ​​कि सांसदों को भी अभी तक भाजपा नेतृत्व से कोई प्रतिक्रिया तक नहीं मिली है. शिवसेना के कुछ कार्यकर्ता उद्धव की पत्नी रश्मी ठाकरे का संदेश लेकर एकनाथ शिंदे के पास भी पहुंचे थे. लेकिन चूंकि इसे भाजपा नेतृत्व से कोई मंजूरी नहीं मिली है, इसलिए ऐसा नहीं लगता कि शिंदे किसी भी स्थिति में आने के मूड में हैं.