मंगल का रहस्यमयी चांद असल में एक धूमकेतु है! नई खोज से तार-तार हुईं पुरानी धारणाएं

Mars' mysterious moon is actually a comet! Old beliefs shattered by new discovery
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Phobos and Deimos: मंगल का उपग्रह फोबोस शायद एक धूमकेतु हो! यह किसी धूमकेतु का एक टुकड़ा भी हो सकता है जो मंगल के गुरुत्वाकर्षण में उलझ गया. कुछ अप्रकाशित तस्वीरों के आधार पर एक स्टडी में वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है. दशकों से वैज्ञानिक फोबोस और उसके जुड़वा डेमोस की उत्पत्ति को लेकर जूझते रहे हैं. कुछ का कहना था कि ये दोनों चंद्रमा पहले एस्टेरॉयड थे जिन्हें मंगल ने गुरुत्वाकर्षण के जाल में फंसा लिया. इसके पीछे यह तर्क दिया गया कि दोनों उपग्रहों का केमिकल कंपोजिशन उन चट्टानों जैसा है जो मंगल और बृहस्पति के बीच मौजूद एस्टेरॉयड बेल्ट में पाई जाती हैं. हालांकि, जब कंप्यूटर मॉडल्स से इस प्रक्रिया को सिमुलेट किया गया तो उपग्रहों की वृत्ताकार कक्षा नहीं बनी. कुछ वैज्ञानिकों की कल्पना थी कि फोबोस और डेमोस का जन्म हमारे चंद्रमा की तरह बड़ी टक्कर से हुआ. लेकिन फोबोस का केमिकल कंपोजिशन मंगल से अलग है जो इस संभावना को भी खारिज कर देता है. अब यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) के Mars Express स्पेसक्राफ्ट से ली गईं तस्वीरों के आधार पर फ्रांसीसी वैज्ञानिकों ने नई थ्‍योरी पेश की है.

नए मिशन के लिए पुरानी फोटोज खंगालते समय हुई खोज!
फोबोस का जन्म कैसे हुआ? जापान की एजेंसी अपने Martian Moons eXploration (MMX) मिशन यही पता लगाने की कोशिश करेगी. यह मिशन 2026 में लॉन्च होना है. इस मिशन की इंस्ट्रूमेंट साइंटिस्ट पेरिस सिटी यूनिवर्सिटी में एस्ट्रोनॉमी प्रोफेसर सोनिया फोर्नासियर हैं. वह और उनकी टीम स्पेसक्राफ्ट का रास्ता तय करने के लिए कुछ तस्वीरों की स्टडी कर रहे थे. तभी फोर्नासियर को उन तस्वीरों में कुछ अजब दिखा. वे तस्वीरें ESA के मार्स एक्सप्रेस स्पेसक्राफ्ट ने ली थीं. 2003 से यह ऑर्बिटर मंगल और उसके उपग्रहों का अध्ययन कर रहा है. करीब 300 तस्वीरों में फोबोस के कई फीचर्स दर्शाए गए हैं. इनमें 9 किलोमीटर चौड़ा स्टिकनी क्रेटर भी शामिल है जो फोबोस का सबसे बड़ा लैंडमार्क है.

फोर्नासियर ने इन तस्वीरों के जरिए अलग-अलग कोण से सूर्य के प्रकाश की तीव्रता मापी जिसे फोबोस परावर्तित कर रहा था. इस तकनीक को फोटोमेट्री कहते हैं. इससे वैज्ञानिकों को यह पता चला कि जब सूर्य फोबोस के ठीक सामने था, तब उसने कितनी रोशनी परावर्तित की. रिसर्चर्स ने पाया कि फोबोस की सतह से प्रकाश का परावर्तन एकसमान नहीं था. कुछ क्षेत्रों से प्रकाश का तीव्र परावर्तन हो रहा था. जब सूर्य एकदम सिर पर था, तब फोबोस की सतह कहीं ज्यादा चमकीली मालूम हुई. ऐसा गुण हमारे सौरमंडल के उन पिंडों में मिलता है जहां हवा नहीं है. रिसर्चर्स को यह भी पता लगा कि फोबोस की सतह रेत जैसी भुरभुरी है. इस आधार पर वैज्ञानिकों ने कहा कि फोबोस की सतह शायद धूल की मोटी चादर में छिपी हो.

एक ही धूमकेतु से बने मंगल के दोनों उपग्रह!
फोबोस के ये दोनों गुण जुपिटर-फैमिली के कॉमेट्स (धूमकेतुओं) में पाए जाते हैं. इनमें 67P धूमकेतु भी शामिल है जिसके फोटोमीट्रिक गुण फोबोस से हूबहू मेल खाते हैं. वैज्ञानिकों की टीम ने निष्कर्ष निकाला कि फोबोस शायद एक धूमकेतु है जिसे मंगल ने दबोच लिया. इस स्टडी से डेमोस को लेकर हमारी समझ में बदलाव आ सकता है. फोर्नासियर ने कहा कि अगर फोबोस कभी एक धूमकेतु था, तो शायद डेमोस भी रहा हो. स्टडी के आधार पर, फोर्नासियर की टीम ने सुझाया कि शायद ये दोनों उपग्रह कभी एक धूमकेतु रहे होंगे जो फंस गया होगा. बाद में मंगल के गुरुत्वाकर्षण की वजह से धूमकेतु दो टुकड़ों में टूट गया होगा.