सारे सस्पेंस खत्म पर वसुंधरा और शिवराज का क्या होगा? कहीं नाराज तो नहीं आलाकमान

What will happen to Vasundhara and Shivraj when all the suspense is over? Is the high command angry somewhere?
What will happen to Vasundhara and Shivraj when all the suspense is over? Is the high command angry somewhere?
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नई दिल्ली: तीनों राज्यों में चौंकाते हुए भाजपा ने नए चेहरों को कमान सौंपी है. इसके बाद राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, मध्य प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और छत्तीसगढ़ में पूर्व सीएम रमन सिंह एक तरह से ‘खाली’ हो गए हैं. ये सभी सीएम के दावेदार बताए जा रहे थे. ऐसे में जब से पत्ता कटा है सियासी गलियारों ही नहीं, आम जनता के मन में भी सवाल है कि अब इनका क्या होगा? क्या किसी राज्य के गवर्नर बनाए जाएंगे या अभी सक्रिय पॉलिटिक्स में बने रहेंगे और दिल्ली में तैनाती मिल सकती है. ऐसे कई सवाल सियासी फिजा में तैर रहे हैं. बतौर सीएम अंतिम प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब यही सवाल किया गया तो शिवराज ने कहा कि मेरी भूमिका एक कार्यकर्ता की है… भाजपा में हर कार्यकर्ता के लिए काम है और जो भी पार्टी काम देगी वो काम मैं करूंगा. लोकसभा चुनाव लड़ने के सवाल पर वह खामोश रहे. उन्होंने आगे कहा कि मेरे बारे में कोई भी फैसला पार्टी करती है. हालांकि ‘मरना पसंद करूंगा’ वाली बात पार्टी हाईकमान को चुभ भी सकती है.

अटल-आडवाणी ने चुना था

शिवराज 18 साल एमपी के मुख्यमंत्री रहे, वसुंधरा दो कार्यकाल राजस्थान की मुखिया रहीं. एक समय दोनों भाजपा के स्टार लीडर हुआ करते थे जिन्हें अटल-आडवाणी ने चुना था. दोनों ही क्षेत्रीय क्षत्रप बनकर उभरे. पार्टी को जीत दिलाई और पिछले चुनाव में जब हारे तो सीन ‘ब्लैक एंड वाइट’ हो गया.

64 के चौहान, राजे 70 की

फिलहाल भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने इस बात का खुलासा नहीं किया है कि दोनों पूर्व सीएम के लिए आगे क्या प्लान है. चौहान 64 साल के हैं और राजे की उम्र 70 हो चुकी है. हालांकि इन्हें जनता का मजबूत समर्थन अब भी हासिल है. ऐसे में ‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने कुछ भाजपा नेताओं के हवाले से संभावना जताई है कि दोनों क्षत्रपों को पार्टी आलाकमान पार्टी या केंद्र सरकार में नई भूमिका दे सकता है. राज्यों में जाने से पहले दोनों नेता केंद्र सरकार में रहे भी हैं. पार्टी के अंदर के लोगों का कहना है कि 2014 में जब मोदी सरकार पहली बार सत्ता में आई तभी राजे को केंद्र में पद ऑफर किया गया था लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया.

राजे का दबदबा

इस समय पार्टी पर नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी का नियंत्रण है फिर भी राजस्थान में अपने गढ़ में राजे का दबदबा बरकरार रहा. विधायकों समेत पार्टी नेताओं का एक बड़ा तबका उनके प्रति आज भी वफादार है. ऐसे में उनकी प्रासंगिकता लगातार बनी रही. हालांकि 2018 में अशोक गहलोत की जीत के बाद से ही केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य में फ्रेश लीडरशप को लाना शुरू कर दिया था.

शिवराज की लोकप्रियता

एमपी में शिवराज ने सीएम के तौर पर लंबा कार्यकाल पूरा किया. एक हार के बाद कांग्रेस में सिंधिया के बगावत करने के बाद राज्य में फिर से भाजपा सरकार बनी लेकिन शिवराज की छवि को धक्का लगा. फिर भी महिलाओं पर केंद्रित कल्याणकारी योजनाओं के जरिए शिवराज अपनी लोकप्रियता बनाए रखने में कामयाब रहे हैं. कल जब वह सीएम के तौर पर विदा हो रहे थे तो महिलाएं फफक कर रो पड़ीं. शिवराज भी भावुक हो गए.

अब बीजेपी ने दोनों राज्यों में जनरेशन शिफ्ट किया है. दोनों दिग्गजों के भविष्य को लेकर नेताओं में भी आम राय नहीं है. भाजपा के वरिष्ठ नेता ने ‘एक्सप्रेस’ से कहा कि ऐसा लगभग असंभव है कि उन्हें कोई जिम्मेदारी या महत्वपूर्ण काम न दिया जाए. उन्होंने कहा, ‘वे (चौहान और राजे) बिना काम के नहीं रहेंगे. काम क्या होगा, क्या वे इसे स्वीकार करेंगे या उन्हें यह कब दिया जाएगा, ऐसे सवालों का मैं अभी जवाब नहीं दे सकता. हमारा संगठन ऐसा है जो कार्यकर्ताओं का सम्मान करता है और अच्छे फॉलोअर्स वाले शीर्ष नेताओं को एक्टिविटीज से दूर नहीं रखा जा सकता.’

ऑफर ठुकराया तो…

वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि कई लोगों का मानना है कि दोनों राज्यों में जनादेश इन नेताओं के लिए है। उन्होंने कहा, ‘अगर वे ऑफर की गई पेशकश को स्वीकार नहीं करते हैं तो निर्णय लेने में ज्यादा समय लग सकता है.’ भाजपा नेता ने कहा कि असाइनमेंट केंद्र सरकार में हो सकता है।

पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा कि चौहान को केंद्र में मौका मिल सकता है और इसे स्वीकार करना या ठुकराना पूरी तरह से उनके ऊपर है। पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी ने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ से दावा किया कि अपनी भविष्य की योजनाओं के बारे में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज की सार्वजनिक रूप से की गई टिप्पणी केंद्रीय नेतृत्व को शायद ठीक न लगी हो. ऐसे में इस बात की संभावना कम लग रही है कि उन्हें अब दिल्ली में मौका मिलेगा. एक दिन पहले दिल्ली जाने के सवाल पर शिवराज ने कह दिया था कि अपने लिए कुछ मांगने दिल्ली जाने से पहले मैं मरना बेहतर समझूंगा.