अभी अभीः कोरोना की चौथी लहर से दुनिया में दहशत, रीकॉम्बिनेंट वेरियेंट की तबाही से कांप रहे लोग

Right now: Panic in the world due to the fourth wave of Corona, people trembling due to the devastation of the recombinant variant
Right now: Panic in the world due to the fourth wave of Corona, people trembling due to the devastation of the recombinant variant
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नई दिल्ली: सार्स-कोव2 के कुछ हाइब्रिड वेरियेंट्स को पहले तो सामान्य बताते हुए खारिज किया गया, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) अब इसका कड़ाई से परीक्षण कर रहा है। ये मूल रूप से नए वेरियेंट्स हैं जिनमें दो या ज्यादा मौजूदा वेरियेंट्स के गुण पाए जाते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि समय रहते नए वेरियेंट्स की पहचान करना जरूरी है क्योंकि इसमें एंटिबॉडी को भी मात देने की क्षमता हो सकती है। अगर जांच में यह साबित हो गया तो इसका मतलब है कि वेरियेंट्स उन लोगों को भी संक्रमित करेंगे जिनमें कोरोना से संक्रमण या वैक्सीन लेने से एंटिबॉडी विकसित हुई है।

अब आ गए डेल्टा-ओमीक्रॉन, दोनों के गुण वाले वेरियेंट्स
अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस और इजरायल जैसे देशों में इन रीकॉम्बिनेंट वेरियेंट्स (Recombinant Variants) की पहचान हो चुकी है। वहां कोविड संक्रमित कुछ लोगों में ये नए वेरियेंट्स पाए जा रहे हैं। ये नए वेरियेंट्स में डेल्टा और ओमीक्रॉन, दोनों के गुण हैं। जहां तक बात भारत की है तो यहां अभी तक इन रीकॉम्बिनेंट वेरियेंट्स का एक भी मामला सामने नहीं आया है। इंस्टिट्यूट ऑफ लीवर एंड बिलियरी साइंसेज (ILBS) के वीसी डॉ. एसके सरीन ने कहा कि देश में जीनोम सिक्वेंसिंग पर गहनता से काम हो रहा है, लेकिन अब तक एक भी केस नहीं मिला जिसमें नए वेरियेंट्स का सबूत मिला हो।

लापरवाही पड़ेगी भारी, फिर चौथी लहर की बारी
उन्होंने कहा, ‘डॉ. एकता गुप्ता की अध्यक्षता वाले हमारे वायरॉलजी लैब में जीनोम सिक्वेंसिंग के ताजा परिणाम बताते हैं कि करीब 98% मरीज बीए.2 वेरियेंट से संक्रमित हो रहे हैं जबकि बाकी में बीए1 का संक्रमण है। ये दोनों ओमीक्रॉन वेरियेंट्स के सब-लीनिएज हैं।’ हालांकि, डॉ. सरीन का कहना है कि हमें किसी तरह की खुशफहमी नहीं पालनी चाहिए। उनका कहना है कि हमें नए वेरियेंट्स पर कड़ी नजर रखनी होगी जो कोविड-19 महामारी की चौथी लहर का कारण बन सकते हैं।

वेरियेंट्स पर रखनी होगी नजर

दुनियाभर में कोरोना के मामले फिर बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक, ताजा लहर ओमीक्रॉन के सब लीनिएज बीए2 वेरियेंट के कारण आई है। देश की टॉप वायरॉलजिस्ट डॉ. गगनदीप कांग ने कहा कि देश में कोविड की तीसरी लहर के वक्त बीए2 से संक्रमित मरीजों की संख्या भारी तादाद में पाई गई थी। वो कहती हैं, ‘लोग उसी वेरियेंट से दोबारा संक्रमित हों जिससे वो पहले हो चुके हैं, इसकी आशंका बहुत कम रहती है। हमें नए वेरियेंट पर नजर रखनी होगी।’

भारत में सभी व्यस्कों को मिले बूस्टर डोज
भारत में करीब 84 प्रतिशत व्यस्क आबादी को कोविड टीके की दोनों डोज लग चुकी है जबकि 60 वर्ष से ऊपर की उम्र के बुजुर्गों को प्रिकॉशन या बूस्टर डोज भी दी जा रही है। इम्यूनोलॉजिस्ट और एम्स के पूर्व डीन डॉ. एनके मेहरा का कहना है कि बूस्टर डोज के रूप टीके की तीसरी खुराक सभी व्यस्कों को दी जानी चाहिए, खासकर जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है। वो कहते हैं, ‘कमजोर इम्यूनिटी वाले कोविड संक्रमित मरीजों में वायरस लंबे समय तक मौजूद रह सकता है, भले ही उनमें लक्षण कमजोर पड़ जाएं। इस कारण उनसे दूसरों के संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है और नए रीकॉम्बिटेंट वेरियेंट्स के उभार का भी खतरा पैदा हो जाता है।’

WHO भी कर रहा है आगाह
दरअसल, जब वायरस अपनी ही कॉपी बना लेता है तो कई बार उसमें थोड़ा बदलाव हो जाता है। इन्हीं बदलावों को म्यूटेशन कहा जाता है। एक या ज्यादा नए म्यूटेशन वाले वायरस को वेरियेंट कहा जाता है। डब्ल्यूएचओ ने यह बताते हुए कहा है कि ये मूल वायरस के ही वेरियेंट कहलाते हैं। वैश्विक स्वास्थ्य संस्था के मुताबिक, वायरस जितना ज्यादा फैलेगा, उसके रूप बदलने की आशंका भी ज्यादा होगी।

रूप बदलना वायरस का गुण
WHO की कोविड-19 टेक्निकल लीड मारिया वान केरखोव ने हाल ही में कहा था कि डेल्टा एवाई.4 और ओमीक्रॉन बीए.1 के संयोजन से बने वेरियेंट का पता चला है। डेल्टा और ओमीक्रॉन के संयोजन की आशंका तो थी ही क्योंकि दोनों वेरियेंट्स का तेज प्रसार हुआ था। उन्होंने कहा कि हमें गंभीर बीमारी पैदा करने वाले नए वेरियेंट्स तो नहीं मिले, लेकिन अब भी कई अध्ययन के परिणाम सामने आने हैं। दुर्भाग्य से हमें रीकॉम्बिनेंट्स की आशंका थी क्योंकि वायरस यही करते हैं। वो समय के साथ-साथ अपना रूप बदलते रहते हैं।