मुजफ्फरनगरः यूपी में कई माफिया और गैंगस्टर हुए हैं। सभी माफियाओं की अपनी सल्तनत रही। लेकिन पश्चिमी यूपी का सुशील मूंछ गैंग-199 का ऐसा सरगना था, जिसके नाम अपराध की दुनिया में तूती बोलती थी। रसूख ऐसा था कि उसका नाम सुनते ही पुलिस अलर्ट हो जाती थी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में हत्या, लूट और डकैती सहित विभिन्न आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे चुके मूंछ पर 49 मुकदमे है। पुलिस ने गैंगस्टर एक्ट में मूंछ की 90 करोड़ की संपत्ति कुर्क की है। 6 अगस्त 2022 को अंबेडकर नगर जेल से रिहा होने के बाद से मूंछ अंडरग्राउंड चल रहा है।
मूंछ ने 1973 में रखा था क्राइम की दुनिया में कदम
माफिया डॉन मूंछ ने अब से करीब 50 साल पहले भैंसी के कलीराम की हत्या से क्राइम की दुनिया में कदम रखा था, लेकिन उस केस में उसका नाम नहीं खुला था। 1983 में मूंछ ने छात्र रहते महेश शुक्ला की हत्या की। उसके विरुद्ध थाना सिविल लाइन में हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ था।
कैसे नाम पड़ा सुशील मूंछ
सुशील जब मुजफ्फरनगर के जाट कॉलेज में पढ़ता था तो उसका नाम मूंछ पड़ा। उस समय सुशील नाम के दो छात्र क्लास में थे, लेकिन मूंछ होने के कारण उसका नाम सुशील मूंछ पड़ा। वहीं पर एक बार सुरेंद्र कूकड़ा, शोभाराम यादव और उदयवीर केल ने उस पर हमला भी किया था।
1991 मे कर दी थी गई सुरेंद्र कूकड़ा की हत्या
सुशील मूंछ ने 1991 में पूर्व ब्लॉक प्रमुख सुरेंद्र कूकड़ा की उसके 4 साथियों सहित नई मंडी में हत्या कर दी थी। इस हत्याकांड में भूपेन्द्र बाफर, यशपाल राठी व धर्मेन्द्र हिसावतड़ी भी उसके साथ थे। सुरेंद्र कूकड़ा और सुशील मूंछ के बीच लंबे समय तक गैंगवार के चलते एक दर्जन हत्याएं हुई। सुरेंद्र कूकड़ा के लड़के कुलदीप की हत्या 1997 में हुई।
सुशील का नाम आया सामने 1999 में सुरेंद्र कूकड़ा के लड़के कुलदीप के दोस्त नवीन और मनीष निवासी मीरापुर की हत्या सुशील मूंछ गैंग थाना खतौली क्षेत्र में की थी। इससे पहले 1992 में वकील हरि गर्ग तथा 1994 में उनके भाई की हत्या में सुशील मूंछ का नाम आया। उन दिनों वह देहरादून जेल में ही था। 2003 में मूंछ जेल से बाहर आया और 5 साल तक अपराध करता रहा। 1998 से कुख्यात नफीस कालिया से मूंछ का गैंगवार चला। इसमें पहले उसने नफीस के साथियों को एक-एक कर मरवाया। 2004 में नफीस की भी हत्या कर दी गई।
1997 के गैंगस्टर मामले में नहीं हुआ पेश
दरअसल, मुजफ्फरनगर के रतनपुरी थाना क्षेत्र के मथेडी गांव निवासी प्रदेश स्तर पर चिन्हित माफिया सुशील मूंछ पर नई मंडी थाना में वर्ष 1997 में एक गैंगस्टर का मुकदमा दर्ज हुआ था। इस मामले कोर्ट में पेश न होने पर अदालत ने सुशील मूंछ को भगोड़ा घोषित कर दिया।