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नई दिल्ली। विपक्षी आइएनडीआइए के शीर्षस्थ नेताओं की चौथी बैठक चुनावी राज्य मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में होगी। वैसे इसकी तारीखें अभी तय नहीं हुई है मगर संकेतों से साफ है कि संसद के बुलाए गए विशेष सत्र के बाद अक्टूबर की शुरूआत में यह बैठक होगी। इस बैठक के साथ ही आइएनडीआइए की पहली साझा राजनीतिक रैली भी भोपाल में ही होगी।
विपक्षी खेमे के सूत्रों ने दी जानकारी
मध्यप्रदेश चुनाव के मद्देनजर भोपाल रैली के जरिए विपक्ष की एकजुटता को लेकर उठने वाले किंतु-परंतु के सवालों को थामने का भी प्रयास होगा। विपक्षी खेमे के सूत्रों के अनुसार मुंबई में एक सितंबर को हुई आइएनडीआइए की तीसरी बैठक के दौरान ही भोपाल को अगली बैठक का पड़ाव बनाने का फैसला नेताओं ने कर लिया। साथ ही यह भी तय हुआ कि आइएनडीआइए की पहली साझा रैली के लिए भोपाल कई मायनों में अनुकूल होगी।
क्या है इन राज्यों में चुनावी पार्टियों का हाल
इसमें सबसे अहम है कि जिन पांच राज्यों में इस वर्ष के आखिर में चुनाव होने हैं उनमें मध्यप्रदेश ही एकमात्र राज्य है जहां भाजपा की सरकार है। छत्तीसगढ और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार हैं तो मिजोरम में क्षेत्रीय पार्टी मिजो नेशनल फ्रंट की सत्ता है जो फिलहाल भाजपा गठबंधन का हिस्सा है। ऐसे में जाहिर तौर पर 2024 के चुनाव में मोदी सरकार को चुनौती देने की ताल ठोक रहे विपक्ष के लिए मध्यप्रदेश का 2023 का चुनावी सेमीफाइनल एक सियासी टेस्ट केस है।
आइएनडीआइए की अगली बैठक
विपक्षी गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण यह है कि सूबे में भाजपा से ही उसकी सीधी लड़ाई है और पार्टी भोपाल रैली के जरिए पूरे देश में विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व करने की संदेश दे सकती है। मध्यप्रदेश का आइएनडीआइए की अगली बैठक के लिए चुनाव करना विपक्षी खेमे के नेताओं के लिए भी सहज है क्योंकि राजनीतिक महत्वाकांक्षा रखने तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जैसे दलों के लिए मध्यप्रदेश में अभी कोई सियासी गुंजाइश नहीं है।
कांग्रेस की सिरदर्दी
समाजवादी पार्टी का कुछ एक जिलों में प्रभाव है भी तो वह ऐसा नहीं कि कांग्रेस की सिरदर्दी बढ़ाए। इस लिहाज से भोपाल में आइएनडीआइए की पहली रैली में ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और अखिलेश यादव जैसे नेताओं को ज्यादा मुश्किल नहीं होगी। विपक्ष की भोपाल बैठक के मेजबान स्वाभाविक रूप से मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ होंगे।
आइएनडीआइए की संयुक्त रैली
कांग्रेस के लिए यह सुखद इसलिए भी है कि ममता बनर्जी, शरद पवार, अखिलेश, नीतीश-लालू से लेकर सीताराम येचुरी समेत तमाम अन्य विपक्षी दिग्गजों से कमलनाथ के अच्छे निजी संबंध भी हैं। आइएनडीआइए की संयुक्त रैली मध्यप्रदेश में कांग्रेस के चुनाव प्रचार अभियान को विपक्ष की साझा ताकत की ऊर्जा देगी वहीं आइएनडीआइए इसके जरिए गठबंधन की एकजुटता को लेकर बार-बार उठाए जा रहे सवालों को थामने का मौका देगा।