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भोपाल: राजधानी में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। शहर के कंस्ट्रक्शन साइट, सड़क किनारे के स्टॉल, रेस्टोरेंट, गाड़ियों का धुआं, ग्रामीण इलाकों में जल रही पराली प्रदूषण के प्रमुख वजह बन रही हैं। आपको बता दें कि शहर की ऐसी हालत तब है, जब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने वायु प्रदूषण को रोकने के लिए निर्माण स्थलों पर नियमित अंतराल पर पानी छिड़कने का निर्देश दिया है।
इतना रहा AQI
पिछले 24 घंटों में, भोपाल का एएक्यूआई (पीएम 2.5) 5 अप्रैल की दोपहर 1 बजे लगभग 100 था और पीएम 10 दोपहर 1 बजे 216 तक पहुंच गया था। शुक्रवार को शाम 4 बजे PM10 AQI 97 था।
ये हैं कारण
कंस्ट्रक्शन वाले क्षेत्रों में सड़क की धूल और धूल के कण पीएम (2.5) और पीएम (10) में प्रमुख योगदानकर्ता हैं। पीएम10 में कंस्ट्रक्शन साइट, लैंडफिल और खेती से निकलने वाली धूल-आग, कचरा जलाने, औद्योगिक स्रोत, खुली भूमि से हवा में उड़ने वाली धूल, पराग और बैक्टीरिया के टुकड़े शामिल हैं। कंस्ट्रक्शन साइट से उठने वाली धूल वायु प्रदूषण को बढ़ाती है, लेकिन ऐसी अधिकांश साइटें बिना किसी कवर के चलती हैं, जिससे प्रदूषण चारों ओर फैल जाता है। पर्यावरणविद् डॉ. एससी पांडे ने कहा, ‘भोपाल में सड़क के किनारे भोजनालयों, पराली जलाने के अलावा उचित कवर और नियमित अंतराल पर पानी छिड़कने जैसे दिशानिर्देशों का पालन किए बिना निर्माण और डंपिंग (सी एंड डी) वेस्ट डंपिंग साइट भोपाल में हाई AQI का प्रमुख कारण है।’
याचिकाकर्ता क्या बोले?
एनजीटी याचिकाकर्ता नितिन सक्सेना ने कहा, ‘एनजीटी ने निर्माण स्थलों के साथ-साथ सीएंडडी कचरा डंपिंग स्थलों पर नियमित अंतराल पर पानी छिड़कने का निर्देश जारी किया था। लेकिन न तो बीएमसी और न ही एमपी प्रदूषण बोर्ड स्थिति की निगरानी कर रहा है। मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी ब्रिजेश शर्मा ने कहा, ‘हम स्थिति पर नजर रख रहे हैं। ऐसी साइट्स पर नियमित अंतराल पर पानी के छिड़काव का निर्देश दिया गया है।’