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भागलपुर: बिहार के भागलपुर में गंगा नदी का जलस्तर बढ़ रहा है, फिर भी सुल्तानगंज से अगुवानी पुल घाट के बीच ओवरलोडेड नाव चल रही हैं। इससे यात्रियों की जान जोखिम में है। इस रास्ते पर पहले भी नाव हादसे हो चुके हैं, जिनमें कई लोगों की मौत हुई है। फिर भी नाव चालक सुरक्षा नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। इतना ही नहीं, निर्माणाधीन पुल का मलबा भी पानी में पड़ा है, जिससे खतरा और बढ़ गया है। बता दें कि सुल्तानगंज से अगुवानी पुल घाट तक रोज हजारों यात्री नाव से सफर करते हैं। नावों पर क्षमता से ज्यादा लोग सवार होते हैं, साथ ही बाइक, जानवर और सामान भी लाद दिया जाता है।
सुरक्षा के उपाय नहीं
एक नाव पर 30 यात्रियों के साथ सामान रखने की क्षमता होती है, लेकिन सैकड़ों लोगों को बिठाया जा रहा है। नाव संचालक प्रति व्यक्ति 30 से 50 रुपये और दोपहिया वाहन के 50 से 100 रुपये तक वसूलते हैं। हर दिन 50 हजार रुपये तक की कमाई के बावजूद सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। नावों में न तो लाइफ जैकेट हैं और न ही कोई अन्य सुरक्षा उपकरण। यह सब स्थानीय पुलिस की जानकारी में हो रहा है।
चल रहा पुल निर्माण कार्य
इस रास्ते पर पुल का निर्माण कार्य चल रहा है, लेकिन यह पुल दो बार गिर चुका है। इसका मलबा अभी भी गंगा में पड़ा है, जिससे पानी का बहाव प्रभावित हो रहा है और नावों के लिए खतरा बढ़ गया है। नाव का आधा हिस्सा पानी में डूब जाता है, जिससे हादसे की आशंका बनी रहती है। साल 2020 और 2022 में भी इसी जगह पर नाव हादसे हो चुके हैं।
कई बार हो चुके हैं नाव हादसा
2020 में 100 यात्रियों से भरी एक नाव निर्माणाधीन पुल के पिलर से टकरा गई थी। ज़्यादातर यात्रियों ने तैरकर अपनी जान बचाई, लेकिन कई लोग घायल हुए थे और कुछ लापता भी हो गए थे। 2022 में एक और नाव हादसे में आठ लोग नदी में गिर गए थे। सात लोगों को बचा लिया गया था, लेकिन एक महिला की मौत हो गई थी। इन हादसों से कोई सबक नहीं लिया गया है और नाव संचालक पहले की तरह लापरवाही बरत रहे हैं। सुल्तानगंज थाना प्रभारी से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने गोलमोल जवाब दिया। उन्होंने कहा कि पुलिस निगरानी कर रही है।
नाव से सफर करना मजबूरी
आशीष नामक यात्री ने बताया कि आने-जाने में बहुत डर लगता है। लेकिन साधन नहीं है, मजबूरी में जाना पड़ता है। नाव पर बैठने की जगह नहीं होती। ऊपर से तेड धूप की वजह से बहुत परेशानी होती है। हजारों की संख्या में रोज लोग आते-जाते हैं। ओवरलोडिंग की वजह से हमेशा डर बना रहता है, लेकिन मजबूरी है, इसलिए सफर करना पड़ता है।