Amarnath Yatra 2024: एक 14 KM, दूसरा 48 KM; बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए 2 रूट, जानें कौन सा रास्ता आसान और कौन सा मुश्किल

Amarnath Yatra 2024: One is 14 KM, the other is 48 KM; 2 routes for Baba Barfani Darshan, know which route is easy and which is difficult
Amarnath Yatra 2024: One is 14 KM, the other is 48 KM; 2 routes for Baba Barfani Darshan, know which route is easy and which is difficult
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Amarnath Yatra 2024 Route: बाबा बर्फानी का दरबार सज चुका है. 2024 की वार्षिक अमरनाथ यात्रा का शुभ आरंभ हो चुका हैं. अमरनाथ यात्रा को लेकर सुरक्षा के सख्त इंतजाम किए गए हैं और यात्रा मार्ग पर अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है. अमरनाथ यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों का जत्था बालटाल बेस कैंप और पहलगाम आधार शिविर से रवाना हो चुका है. श्रद्धालु आज शाम बाबा बर्फानी के दर्शन करेंगे, लेकिन इसके लिए वो लंबा ट्रैक कर गुफा में पहुंचेंगे. 13,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए दो रूट हैं. पहला रूट पहलगाम से शुरू होता है, जो करीब 48 किलोमीटर का है और दूसरा रूट बालटाल से शुरू होता है, जो करीब 14 किलोमीटर का है. चलिए आपको बताते हैं कि इन दोनों रूट में इतना अंतर क्यों हैं और कौन सा रूट आसान है, जबकि कौन सा रूट मुश्किल है.

एक रूट से 3 दिन और दूसरे से एक दिन में दर्शन

तीर्थयात्रियों को बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए 2 रूट से ट्रैक कर गुफा तक पहुंचना होता है. पहलगाम रूट करीब 48 किलोमीटर का है, जिससे जाने पर दर्शन में करीब 3 दिन का समय लगता है, जबकि दूसरा बालटाल रूट करीब 14 किलोमीटर का है और इससे जाने पर एक दिन में दर्शन कर सकते हैं. हालांकि दोनों रूट पर जाने वाले लोगों के लिए अलग-अलग चैलेंज होते हैं. इस बार अमरनाथ यात्रा के दोनों मार्गों पर रियल टाइम निगरानी के लिए डिजिटल हाईटेक कमांड कंट्रोल सेंटर की स्थापना की गई है. पूरे रूट पर 17 से ज्यादा हाईटेक कैमरे लगाए गए हैं.

पहलगाम रूट: 48 KM का ट्रैक, 3 दिन में दर्शन

बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए पहलगाम रूट से जाने पर गुफा तक पहुंचने में 48 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है और 3 दिन का समय लगता है. हालांकि, ये रास्ता आसान है और इस रूट पर खड़ी चढ़ाई नहीं है. पहलगाम से यात्रा की शुरुआत के बाद पहला पड़ाव चंदनवाड़ी है, जो बेस कैंप से करीब 16 किलोमीटर दूर है. इसके बाद यहां से चढ़ाई शुरू होती है और करीब 3 किलोमीटर की चढ़ाई के बाद श्रद्धालु पिस्सू टॉप पर पहुंचते हैं. इसके बाद यात्रा करीब 9 किलोमीटर का सफर तय कर शेषनाग पहुंचती है. अगले दिन श्रद्धालु शेषनाग से करीब 14 किलोमीटर की यात्रा कर पंचतरणी पहुंचते हैं. इसके बाद पंचतरणी से अमरनाथ गुफा 6 किलोमीटर रह जाती है और तीसरे दिन श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन करते हैं.

बालटाल रूट: 14 KM का ट्रैक, 1 दिन में दर्शन

बाबा बर्फनी के दर्शन के लिए बालटाल रूट से समय कम लगता है और इस रूट से जाने वाले श्रद्धालु 1 से 2 दिन में दर्शन कर लेते हैं. जिन लोगों के पास कम समय हो, उनके लिए यह रूट सबसे बढ़िया है, लेकिन इसके अलग चैलेंज हैं. इस रूट पर 14 किलोमीटर का ट्रैक करना पड़ता है और पूरी यात्रा के दौरान सीधी यानी खड़ी चढ़ाई चढ़नी होती है. इसके साथ ही इस रूट पर रास्ते संकरे और मोड़ खतरे भरे हैं. इसलिए, इस रूट से बुजुर्गों को जाने से मना किया जाता है. यह मार्ग उन लोगों को लेने की सलाह दी जाती है जो युवा, स्वस्थ हैं और धार्मिक यात्रा के बीच कुछ रोमांच की तलाश में हैं. इस रूट पर लोगों को केवल पैदल चलने की अनुमति है. टट्टू से जाने की अनुमति नहीं है.

पहला जत्था पहलगाम और बालटाल से रवाना

अमरनाथ यात्रा आज (29 जून) से शुरू हो गई है. तीर्थयात्रियों का पहला जत्था पवित्र गुफा की ओर बढ़ना शुरू कर दिया है. इसमें कुल 4 हजार 604 श्रद्धालु हैं. पहलगाम में नूनवान बेस कैम्प पर भोलेनाथ की पहली आरती की गई. यह पूजा पारंपरिक रूप से हर साल यात्रा शुरू होने से पहले की जाती है और भोलेनाथ से वरदान मांगा जाता है कि यात्रा सुखमय और सुरक्षित रहे. अमरनाथ यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए जम्मू से लेकर कश्मीर घाटी तक पूरे यात्रा रूट पर सुरक्षा कवच बनाया गया है. राष्ट्रीय राजमार्ग पर जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ साथ अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है. अमरनाथ यात्रा में निगरानी के लिए हाईटेक आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है.