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मुजफ्फरनगर जनपद में गन्ने का क्षेत्रफल बढ़ने के बावजूद भी पैदावार घट गई है। पिछले सात सालों में इस बार गन्ने की सबसे कम पैदावार हुई है। मिलों में चीनी का उत्पादन भी बीते दस सालों में सबसे कम हुआ है। अत्यधिक बारिश और बाढ़ का सीधा असर गन्ने के उत्पादन पर पड़ा है।
जिले की चीनी मिलों में इस सत्र में गन्ने की आपूर्ति पिछले पेराई सत्र के मुकाबले 115 लाख क्विंटल कम हुई है। सत्र 2022-23 में सभी आठ चीनी मिलों में किसानों ने 1035 लाख क्विंटल गन्ने की आपूर्ति की थी। यही नहीं तब चीनी मिलों में एथेनॉल बनाया जा रहा था, इसके बाद भी चीनी का उत्पादन 105 लाख क्विंटल तक पहुंच गया था।वर्तमान सत्र में जिले की आठ चीनी मिलों में गन्ने की आपूर्ति केवल 920 लाख क्विंटल हुई है जो पिछले सत्र के मुकाबले 115 लाख क्विंटल कम है। जबकि इस बार केंद्र सरकार के निर्देश के बाद चीनी मिलों में एथेनॉल का निर्माण भी बंद है, इसके बावजूद चीनी का निर्माण 100 लाख क्विंटल ही हो पाया है।
जिले में इस तरह बढ़ा गन्ना क्षेत्रफल
वर्ष गन्ना क्षेत्रफल (हेक्टेयर में)
2019-20 एक लाख 49 हजार
2020-21 एक लाख 64 हजार
2021-22 एक लाख 67 हजार
2022-23 एक लाख 71 हजार
2023-24 एक लाख 76 हजार
मिलों में गन्ना खरीर और चीनी उत्पादन
वर्ष गन्ना खरीद चीनी उत्पादन
2017-18 932 104
2018-19 913 105
2019-20 1057 122
2020-21 1001 114
2021-22 981 103
2022-23 1035 105
2023-24 920 100
नोट- गन्ना खरीद और चीनी उत्पादन लाख क्विंटल में
बाढ़ और बारिश से घटा उत्पादन
जिला गन्ना अधिकारी संजय सिसौदिया का कहना है कि जनपद में अत्यधिक बारिश और बाढ़ के कारण गन्ने की पैदावार प्रभावित हुई है। जनपद में क्षेत्रफल अधिक होने के बाद भी पैदावार गत वर्षों से कम रही। गन्ने की आपूर्ति कम होने से मिलों में चीनी का उत्पादन कम हुआ।
अप्रैल में ही हो गया सत्र का समापन
लंबे समय बाद जिले में चीनी मिलों के सत्र का समापन अप्रैल माह में ही हो गया है। जिले की आठ में से छह चीनी मिल बंद हो चुकी हैं। तितावी मिल एक मई की रात में बंद हो जाएगी। केवल खतौली चीनी मिल पांच मई तक चलेगी। 2009 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है जब चीनी मिलों में पेराई सत्र इतनी जल्दी पूरा हुआ है।