बिहार में गजब का डॉक्टर : महिला के गर्भाशय में उठा दर्द तो दोनों किडनी को काट कूड़े में फेंका

Amazing doctor in Bihar: Pain arose in the woman's uterus, then both kidneys were cut off and thrown in the garbage considering it as a tumor.
Amazing doctor in Bihar: Pain arose in the woman's uterus, then both kidneys were cut off and thrown in the garbage considering it as a tumor.
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किसी जिंदा इंसान की किडनी को गाजर मूली की तरह काटकर क्या कूड़े में फेंका जा सकता है? क्या दोनों किडनी को कोई डॉक्टर ट्यूमर समझकर नासमझी में काट सकता है? ये बातें सोचकर ही मन कांप उठेगा. लेकिन ये सच है. 3 बच्चों की मां को गर्भाशय में दिक्कत थी. अब वो महिला एक डॉक्टर को पास गर्भाशय के ऑपरेशन के लिए पहुंची. उस डॉक्टर ने गर्भाशय को तो निकाला ही साथ में खुद से नसीहत दे डाली कि यहां पर ट्यूमर भी हो गया है. अगर ट्यूमर नहीं निकाला गया तो बाद में और दिक्कत होगी. अब महिला और उसके पति दोनों मजदूरी करने वाले लोग. इन्हें लगा कि डॉक्टर तो हमसे ज्यादा पढ़े लिखे और समझदार हैं. कह दिया कि आप जैसा ठीक समझें. बस फिर क्या था उस डॉक्टर ने दोनों किडनी को ही ट्यूमर समझकर झट से काट दिया. इसके बाद महिला के परिवार को दिखाकर उसे फेंक भी दिया. अब इस ऑपरेशन के बाद जब महिला घर पहुंची तो असहनीय दर्द होने लगा. उसे दूसरे अस्पताल में भर्ती कराया गया तो पता चला कि दोनों किडनी ही गायब है.

इस पूरे मामले में पहले लगा कि किडनी को काटकर अलग करने वाला डॉक्टर कोई किडनी रैकेट चलाता है. तुरंत पुलिस को सूचना दी गई. पुलिस ने आरोपी डॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ के बाद उसे जेल भेज दिया गया. इस दौरान पता चला कि ये तो झोलाछाप डॉक्टर है और 7वीं कक्षा तक ही पढ़ाई की है.उसे ये भी नहीं पता कि देखने में किडनी कैसी होती है. अब फिलहाल महिला को किसी तरह डायलिसिस के जरिए जिंदा रखा जा रहा है लेकिन उसके जिंदा रहने की उम्मीद कम बची है. वहीं, पुलिस का कहना है कि अब महिला को किडनी वापस दिलाना तो मुश्किल है लेकिन मुआवजा दिलाने के लिए प्रशासन को लेटर भेजा गया है. आखिर क्या है पूरा मामला आइए जानते हैं..

एसकेसीएमएच के बिस्तर पर अपने तीन छोटे-छोटे बच्चों के साथ बैठी सुनीता देवी को अब किसी फरिश्ते का इंतजार है. वो फरिश्ता जो उसे ढूंढता हुआ इस अस्पताल में आए और उसे अपनी एक किडनी देने की पेशकश करे.. और ना सिर्फ़ पेशकश करे बल्कि एक डोनर के तौर पर उसकी किडनी सुनिता से मैच कर जाए. असल में सुनीता के जिंदा रहने की अब बस यही एक शर्त है… वरना अफसोसनाक हकीकत तो यही है कि सुनीता हर रोज रफ्ता-रफ्ता मौत की तरफ बढ़ रही है. आने वाले वक्त का कौन सा दिन, कौन सी तारीख और कौन सा लम्हा उसकी जिंदगी की आखिरी घड़ी साबित हो, ये कोई नहीं जानता.

असल में सुनीता की ये हालत इसलिए है, क्योंकि उसके शरीर में कोई किडनी है ही नहीं. अब आप पूछेंगे कि भला ऐसा कैसे हो सकता है? किडनी तो आम तौर पर इंसान के जिस्म में दो होते हैं… जिनकी किडनी किसी बीमारी या दूसरी वजह से खराब भी हो जाती है, वो भी एक किडनी के सहारे अपनी बाकी की जिंदगी गुजार लेता है… लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है कि किसी के जिस्म में एक भी किडनी ना हो… सवाल ये भी है कि अगर सुनीता के जिस्म में एक भी किडनी नहीं है, तो वो अब तक कैसे जिंदा रही? कैसे उसकी शादी हुई? कैसे वो तीन-तीन बच्चों की मां बनी? तो सुनीता की जिंदगी की इस कहानी को जानने के लिए आपको अब से कोई चार महीने पीछे जाना होगा.

अब कोई डॉक्टर किसी मरीज को कुछ कहे और मरीज उस पर यकीन ना करे, ऐसा कैसे हो सकता है? तो सुनीता और उसके घरवालों ने भी डॉ पवन कुमार की बात मानते हुए यूटरस के ऑपरेशन की हामी भर दी। लेकिन यहीं इस झोलाछाप डॉक्टर ने सुनीता के साथ कथित तौर पर खेल कर दिया। ऑपरेशन के बहाने उसकी एक नहीं बल्कि दोनों किडनियां निकाल लीं। जी हां, वो किडनियां… जिनके बगैर इंसान का जिंदा रहना नामुमकिन है। यानी अब से पहले तक सुनीता के पास किसी भी दूसरे आम इंसान की तरह दो किडनियां थीं और उसे किडनी में कोई तकलीफ भी नहीं थी। लेकिन इसके बावजूद रातों-रात उसके जिस्म से हुई किडनियों की चोरी ने उसे पूरी उम्र के लिए एक मरीज बना कर छोड़ दिया।

अब जब किडनी निकाल लिए जाने के बाद सुनीता की तबीयत ठीक होने की जगह और बिगड़ गई, तब मरीज के साथ-साथ उसके घरवाले भी परेशान हो गए। फिर जब घरवाले दोबारा उसी नर्सिंग होम में पहुंचे तो डॉक्टर पवन ने सुनीता को एक एंबुलेंस दिला कर उसे इलाज के लिए पटना भिजवा दिया। लेकिन जब पटना में उसकी दोबारा जांच हुई, तो इस मामले में खुलासा हुआ कि उसकी दोनों ही किडनियां निकाल ली गई हैं। यानी अल्ट्रा साउंड में सुनीता के जिस्म में कोई किडनी दिखाई ही नहीं दी।

आनन-फानन में सुनीता के घरवालों ने पुलिस में शिकायत की और डॉक्टर के खिलाफ रिपोर्ट लिखवाई, लेकिन तब तक ये शातिर डॉक्टर अपनी क्लिनिक बंद कर फरार हो चुका था। हालांकि पुलिस ने उसे बाद में गिरफ्तार कर लिया और जेल भी भेज दिया। लेकिन इधर सुनीता की जिंदगी जीते जी उस पर बोझ बन चुकी थी। अब बगैर किडनी के लिए उसके लिए दिन तो क्या एक-एक लम्हा निकालना मुश्किल हो रहा था। ऐसे में घरवालों ने उसे मुजफ्फरपुर के सरकारी अस्पताल यानी श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल में भर्ती करवाया और तब से लेकर अब तक लगातार सुनीता ना सिर्फ़ बिस्तर पर पड़ी है, बल्कि हर दूसरे दिन उसकी अस्पताल में डायलिसिस होती है। क्योंकि बगैर डायलिसिस के उसके लिए दो दिनों से ज्यादा जिंदा रहना भी शायद मुमकिन नहीं।

लेकिन वो कहते हैं ना कि कोई मुसीबत अकेली नहीं आती, बल्कि अपने साथ-साथ कई और मुसीबतें साथ लाती हैं। जिंदगी के इतने नाजुक मोड पर अब सुनीता का पति अकलू राम भी कुछ दिनों के लिए उसका साथ छोड़ गया था। सुनीता और अकलू की शादी कोई कई साल हो चुके हैं। उन्हें तीन बच्चे हैं। मां के बीमार रहने और लगातार अस्पताल में भर्ती होने की वजह से अब उन बच्चों की परवरिश पर भी असर पड़ रहा है। ऊपर से अकलू ने भी मानों अक्ल से दुश्मनी कर ली थी।

अस्पताल में पड़ी-पड़ी सुनीता कभी अपनी बच्चों की तरफ देख कर उनकी हालत पर रो पड़ती है और कभी अपनी किस्मत पर सुबकने लगती है। हालांकि कुछ दिनों के बाद अकलू फिर से वापस लौट आया। उधर, सुनीता की बुजुर्ग मां ही दिन रात अपने बेटी की तीमारदारी में जुटी है। वो बताती है कि कुछ समय पहले तक अकलू खुद ही सुनीता को अपनी किडनी देने के लिए तैयार था, लेकिन दोनों की किडनी मैच नहीं होने के चलते ऐसे नहीं हो पाया।

ये मामला कितना नाजुक है इसे इसी बात से समझा जा सकता है कि अब मानवाधिकार आयोग ने सुनीता की हालत और उसके साथ हुए धोखे पर जिला प्रशासन और अस्पताल प्रबंधन को नोटिस जारी किया है। शहर के सीनियर वकील डॉ एसके झा ने इस सिलसिले में मानवाधिकार आयोग को एक शिकायत दी थी, जिसके बाद मानवाधिकार आयोग ने सुनीता की हालत पर प्रशासन से डिटेल रिपोर्ट देने की बात कही है। फिलहाल, पुलिस ने दोनों किडनियों की चोरी के इस अजीब और सनसनीखेज मामले के मुख्य आरोपी डॉ पवन को गिरफ्तार कर जेल तो भेज दिया है, लेकिन इस मामले की तफ्तीश में कुछ ऐसी चौंकानेवाली बातें सामने आई हैं, जिन पर यकीन करना भी मुश्किल है।

इस बारे में पुलिस का कहना है कि गिरफ्तार आरोपी डॉ पवन कुमार एक झोलाछाप है. उसने बताया है कि उसने किडनी किसी को आगे बेचने के लिए नहीं, बल्कि धोखे से ही निकाल कर फेंक दी। असल में मरीज को पेट में दर्द की शिकायत थी, तो उसे लगा कि उसे अल्सर हो गया है। उसने मरीज से कहा कि अगर वो किसी दूसरी जगह पर इलाज के लिए जाएगी, तो उसके लाखों रुपये खर्च होंगे और यहां वो सस्ते में काम कर देगा। मरीज और उसके घरवाले इस बात के लिए तैयार हो गए और तब डॉक्टर पवन और उसके साथियों ने किडनी को अल्सर समझ कर शरीर से काट कर अलग कर दिया और कूडे में फेंक दिया।