हमीरपुर: उत्तर प्रदेश के हमीरपुर समेत समूचे सूबे में संचालित 19 हजार ईंट भट्ठों को अब बंद करने की तैयारी से लाखों मजदूरों की चिंताएं बढ़ गई है। जीएसटी के दायरे में ईंट भट्ठों के आने और एक फीसदी जीएसटी बढ़ाए जाने के कारण ईंट निर्माता संघ ने एक अक्टूबर से साल भर तक ईंट भट्टे बंद करने का एलान भी कर दिया है। इस फैसले से यहां अकेले हमीरपुर में पांच हजार से अधिक मजदूरों के घरों के चूल्हे नहीं जल सकेेंगे। इसे लेकर उनके परिवारों में अभी से मायूसी छा गई है।
बुन्देलखंड क्षेत्र में पलायन रोकने और मजदूरों को रोजगार देने के लिए उद्योग स्थापित करने में सरकार बड़ी रियायतें दी रही है वहीं हमीरपुर जिले में वर्षों से संचालित दो दर्जन ईंट भट्ठों को जीएसटी के दायरे में लाए जाने से ईंट निर्माताओं को बड़ा झटका लगा है। इन भट्ठों में पांच हजार से अधिक मजदूर काम करते है। मौदहा क्षेत्र में ही सर्वाधिक ईंट भट्ठे संचालित हो रहे है। चन्द्रावल नदी के किनारे खासकर नारायण, मवईयां, छिरका, मदारपुर, सिजनौड़ा, परछा, पढ़ोरी आदि गांवों में ही ईंट पथाई की मिट्टी होने के कारण एक ही समय में 24 ईंट भट्ठे चल रहे है जिनमें पांच हजार से अधिक मजदूरों के परिवारों का भरण पोषण होता है लेकिन अब इन मजदूरों के बुरे दिन आने वाले है। क्योंकि ईंट निर्माता संघ ने बैठक में बड़ा फैसला लेते हुए ईंट भट्टों को बंद करने का एलान कर दिया है।
इधर मौदहा क्षेत्र के ईंट भट्ठों में काम करने वाले मजदूरों में घसीटा, रामबहादुर, रामऔतार व रामकिशन सहित अन्य कई मजदूरों ने बताया कि अभी तो ईंट भट्टों के बंद होने से परिवार अभी से चिंता में पड़ गया है। क्योंकि साल भर तक भट्टे बंद रहने के कारण भूखे मरने की नौबत आ जाएगी। मजदूरों ने बताया कि ईंट भट्टों के अलावा परिवार पालने के लिए कोई जरिया नहीं है ऐसे में आने वाले समय में कैसे परिवार का भरण पोषण होगा। ईंट निर्माता संघ के जिलाध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने बताया कि ईंट भट्ठों में क्षेत्र के हजारों गरीब लोग काम करते है। जिससे उनके परिवार का गुजर बसर होता है। लेकिन ईंट निर्माताओं के ईंट भट्टे बंद करने की मजबूरी से मजदूरों के चेहरे में अभी से मायूसी छा गई है। बताया कि एक ईंट भट्ठे में कम से कम ढाई सौ मजदूर काम करते है। वहीं प्रदेश में संचालित उन्नीस हजार ईंट भट्ठों में चार लाख से अधिक मजदूरों घर बैठ जाएंगे।
जीएसटी दरों में वृद्धि से ईंट निर्माता संघ भड़का
मौदहा कस्बे में ईंट निर्माता संघ की बैठक में चिंतन और मंथन के बाद सर्वसम्मति से ईंट भट्ठे बंद करने का फैसला संघ के जिलाध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने लिया है। उन्होंने गुरुवार को बताया कि केन्द्र सरकार ने जीएसटी की दरों में भारी वृद्धि कर दी है। पुरानी नीतियों के खिलाफ नियम और कोयले की ढाई सौ फीसदी कीमतों में बढ़ोत्तरी होने से अब कारोबार करना भी अब मुश्किल हो गया है। बताया कि शुरू में ईंट भट्ठों के लिए कम्पाउन्ड योजनाएं चल रही थी जिसे सरकार ने बंद कर ईंट भट्टों को जीएसटी के दायरे में अब ला दिया है।
साल भर तक ईंट भट्ठों का संचालन रहेगा ठप्प
ईंट निर्माता संघ के जिलाध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने बताया कि जीएसटी भी छह फीसदी कर दी गई है। जबकि बिल्डिंग मैटेरियल के दाम भी आसमान छूने के बाद भी ईंट के दाम वही के वही है। ग्राहकों के जीएसटी न देने के कारण भी ईंट भट्ठा मालिकों की स्थिति खराब है। बताया कि हमीरपुर समेत पूरे प्रदेश में 19000 ईंट भट्ठे है जिन्हें 1 अक्टूबर 22 से 30 सितम्बर 2023 तक बंद करने का फैसला लिया गया है। जिससे ईंट भट्टों में काम करने वाले चार लाख से अधिक मजदूर बेरोजगार हो जाएंगे।