‘इधर चला मैं उधर चला… जाने कहां मैं किधर चला’, बिहार की पॉलिटिक्स में पप्पू यादव बन गए हैं पेंडुलम

'I went here, I went there... I don't know where I went', Pappu Yadav has become a pendulum in Bihar politics.
'I went here, I went there... I don't know where I went', Pappu Yadav has become a pendulum in Bihar politics.
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पटना: अपनी जन अधिकार पार्टी का कांग्रेस में विलय कर पप्पू यादव ने इंडिया ब्लॉक का हिस्सा बनना चाहा था। लालू यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव के कसीदे पढ़ने लगे थे। राहुल गांधी और प्रियंका तो उनके आदर्श ही बन गए थे। जब लालू ने पूर्णिया में आरजेडी का उम्मीदवार उतार दिया तो उनकी आंखें खुलीं। फिर तो लालू और तेजस्वी के बारे में उनके मुखारबिंदु से किस तरह के फूल झड़े, यह सबने सुना-जाना है। जिस राहुल-प्रियंका पर पप्पू को पूरा भरोसा था, उन्होंने भी उनसे कन्नी काट ली। राहुल गांधी बिहार दौरे पर आए तो पप्पू के दावे की हवा निकाल दी। उन्होंने कह दिया कि हमारे पास अपने और बेटे के लिए टिकट मांगने आए थे। नहीं दिया तो अब निर्दलीय उम्मीदवार हो गए हैं। पप्पू अब भी राहुल-प्रियंका से इकतरफा प्रेम कर रहे हैं। वे कह रहे कि राहुल गांधी के चुनाव प्रचार में वे अमेठी जाएंगे। इतना ही नहीं, अब तो वे लालू की बेटी रोहिणी आचार्य के साथ सारण के एक बूथ पर हुई अभद्रता से भी आहत हो गए हैं। सारण से भाजपा प्रत्याशी राजीव प्रताप रूडी को नसीहत दे रहे हैं। रूडी को यह भी सिला दे रहे कि उनकी राजनीति लालू के साथ ही शुरू हुई थी।

लालू परिवार के प्रति उमड़ा पप्पू यादव प्रेम
लालू परिवार के प्रति पप्पू यादव के इस इकतरफा प्रेम पर किसी को भरोसा नहीं हो रहा। भरोसा हो भी तो कैसे। कुछ ही दिनों पहले तो पूर्णिया में तेजस्वी यादव ने पप्पू को हराने के लिए एनडीए को वोट करने की खुली अपील तक कर दी थी। तेजस्वी उनसे इस कदर खफा थे कि उन्हें हराने के लए अपने 40 विधायकों की फौज पूर्णिया में उतार दी थी। तेजस्वी को पप्पू से चिढ़ इसलिए भी रही होगी कि उन्होंने सिवान में आरजेडी के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ रही शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब के समर्थन की घोषणा की थी। यादव वोट बैंक में बिखराव के लिए पप्पू यादव ने भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है।

पप्पू के समर्थन के बवजूद भड़कीं हिना शहाब
हिना शहाब का जिक्र आया तो यह भी उल्लेख आवश्यक है कि उन्हें पप्पू यादव का समर्थन तो अच्छा लगा, लेकिन उनके एक ऐलान से वे बिदक गईं कि पप्पू को उनके बारे में कोई भविष्यवाणी करने का अधिकार किसने दे दिया। उन्होंने साफ कह दिया कि पप्पू हमारे प्रवक्ता तो हैं नहीं, जो मेरे बारे में कोई भविष्यवाणी कर सकते हैं। दरअसल पप्पू ने कहा था कि वे हिना शहाब का समर्थन इसलिए कर रहे हैं कि जीतने के बाद वे कांग्रेस में शामिल होंगी। हिना इसी बात पर भड़की हुई हैं। हिना दलीय खांचे से बाहर निकल कर लोगों को अधिक आकर्षित कर रही हैं। उन्हें भय है कि पप्पू की इस तरह की बात से उन्हें नुकसान हो सकता है।

कांग्रेस के प्रति भी पप्पू यादव का इकतरफा प्रेम
कांग्रेस ने पप्पू यादव को अकेला छोड़ दिया। उनका साथ न राहुल गांधी ने दिया और न प्रियंका गांधी ही तारणहार बनीं, जिनके नाम की माला पप्पू अपनी पार्टी के कांग्रेस में विलय के दिन से ही जप रहे थे। प्रियंका की पहल पर उन्हें पूरा भरोसा था कि लालू का खेल वे बिगाड़ देंगी। उन्हें इस बात का तनिक भी एहसास नहीं था कि कांग्रेस तो बिहार में लालू-तेजस्वी परिवार की शरणागत हो चुकी है। प्रियंका की पहल की उम्मीद में उन्होंने अपने नामांकन को दाखिल करने की तारीख भी आगे खिसका दी थी। बहरहाल, पप्पू ने कांग्रेस का साथ न मिलने के बावजूद इकतरफा प्रेम छोड़ा नहीं है। अब वे राहुल गांधी के प्रचार में अमेठी जाने की बात कर रहे हैं।

पप्पू का हाल- मान न मान, मैं तेरा मेहमान
सारण संसदीय क्षेत्र में पांचवें चरण में 20 मई को वोट डाले गए। सारण से भाजपा के राजीव प्रताप रूडी मैदान में हैं तो आरजेडी की उम्मीदवार लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य हैं। चुनाव के दिन एक बूथ पर पहुंचीं रोहिणी की वहां पर बहस हो गई। रोहिणी का आरोप है कि उनके साथ कथित बदसलूकी करने वाले रूडी के समर्थक थे। उसके बाद पप्पू यादव का लालू परिवार के प्रति प्रेम उमड़ पड़ा है। वे सारण में उसके बाद हुई हिंसा को लेकर दुखी और आक्रोशित हैं। रूडी को नसीहत दे रहे कि जिस लालू के साथ उन्होंने राजनीति शुरू की, उनकी बेटी के साथ जो हुआ, उसकी वे निंदा नहीं कर रहे। वे हिंसा पीड़ित यादव समाज को सांत्वना भी दे रहे हैं कि वे आक्रोशित न हों। इससे एक बात तो समझ में आती है कि पप्पू की हालत इंडिया ब्लॉक में ठीक वैसी ही हो गई है- मान न मान, मैं तेरा मेहमान।