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लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा उपाध्यक्ष पद को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। समाजवादी पार्टी के बागी विधायक को इस पद पर नियुक्त करने की चर्चाएं जोरों पर हैं। इससे पहले भी पिछले विधानसभा सत्र में सपा विधायक नितिन अग्रवाल को इस पद पर बैठाया गया था, जो सफल साबित हुआ था।
सपा के बागी विधायक को उपाध्यक्ष बनाने की तैयारी
समाजवादी पार्टी के एक बागी विधायक को विधानसभा उपाध्यक्ष बनाने की योजना बनाई जा रही है। यह पद परंपरागत रूप से विपक्ष के बड़े दल के पास रहता है, लेकिन इस बार सत्ताधारी पार्टी बीजेपी ने सपा के बागी विधायकों को इस पद पर नियुक्त करने की रणनीति बनाई है।
बागी विधायकों की सदस्यता खत्म करने के प्रयास
सपा, बीजेपी में शामिल होने, मंच साझा करने और चुनाव प्रचार करने वाले बागी विधायकों की सदस्यता खत्म करने के लिए प्रयासरत है। पार्टी द्वारा जुटाए जा रहे सबूतों के आधार पर विधानसभा अध्यक्ष से उनकी सदस्यता समाप्त करने का आग्रह किया जाएगा।
राज्यसभा में क्रॉस वोटिंग
राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले आठ सपा विधायकों में मनोज पांडे, विनोद चतुर्वेदी, राकेश पांडे, अभय सिंह, राकेश प्रताप सिंह, पूजा पाल और आशुतोष मौर्या शामिल हैं। हालांकि, गायत्री प्रसाद प्रजापति की पत्नी महाराजी देवी ने चुनाव में हिस्सा नहीं लिया था, और सपा ने उनके और पल्लवी पटेल के बारे में अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है।
विधानसभा अध्यक्ष का निर्णय
बागी विधायकों की सदस्यता समाप्त करने के लिए पत्र आने के बाद विधानसभा अध्यक्ष इस पर अंतिम निर्णय लेंगे। फिलहाल, बीजेपी में शरण लेने वाले बागियों को समायोजित करने की कोशिशें जारी हैं। विधानसभा उपाध्यक्ष पद को लेकर सपा और बीजेपी के बीच संघर्ष और तेज हो गया है। सपा अपने बागी विधायकों की सदस्यता खत्म करने के लिए प्रयासरत है, जबकि बीजेपी उन्हें समायोजित करने और विधानसभा उपाध्यक्ष पद पर बैठाने की कोशिश कर रही है। यह सियासी घटनाक्रम आने वाले दिनों में और रोचक हो सकता है।