मध्यप्रदेश में भाई-बहन और बच्चों तक की करा दी गई शादी, कन्या विवाह योजना में करोड़ों का फर्जीवाडा

इस खबर को शेयर करें

भोपाल: कोरोना काल में जब शादियों पर पाबंदी थी, तब मध्यप्रदेश में विदिशा जिले की सिरोंज जनपद पंचायत में मुख्यमंत्री कन्या विवाह और निकाह योजना के तहत 5000 से ज्यादा शादियां कर दी गईं. इस दौरान 30 करोड़ रुपये से ज्यादा बांटने का दावा किया गया. ये बात और है कि कागज में शादीशुदा बुजुर्ग तो छोड़िए, भाई-बहन, बच्चों तक की शादी करवा दी गई. मामले में जनपद के सीईओ सहित 3 लोग गिरफ्तार हुए हैं. सीईओ साहब सूबे के एक ताकतवर मंत्री के रिश्तेदार हैं.
पथरिया गांव की शाज़िया की बड़ी बहन की शादी 13 साल पहले हुई और शाज़िया की 9 साल पहले. मां नेत्रहीन हैं, गांव के कुछ लड़के शौचालय दिलवाने के बहाने कागज़ात ले गये, अंगूठा लगवाया. 2-3 दिन पहले पता लगा कि मुख्यमंत्री निकाह योजना के नाम पर इनके खाते में 1 लाख रुपये आए और चले गये. ना शौचालय बना और ना पैसा मिला. शाज़िया कहती हैं कि 4 लोग आए थे भोपाल से. उन्होंने कहा आपकी बेटियों के नाम पर किसी ने पैसे निकाल लिये हैं.”

सरकार ने तीन माह पहले कराया निकाह, अब पत्नी के घर वाले कह रहे- योजना के पैसे मिलेंगे तब विदाई होगी!

वहीं आंगन में बैठी उनकी मां जमीला ने बताया, “शौचालय के नाम पर कागज ले गये. मैं नेत्रहीन हूं, अंगूठा लगवा लिया. उनके पति कमाल खां उस वक्त भोपाल गये हुए थे. वो कहते हैं गांव के ही लड़के कागज़ ले गये थे, कहां दिये मुझे मालूम नहीं. 3-4 दिन से पुलिस की टीम आ रही है और उन्होंने बताया पैसे कि निकल चुके हैं.”

राजपुर गांव के बालकिशन की बिटिया ने तो खुद से प्रेम विवाह किया, फिर भी बिचौलिये ने 51,000 स्वीकृत करवाने की बात कही. बालकिशन को 10-12 हजार दिये, बाकी खुद रख लिए.

कोरेलाल मजदूरी करते हैं. 2 बच्चियों की शादी मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना में करवाई. वह कहते हैं कि सारे कागज़ात बिचौलिये ने ले लिए और बोला आधी रकम देंगे. लेकिन मिला कुछ नहीं. डरते हैं कि शिकायत की तो गुंडे तंग करेंगे. उन्होंने बताया, “मुझसे कहा गया था बच्चियों के कागज दे दो, हम पैसे निकलवा देंगे, आधे हम लेंगे आधे तुम्हें देगे. फिर उन्होंने खाता खुलवाया. एटीएम कार्ड और खाता दोनों रख लिये. फिर कहने लगे खाते में रोक लगाई गई है, पैसा नहीं मिलेगा. उनकी बेटी सुखबती आदिवासी ने कहा एक भी पैसा नहीं दिया. पापाजी को ले गए, खाता खुलवा दिया और सारा पैसा निकाल लिया. हम गरीब लोग हैं, मेहनत मजदूरी करने वाले, कहां वो मकान वाले, इसलिये हम कुछ नहीं बोले.”

बता दें कि मुख्यमंत्री कन्या विवाह और निकाह योजना के तहत भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल में पंजीकृत निर्माण श्रमिकों की बेटियों को विवाह सहायता योजना में 51-51 हजार रुपए स्वीकृत किए जाते हैं. लेकिन सिरौंज में तो बंदरबांट हो गई. जांच दल ने पाया है कि एक ही हितग्राही को कई बार योजना का लाभ दे दिया गया, जबकि योजना में प्रावधान एक परिवार की अधिकतम दो बेटियों के सहायता देने का है. जिन लोगों को योजना का लाभ देना दिखाया गया है, उन्हें इसकी जानकारी तक नहीं है.

इस मामले को खुद बीजेपी विधायक उमाकांत शर्मा ने विधानसभा में उठाया था जिसके जवाब में खनिज मंत्री बिजेंद्र प्रताप सिंह
ने बताया था कि 1 साल में सिरोंज जिला पंचायत में 5976 लोगों को 30 करोड़ 40 लाख की राशि दी गई है. कोरोना काल में साल भर में 1 तहसील में हजारों शादियों पर विधानसभा अध्यक्ष ने भी हैरत जताई थी. मामले में राज्य के कद्दावर मंत्री मंत्री के रिश्तेदार सिरोंज जनपद पंचायत सीईओ शोभित त्रिपाठी और दो बाबुओं को ईओडब्ल्यू ने गिरफ्तार कर लिया है. सरकार कह रही है किसी को बख्शा नहीं जाएगा, वहीं कांग्रेस कह रही है सरकार रसूखदारों को बचाने में जुटी है.

कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग ने कहा, “हम मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार के मामलों में जीरो टोलरेंस पर काम कर रहे हैं. व्यवस्था में गलती होती है तो तत्काल कार्रवाई करते हैं. हम कटिबद्ध हैं. सुशासन के लिये सरकारी योजना में कोई भ्रष्टाचार करता है तो उसे बख्शा नहीं जाएगा.”

वहीं कांग्रेस प्रवक्ता नरेन्द्र सलूजा ने कहा, “सिरौंज में जो घोटाला हुआ है, निश्चित तौर पर कोरोना काल में भी घोटाला चालू रहा है. इसमें भाजपा की गुटबाजी भी सामने आई है. निश्चित तौर पर भाजपा में एक वरिष्ठ मंत्री को निपटाने और उलझाने की तैयारी सरकार कर रही है.”

बहरहाल ये रैकेट इतना शातिर था कि लोगों को निशाना बनाया जाता था जिनके 5 से 7 बच्चे हैं, जो अनपढ़ हैं ताकी दस्तावेज लेने के बाद राशि न मिलने पर वो इस डर में शिकायत न कर सकें कि दूसरी योजनाओं से वंचित रह जाएंगे. अनपढ़ होने के कारण ऐसे परिजनों ने पुलिस थाने में जाकर कोई शिकायत भी दर्ज नहीं कराई. 90 गांवों तक दलालों ने नेटवर्क बना रखा था, हर मामले में इन दलालों को 15-20,000 रु तक दिया जाते थे. मध्यप्रदेश में 52 जिले 428 तहसील हैं. एक तहसील में 30 करोड़ का घोटाला हुआ है. फिलहाल जांच के दायरे में वो 11 बैंक और उनके कर्मचारी भी हैं, जहां से राशि निकाली गई है.