अभी अभीः भारत में वैज्ञानिकों ने दी बडे भूकंप की चेतावनी, संभल कर रहें, आने वाली है बडी तबाही

Just now: Scientists in India warn of major earthquake, be careful, major devastation is coming
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नई दिल्ली। नेपाल में आए जोरदार भूकंप में अब तक 130 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। 6.4 तीव्रता वाले भूकंप के झटकों से उत्तर भारत भी हिल गया। बीते कुछ महीनों में कई बार दिल्ली एनसीआर और उत्तर भारत में कई बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। ज्यादातर भूकंप का केंद्र हिंदुकुश में होता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हमें बड़े भूकंप के लिए तैयार रहना चाहिए। हिमालयी क्षेत्र में इंडियन टेक्टोनिक और यूरेशियन प्लेट के बीच टकराव की वजह से कभी भी बड़ा भूकंप आ सकता है।

क्या है भूकंप की वजह
इंडिया टु़डे की रिपोर्ट के मुताबिक सीस्मोलॉजिस्ट ने कहा है कि नेपाल में केंद्रीय बेल्ट में ऐक्टिव एनर्जी रिलीजिंग सेक्टर है। उन्होंने कहा कि 3 अक्टूबर को भी नेपाल में लगातार कई भूकंप के झटके लगे थे। यह भूकंप भी उसी इलाके में आया था जहां अब आया है। यह इलाका नेपाल की सेंट्रल बेल्ट में पड़ता है। बताया जाता है कि करोड़ों साल पहले इंडियन प्लेट के सागर से उत्तर की तरफ खिसकने और यूरेशियन प्लेट से टकराने की वजह से ही हिमालय बना था। वैज्ञानिकों के मुताबिक इंडियन प्लेट अब भी उत्तर की तरफ खिसक रही है और ऐसे में हिमालय के नीचे ऊपर की तरफ दबाव बन रहा है। यह दबाव किसी बड़े भूकंप का रूप ले सकता है। हालांकि यह नहीं कहा जा सकता कि बड़ा भूकंप कब आएगा।

दरअसल धरती के अंदर सात प्लेट्स हैं जो कि चलायमान रहती हैं। इन प्लेटों के बीच टकराव होता है तो दबाव पैदा हो जाता है और प्लेटें टूटने लगती हैं। जब नीचे की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है तो भूकंप बन जाता है। जहां से यह एनर्जी रिलीज होती है वहां सबसे ज्यादा कंपन होता है और भूकंप की तीव्रता सबसे ज्यादा होती है। केंद्र से दूरी बढ़ने पर इसका प्रभाव भी कम हो जाता है। भूकंप का केंद्र जितना गहराई में होता है भूकंप का असर भी उतना ज्यादा दूर तक होता है।

रिक्टर मैग्नीट्यूट टेस्ट स्केल से भूकंप की तीव्रता मापी जाती है। भूकंप की तीव्रता अगर 0 से 1.9 के बीच होती है तो इसे सीज्मोग्राफ से ही पता लगाया जा सकता है। यह महसूस नहीं होता। 2 से 2.9 के बीच भूकंप से हल्का कंपन महसूस होता है। 3 से 3.9 के बीच होने से हल्का चक्कर आने जैसा हो सकता है। 4 से 4.9 तीव्रता होने पर पंखे हिलने लगते हैं। 5 से 5.9 तीव्रता होने पर फर्नीचर गिर सकते हैं। 6 से 6.9 की तीव्रता से इमारतों में दरार आ जाती है। 7 से 7.9 तीव्रता होने पर इमारतें गिर जाती हैं। 8 से 8.9 तीव्रता पर इमारतें और बड़े-बड़े पुल बी गिर जाते हैं। अगर 9 से ज्यादा तीव्रता का भूकंप आ गया तो सुनामी का खतरा बन जाता है।