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टोक्यो। पूर्वी प्रशांत महासागर में अमेरिका, चीन और रूस के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है। अमेरिकी परमाणु बॉम्बर्स और युद्धपोत की लगातार घुसपैठ के बाद अब रूस ने अपने दोस्त चीन के साथ मिलकर इस पूरे इलाके की घेराबंदी शुरू कर दी है। इस समय रूस और चीन के 10 युद्धपोत जापान के चारों तरफ गश्त लगा रहे हैं। आशंका जताई जा रही है कि जल्द ही पूर्वी चीन सागर, जापान सागर और दक्षिणी चीन सागर में अमेरिका-जापान और रूस और चीन की नौसेनाएं आमने-सामने आ सकती हैं।
रूस-चीन के युद्धपोतों ने बढ़ाई इलाके में टेंशन
डिफेंस वेबसाइट ड ड्राइव ने बताया कि भले हीं रूस और चीन के युद्धपोत जापान को पूरी तरह से न घेर पाएं, लेकिन इससे दोनों देशों की नौसेनाओं की साथ काम करने की क्षमता जरूर प्रदर्शित होती है। कुछ दिनों पहले ही रूस और चीन की नौसेनाओं ने जापान सागर में एक साथ युद्धाभ्यास शुरू किया था। इस युद्धाभ्यास का मकसद थल सेना और वायु सेना के बाद नौसेना की संयुक्त कार्रवाई की क्षमता को बढ़ाना है।
जापानी रक्षा मंत्रालय ने बढ़ाई निगरानी
जापानी रक्षा मंत्रालय ने बताया कि उसने स्मिथ द्वीप और तोरीशिमा द्वीप के बीच पश्चिम से गुजरने वाले चीनी और रूसी जहाजों की निगरानी की है। यह इलाका होन्शू से 300 मील दक्षिण में एक अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र है। चीन और रूस के ये 10 युद्धपोत 18 अक्टूबर को पहले तो प्रशांत महासागर में गश्त की। इसके बाद ये त्सुगारू जलडमरूमध्य के जरिए पूर्वी इलाके में आए। यह जलडमरूमध्य होन्शू और होक्काइडो को एक दूसरे से अलग करता है।
अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में गश्त कर रहे रूस-चीन
जापान ने यह भी बताया कि गश्त के दौरान रूस और चीन के युद्धपोत अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में ही मौजूद रहे। इसमें त्सुगारू जलडमरूमध्य का इलाका भी शामिल है। यह इलाका अपने सबसे कम फैलाव पर केवल 12 मील ही चौड़ा है। कोई भी देश अपनी प्रादेशिक जलसीमा यानी टेरोटोरियल वाटर को तट से अधिकतम 3 मील से 12 मील तक तय कर सकता है। इस इलाके में केवल दोस्त देशों के जहाज ही अनुमति लेकर घुस सकते हैं। हालांकि जापान इस जलडमरूमध्य में केवल 3 मील को ही अपना इलाका बताता है।
जापान ने अमेरिका के कारण अपनी जलसीमा घटाई
जापान की अपनी प्रादेशिक जलसीमा केवल 3 मील रखने के पीछे भी अमेरिका का हाथ है। जापान में ऐसा कानून है कि दुनिया के किसी भी देश का परमाणु शक्ति संचालित युद्धपोत या पनडुब्बी परमाणु हथियारों के साथ उसके प्रादेशिक जलसीमा में नहीं घुस सकता है। जापान में अमेरिकी नौसेना का सातवें बेड़े का मुख्यालय भी है। ऐसे में अमेरिकी परमाणु पनडुब्बियों और हथियारों से लैस युद्धपोतों के सुरक्षित आवागमन को लेकर जापान ने अपनी प्रादेशिक जलसीमा को केवल 3 मील ही रखा है।
जापान के रक्षा की जिम्मेदारी अमेरिका पर
अमेरिका ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान परमाणु हमले के बाद जापान की रक्षा का समझौता किया था। 8 सितंबर 1951 को जापान और अमेरिका के बीच संधि पर हस्ताक्षर किया गया था। इसे सेनफ्रांसिस्को संधि के नाम से भी जाना जाता है। इस संधि में 5 अनुच्छेदों का उल्लेख किया गया है। इसमें अमेरिका को जापान में अपनी नौसेना का बेस बनाने का अधिकार भी शामिल है। इसमें जापान के ऊपर किया हमला अमेरिका पर हमला माना जाएगा और अमेरिकी सेना जापान की रक्षा करेगी।