नई दिल्ली। आज की व्यस्त दुनिया में लोग सफलता के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं। हर कोई चाहता है कि उसकी मेहनत रंग लाए, मान सम्मान, धन और समृद्धि मिले, उसकी मनोकामना पूरी हो और जीवन में किसी चीज की कमी न हो। साथ ही, लोग चाहते हैं कि जीवन में कोई दुख न हो और हर कदम पर भाग्य का साथ मिले।
हम अक्सर अपने आस-पास ऐसे लोगों को देखते हैं जो जीवन भर कड़ी मेहनत करते हैं। इसके बावजूद उन्हें संघर्ष का सामना करना पड़ता है। छोटी-छोटी ख्वाहिशें भी पूरी नहीं कर पाते। इसके विपरीत कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो कम मेहनत के बावजूद अपने सपनों और इच्छाओं को आसानी से पूरा कर लेते हैं। ऐसा लगता है कि भगवान स्वयं उनके लिए हैं। दोनों ही स्थितियों में एक चीज है जो जीवन में सफलता या असफलता की ओर ले जाती है, वह है उनकी कुंडली में 9 ग्रहों की स्थिति का प्रभाव ।
हाँ! ज्योतिष के अनुसार किसी व्यक्ति को सफलता या दुख प्रदान करने में ग्रह प्रमुख भूमिका निभाते हैं। कुंडली के किस भाव में कौन सा ग्रह मौजूद है? यह ग्रह किस भाव या ग्रह पर दृष्टि कर रहा है? इस जानकारी का समावेश जातक को शुभ और अशुभ फल देने का कारण होता है। आइए जानते हैं-
कुंडली में नवम भाव भाग्य का होता है
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी 12 भाव जातक को विभिन्न फल देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेकिन कुंडली का नवम भाव व्यक्ति के भाग्य के बारे में बहुत कुछ बता सकता है, क्योंकि नवम भाव भाग्य का भाव होता है। तो, नौवें घर में मौजूद ग्रह और इस घर को देखने वाले ग्रह किसी व्यक्ति के भाग्य के समय और अवधि के बारे में बता सकते हैं। इस भाव पर कुछ ग्रहों का प्रभाव कुछ जातकों को कम उम्र से ही अनुकूल भाग्य देने का काम करता है, जबकि कुछ ग्रह 35 वर्ष की आयु के बाद कुछ जातकों के भाग्य में चमकते हैं।
नवम भाव में चमकेगा आपका भाग्य
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिस भाव में नवम भाव का स्वामी स्थित हो उसे देखने से ही जातक का भाग्य प्रभावित होता है। वहीं नवम भाव में स्थित ग्रह व्यक्ति के लिए धन, सुख और समृद्धि की अवधि की गणना के लिए जिम्मेदार होते हैं। यह स्पष्ट रूप से बता सकता है कि ‘किसी व्यक्ति की किस्मत कब चमकेगी’ । आइए बिना देर किए जानें कि कौन सी स्थितियां निश्चित रूप से आपकी किस्मत चमकाती हैं।
आपकी किस्मत कब चमकेगी?
ज्योतिषियों के अनुसार जब बृहस्पति नवम भाव यानि किसी कुंडली के भाग्य भाव में स्थित हो तो यह स्थिति जातक के भाग्य को मात्र 16 वर्ष की आयु में ही चमका देती है।
यदि किसी कुंडली में सभी ग्रहों का राजा सूर्य नवम भाव में स्थित हो तो ऐसे जातक का भाग्य 22 वर्ष की आयु में चमकता है।
जब चंद्रमा नवम भाव में होता है तो 24 वर्ष की आयु में भाग्य चमकाता है।
जन्म कुंडली के नवम भाव में शुक्र की उपस्थिति का अर्थ है कि 25 वर्ष की आयु में भाग्य चमकेगा।
नवम भाव में स्थित मंगल का अर्थ है कि 28 वर्ष की आयु में जातक के लिए सौभाग्य की संभावना बढ़ जाएगी।
नवम भाव में स्थित बुध 32 वर्ष की आयु में अनुकूल भाग्य का संकेत देता है।
यदि कर्म का कारक शनि नवम भाव में स्थित हो तो 36 वर्ष की आयु में भाग्य लाता है।
जबकि नवम भाव में छाया ग्रह राहु और/या केतु की उपस्थिति 42 वर्ष की आयु में व्यक्ति के लिए सौभाग्य की संभावना लेकर आती है।