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नई दिल्ली। भारत में कोविड-19 के सब वैरिएंट केपी.2 से 290 और केपी.1 से 34 लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। ये दोनों सब वैरिएंट सिंगापुर में संक्रमण के मामले बढ़ने के लिए जिम्मेदार हैं। ये दोनों जेएन1 वैरिएंट के सब वैरिएंट हैं और इनका संबंध अस्पताल में भर्ती होने के मामलों और गंभीर रूप से बीमार होने से नहीं है। इसलिए चिंतित होने या घबराने का कोई कारण नहीं है।
सूत्रों ने बताया कि इंसाकाग मामले के प्रति संवेदनशील है और नए वैरिएंट सामने आने पर उसका मुकाबला कर सकता है। इंसाकाग के अनुसार, केपी.1 के कुल 34 मामले सात राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सामने आए, जिनमें से 23 मामले अकेले बंगाल में दर्ज किए गए।
इसके अलावा गोवा में एक, गुजरात में दो, हरियाणा में एक, महाराष्ट्र में चार, राजस्थान में दो और उत्तराखंड में एक मामला सामने आया है। केपी.2 सब वैरिएंट के 290 मामले आए हैं, जिनमें से सबसे अधिक 148 मामले अकेले महाराष्ट्र के हैं।
इसके अलावा दिल्ली में एक, गोवा में 12, गुजरात में 23, हरियाणा में तीन, कर्नाटक में चार, मध्य प्रदेश में एक, ओडिशा में 17, राजस्थान में 21, उत्तर प्रदेश में आठ, उत्तराखंड में 16 और बंगाल में 36 लोग इस सब वैरिएंट से संक्रमित हुए। सिंगापुर में हाल के दिनों में कोविड-19 की लहर देखने को मिली है और पांच से 11 मई के बीच केपी.1 और केपी.2 सब वैरिएंट से संक्रमण के 25,900 मामले सामने आए हैं।
आईएनएसएसीओजी (इंसाकॉग) क्या है?
भारतीय सार्स-कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (इंसाकॉग) 30 दिसंबर 2020 को भारत सरकार द्वारा स्थापित जीनोम सीक्वेंसिंग प्रयोगशालाओं (आरजीएसएल) का एक राष्ट्रीय बहु-एजेंसी कंसोर्टियम है। शुरुआत में इस कंसोर्टियम में 10 प्रयोगशालाएं शामिल थीं। बाद में इंसाकॉग के तहत प्रयोगशालाओं के दायरे का विस्तार किया गया और वर्तमान में इस कंसोर्टियम के तहत 28 प्रयोगशालाएं हैं, जो सार्स-कोव-2 में हुई जीनोमिक विविधताओं की निगरानी करती हैं।