65 साल की उम्र में 305 बच्चे, मध्य प्रदेश के इस पिता की कहानी आपको भावुक कर देगी

305 children at the age of 65, the story of this father from Madhya Pradesh will make you emotional
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उज्जैन: मध्यप्रदेश के उज्जैन में फादर्स-डे पर एक ऐसे पिता से मिलाते हैं, जो 65 साल की उम्र में 10 साल के बच्चे से लेकर 84 साल के बुजुर्गों के पिता हैं। यह समाज सेवी सुधीर भाई गोयल है और 2 देशों और 20 प्रदेशो में रहने वाले लोगों के लिए पिता की भूमिका निभा रहे हैं। इनमें नेपाल और बांग्लादेश के साथ मध्य प्रदेश, उड़ीसा, असम, पश्चिम बंगाल, गोवा, जम्मू, केरल, दिल्ली, चैन्नई, आंध्र प्रदेश शामिल हैं। इन लोगों ने सभी सरकारी दस्तावेजों पर भी पिता का नाम सुधीर भाई गोयल दर्ज कराया है। सुधीर भाई गोयल एक समाज सेवी है और सेवा धाम आश्रम चलाते हैं। इस आश्रम में 850 लोग रहते हैं जिसमें से 305 लोगों ने सुधीर भाई गोयल को अपना पिता माना है और अपने आधार कार्ड पर भी उन्हीं का नाम लिखवाया है।

उज्जैन शहर से 20 किलोमीटर दूर अंबोदिया ग्राम के सेवाधाम आश्रम को संचालित करने वाले सुधीर भाई गोयल के आश्रम में 850 लोग रहते हैं। इनमें से 305 ऐसे लोग हैं, जिन्होंने अपने आधार कार्ड में पिता के नाम के सामने सुधीर भाई का नाम अंकित कराया है। इसमें दस साल के बच्चे से लेकर 84 साल का बुजुर्ग भी शामिल है। अच्छी बात यह है कि सुधीर भाई को सभी अपने पिता के रूप में ही देखते हैं और पिताजी कहकर ही संबोधित करते हैं। बताया जाता है कि सुधीर भाई गोयल एक बार उज्जैन में मदर टेरेसा से मिले थे, तभी से उनका जीवन बदल गया। उन्होंने सोचा की जब विदेश से आई महिला अपना जीवन ऐसे लोगों को समर्पित कर सकती हैं तो मैं क्यों नहीं। वर्ष 1989 में घर रखे जेवरात और अपनी जमा पूंजी से छोटी से जमीन खरीदकर एक आश्रम की शुरुआत की। इसके बाद उनका परिवार बढ़ता चला गया। इस दौरान गोयल देश-विदेश के तिरस्कृत, दिव्यांग, सड़कों से मिले महिला-पुरुष को अपने आश्रम ले आए और सभी को अपने बच्चों की तरह दुलार दिया। आश्रम में बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं को रहने के लिए अलग-अलग विंग बनाया है। जब भी सुधीर भाई आश्रम के किसी विंग में जाते हैं तो उन्हें हर कोई पिताजी कहकर पुकारता है।

आश्रम में ही बनवाया शमशान, कहा- मौत के बाद यही रहना चाहता हूं।

गोयल ने करीब 300 स्क्वायर फीट का एक बड़ा शेड बनवाया है। सुधीर भाई की एक इच्छा है कि मौत के बाद भी वह अपने बच्चों के साथ पिता बनकर ही रहें। इसलिए उन्होंने जिंदा रहते ही आश्रम में अपने अंतिम संस्कार की जगह तय कर दी है। यहीं पर वे अपना अंतिम संस्कार करवाना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने अपना एक बड़ा फोटो पहले ही लगवा दिया है। इस स्थान पर उन्होंने लिखवा दिया है कि मैंने अपना अंतिम स्थान, अंतिम अभिलाषा के साथ तय कर लिया है, ताकि मरने के बाद भी मैं यहां रहने वाले सभी की सेवा कर सकूं। उनका कहना है कि मैं यहीं रहकर मौत के बाद भी पिता के रूप में अपने इस परिवार को नहीं छोड़ना चाहता हूं।

84 साल के बुजुर्ग को माना बेटा

सुधीर भाई गोयल देश के शायद एक मात्र ऐसे समाजसेवी है, जिन्होंने 84 साल के बुजुर्ग को भी अपना बेटा माना है। अंकितग्राम, सेवाधाम आश्रम के संस्थापक सुधीर भाई गोयल का कहना है कि बीते 35 वर्षों में 3 हज़ार लोगों का उनके धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार कराया और 5 हज़ार से अधिक लोगों का पुनर्वास भी किया। इस कार्य में गोयल की पत्नी कांता और दोनों बेटी गोरी गोयल और मोनिका गोयल भी उनके इस काम मे सहयोग कर रही है।

सेवाधाम आश्रम का संचालन करने वाले सुधीर भाई गोयल बताते है कि उन्होंने निस्वार्थ भाव से इस आश्रम की शुरुआत की थी। आज उनका परिवार बढ़कर 850 लोगो का हो गया है। सुधीर भाई पिता के रूप में शासकीय रिकार्ड में अपना नाम दर्ज कराकर मानव सेवा के अनूठे काम में करीब 35 वर्ष से सेवा कर रहे हैं। अपना पूरा जीवन बेसहारा लोगों को समर्पित करने वाले सुधीर भाई गोयल का कहना है कि वे बच्चों के साथ रहकर सेवा करने के लिए भी कृत संकल्पित हैं। जिनके न तो पिता का पता है और ना ही मां का उन सभी का मैं पिता हूं और मुझे इस पर गर्व है। मेरे द्वारा 52 से अधिक बच्चियों का पिता के रूप में कन्यादान किया गया है। सुधीर भाई गोयल बताते है कि आश्रम में अधिकांश ऐसे लोग रह रहे हैं, जिनके परिवार ने उन्हें छोड़ दिया है। वजह है कि कोई दिव्यांग है तो किसी को उम्र की वजह से परिवार वाले साथ नहीं रखना चाहते।