- 8 KG सोना, 14 करोड़ कैश और 72 घंटे… नांदेड में IT का बड़ा एक्शन, मिली 170 करोड़ की बेहिसाब संपत्ति - May 15, 2024
- यूट्यूबर और BJP नेता मनीष कश्यप फर्जी वीडियो मामले में बरी, सबूत न मिलने की वजह से मिली राहत - May 15, 2024
- न घर न गाड़ी… 5 साल में 51 लाख रुपये बढ़ी पीएम मोदी की संपत्ति, कमाई का जरिया तो जान लीजिए - May 15, 2024
जांजगीर चांपा: बाबा भोलेनाथ का बुलावा आये तो सब कुछ सम्भव है. छत्तीसगढ़ के रहने वाले 4 दोस्तों के बीच आपस में बात हुई और वो पैदल ही बाबा भोलेनाथ के द्वार केदारनाथ धाम दर्शन करने निकल गए. छत्तीसगढ़ के रायगढ़ और बिलासपुर के रहने वाले 4 दोस्त इन दिनों पैदल ही 1400 किमी. केदारनाथ धाम (उत्तराखंड) के लिए निकले हैं. ये सभी दोस्त कल रात पेण्ड्रा पहुंचे जहां विश्राम के बाद ये सभी आज अपने आगे की यात्रा के लिए रवाना हो गए.
आपको बता दे की छत्तीसगढ़ के रहने वाले 4 दोस्त, जिसमें दो दोस्त रायगढ़ जिले के रहने वाले महेश दास मानिकपुरी, शिव कुमार चौहान और 2 दोस्त बिलासपुर के रहने वाले अनिल दास मानिकपुरी, भगतदास मानिकपुरी है.इन चारों दोस्तों ने कुछ दिन पहले अचानक सावन के महीने में उत्तराखंड के केदारनाथ धाम जाने की आपस में चर्चा की और मन बना लिया. फिर सभी ने एक साथ छत्तीसगढ़ से पैदल ही उत्तराखंड के केदारनाथ धाम जाने की ठान ली.
3 जुलाई से यात्रा के लिए निकले
रायगढ़ के रहने वाले शिव कुमार चौहान और महेश दास मानिकपुरी 3 जुलाई को रायगढ़ से निकले थे. जिसके बाद बिलासपुर में ये दोनों दोस्त 5 जुलाई को पहुंचे. यहाँ से इनके दो और साथी अनिल दास मानिकपुरी, भगतदास मानिकपुरी मिले और पदयात्रा करते हुए ये चारों दोस्त कल शाम पेण्ड्रा पहुंचे. पेण्ड्रा कुछ समाजसेवियों के द्वारा इनके रुकने और भोजन की व्यवस्था की गई. रात भर आराम करने के बाद सुबह फिर ये चारों दोस्त निकल गए. ये मध्यप्रदेश के अनूपपुर शहडोल होते हुए उत्तराखंड के केदारनाथ धाम के लिए निकल गए हैं.
30 से 35 किमी. की कर लेते है यात्रा
बिलासपुर के अनिल दास मानिकपुरी ने बताया की हम लोगों का 5 अगस्त तक केदारनाथ धाम पहुंचकर बाबा के दर्शन करने का टारगेट है. उसके बाद वहां से वापस दिल्ली और उसके बाद रेल से वापस छत्तीसगढ़ अपने-अपने घर पहुचेंगे. रायगढ़ के महेश दास मानिकपुरी ने बताया की रायगढ़ से केदारनाथ बाबा की दूरी 1402 किमी है. बिलासपुर से 1301 कि.मी. हम चारों एक दिन में 30 से 35 किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हैं और शाम 7 बजे अंधेरा होने के समय जहां जगह होता है उस हिसाब से रुकते है. वहीं रुककर आराम करते हैं. कही कहीं समाजसेवी मिल जाते है वह लोग रहने खाने की व्यवस्था कर देते हैं.