अमित शाह के बाद आज पीएम मोदी से मिलेंगे अमरिंदर सिंह, जानें क्या हैं सियासी मायने

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नई दिल्ली: पंजाब में जारी सियासी उठापटक के बीच मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह आज (11 अगस्त) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीसे मुलाकात कर सकते हैं. बता दें कि इससे पहले अमरिंदर सिंह ने मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाहऔर सोनिया गांधी से मुलाकात की थी. इसके बाद राजनीतिक गलियारों में कई तरह की अटकलें और अनुमान लगाए जा रहे हैं.

अंदाजा लगाया जा रहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान कैप्टन अमरिंदर सिंह किसानों के प्रदर्शन पर चर्चा कर सकते हैं. अमरिंदर सिंह सामाजिक, आर्थिक और सुरक्षा प्रभावों का हवाला देते हुए पीएम मोदी से नए कृषि कानूनों को रद्द किए जाने की बात कह सकते हैं.

अमरिंदर सिंह ने इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकातकी थी और किसानों के विरोध को हल करने के लिए हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था. पंजाब के मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार ने जानाकारी देते हुए बताया था कि अमरिंदर सिंह ने अमित शाह से किसानों के गुस्से का फायदा विरोधी ताकतों को उठाने से रोकने के लिए कहा था.

अमरिंदर सिंह की पहले अमित शाह और अब पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात के सियासी मायने भी निकाले जाने लगे है. कैप्टन और नवजोत सिंह सिद्धूके बीच चल रही नाराजगी के बीच इस मुलाकात को लेकर राजनीतिक गलियारों में कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं.

बता दें कि हाल ही में नवजोत सिंह सिद्धूको पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था, हालांकि इसके बावजूद वह अपनी ही सरकार पर लगातार हमलावर हो रहे हैं. यह बात कैप्टन अमरिंदर सिंह को नहीं आ रही है. इसको लेकर उन्होंने मंगलवार को कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मुलाकात की थी.

नवजोत सिंह सिद्धू ने सोमवार (9 अगस्त) को एक बार फिर अपनी ही सरकार पर हमला बोला और राज्य में फैले नशे के मुद्दे को उठाया. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘फरवरी 2018 में, एडीजीपी हरप्रीत सिद्धू की अध्यक्षता में एसटीएफ ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में ‘स्टेटस रिपोर्ट’ दायर की, जिसमें ईडी द्वारा दर्ज किए गए बयानों और सबूतों की जांच की गई. बिक्रमजीत सिंह मजीठिया और नशीले पदार्थों की तस्करी में अन्य के शामिल के मामले में रखे गए थे.’

अगले ट्वीट में सिद्धू ने कहा, ‘हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार को एसटीएफ रिपोर्ट पर कानून के अनुसार आगे बढ़ने के लिए कहा था. 23 मई 2018 को सरकार ने कोर्ट ओपिनियन-कम-स्टेटस रिपोर्ट के समक्ष दायर किया, जो अभी भी सीलबंद लिफाफे में कैद है. ढाई साल की देरी के बाद पंजाब के लोगों को और कितना इंतजार करना चाहिए?