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इस्लामाबाद: नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बने हैं। ये एक दुर्लभ मौका है, क्योंकि उनसे पहले सिर्फ पंडित जवाहर लाल नेहरू ही लगातार तीन बार प्रधानमंत्री रहे हैं। उनके तीसरे कार्यकाल पर पूरी दुनिया की नजर है। पाकिस्तान मोदी 3.0 को नए रिश्तों की शुरुआत की उम्मीद से देख रहा है। पाकिस्तान के डॉन अखबार ने अपने संपादकीय में कहा, ‘नरेंद्र मोदी एक बार फिर पीएम बने हैं, ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि भारत की बदली हुई आंतरिक राजनीतिक गणना में पाकिस्तान के संबंध में क्या कोई बदलाव होता है या नहीं?’ इसमें कहा गया कि बीजेपी के साथ रिश्ते पिछले दशक में बेहद खराब हो गए हैं। 2019 में बालाकोट और कश्मीर की सीमित स्वायत्ता को खत्म करने से शांति की कोई भी संभावना खत्म हो गई है।
लेख में बीजेपी और आरएसएस का जिक्र कह कहा गया कि इनका पाकिस्तान के प्रति प्रेम नहीं है। चुनावों में पाकिस्तान को निशाना बनाया गया। बीजेपी के बहुमत न आने पर पाकिस्तान की खुशी भी इस लेख में दिखा। इसमें कहा गया, ‘पाकिस्तान के खिलाफ बयानबाजी फेल हो गई, जो कि आम चुनाव के आंकड़े दिखा रहे हैं। मोदी को अब गठबंधन के सहयोगियों के मदद की जरूरत है जो जरूरी नहीं कि पाकिस्तान के प्रति घृणा का समर्थन करें। उदाहरण के लिए नीतीश कुमार पहले पाकिस्तान का दौरा कर चुके हैं और दोनों देशों के बीच एक पुल की बात कर चुके हैं। इससे सवाल उठता है कि क्या मोदी के तीखे तेवर पाकिस्तान की ओर बदल जाएंगे।’
पाकिस्तान के साथ रहेगी यथास्थिति
रिपोर्ट के मुताबिक कई राजनयिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि जहां तक पाकिस्तान-भारत संबंधों का सवाल है, यथास्थिति जारी रहेगी। न तो युद्ध होगा और न ही शांति। पाकिस्तान का विदेश कार्यालय दिखाने की कोशिश करता है कि संबंध भारत की ओर से खराब किए जा रहे हैं। जबकि पूरी दुनिया को पता है कि पाकिस्तान आतंक का इंपोर्टर है। डॉन ने कहा कि एक दशक की कटुता और अविश्वास के बाद सावधानी से चलना स्वाभाविक है। लेकिन गेंद अब भारत के पाले में है। डॉन ने अपनी रिपोर्ट में पीएम मोदी की ओर से दोस्तr का हाथ बढ़ाने की उम्मीद जताई है। ऐसा तब है जब पूर्व पीएम इमरान खान ने 2019 में भारत के साथ सभी व्यापारिक संबंधों को खत्म कर दिया था।
भारत पाकिस्तान के सुधरेंगे संबंध?
भारत में चुनाव से पहले पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन हुआ है। पाकिस्तान में चुनाव के दौरान लगातार भारत से संबंधों को सुधारने की बात होती रहती थी। एक्सपर्ट्स का कहना था कि पाकिस्तान भारत में चुनावों के परिणाम आने का इंतजार कर रहे हैं। पाकिस्तानी मीडिया को उम्मीद है कि अगले एससीओ शिखर सम्मेलन में दोनों प्रधानमंत्रियों की मुलाकात हो सकती है। बैकचैनल और ट्रैक-II कूटनीति को पुनर्जीवित किया जा सकता है। इस लेख में हर तरह से यह दिखाने की कोशिश हुई है कि भारत संबंध नहीं रखना चाहता है। इसमें इस बात का बिल्कुल भी जिक्र नहीं किया गया कि भारत हमेशा कहता रहा है कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं हो सकते।