APP सरकार की बढ़ी मुश्किलें, इधर CBI कर रही सीएम केजरीवाल से पूछताछ उधर LG ने…

APP government's problems increased, on one hand CBI is questioning CM Kejriwal on the other hand LG...
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नई दिल्ली: दिल्ली की आप सरकार की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। आबकारी नीति मामले में अब सीबीआई ने केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया है। जिसके बाद कोर्ट ने सीएम केजरीवाल को तीन दिन के लिए सीबीआई की रिमांड में भेज दिया गया है। इस दौरान सीबीआई कई चरणों में उनसे पूछताछ करेगी। सीबीआई की गिरफ्तारी के बीच आज दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने आप सरकार बड़ा झटका दे दिया है। दरअसल एलजी वीके सक्सेना दिल्ली डायलॉग एंड डेवलेपमेंट कमीशन (DDCD) को अस्थाई रूप से भंग कर दिया है। इसके साथ ही गैर-आधिकारिक सदस्यों को हटाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

दिल्ली एलजी ने DDCD पर उठाए सवाल
एलजी विनय सक्सेना की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि मौजूदा सरकार ने डीडीसीडी का गठन सिर्फ फाइनेंशियल बेनिफिट्स बढ़ाने और पक्षपातपूर्ण झुकाव वाले कुछ पसंदीदा राजनीतिक व्यक्तियों को संरक्षण देना था। इसके साथ ही उनकी तरफ से डीडीसीडी की पारदर्शी प्रक्रिया पर भी सवाल खड़ा किया गया। एलजी विनय सक्सेना ने कहा कि इसके लिए कोई स्क्रीनिंग मानदंड नहीं अपनाए गए। इसमें सरकारी खजाने से वेतन का भुगतान किया गया। इस मामले में नियमों की अवहेलना की गई और भाई-भतीजावाद को बढ़ावा दिया गया। एलजी ने योजना विभाग के रिकॉर्ड का भी जिक्र करते हुए कहा है कि डीडीसीडी के सदस्यों के बीच किसी तरह के कार्य का आवंटन नहीं किया गया है।

DDCD का क्या था काम?
दिल्ली डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमीशन आप सरकार के लिए योजनाओं को बनाने में अहम भूमिका निभाता था। ऐसे में अब इस डीडीसीडी के अस्थाई रूप से भंग होने से आप सरकार काफी प्रभावित होगी। बता दें कि DDCD योजनाओं दिल्ली सरकार को योजनाओं को लागू करने में भी सलाह देती थी। जैसे योजना को कैसे लागू किया जाए और ये योजनाएं किस तरह से काम करेंगी। इसलिए इसे केजरीवाल सरकार का थिंक टैक कहा जाता था। बता दें कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने डीडीसीडी की शुरुआत आठ साल पहले थी। उस वक्त इसके चेयरमैन जैस्मिन शाह थे। अब दिल्ली के उपराज्यपाल के यह कहते हुए इसे भंग कर दिया कि DDCD के सदस्यों को कोई भी कार्य आवंटन नहीं है।

एलजी के फैसले को HC में चुनौती देगी आप
दिल्ली के उपराज्यपाल के के इस फैसले के खिलाफ आप हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी। इसके साथ ही आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने एलजी के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह सर्वविदित है कि केंद्र सरकार या भाजपा शासित राज्य सरकारों के सभी आयोगों, समितियों, बोर्ड में बिना किसी परीक्षण, साक्षात्कार के राजनीतिक नियुक्तियां होती हैं। यह एक पुरानी प्रथा है। महिला आयोग, एससी/एसटी आयोग सभी जीवंत उदाहरण हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि विडंबना यह है कि एलजी के रूप में विनय सक्सेना की नियुक्ति बिना किसी विज्ञापन, परीक्षण या साक्षात्कार के एक राजनीतिक नियुक्ति है। अगर एलजी के पद के लिए अखबारों में विज्ञापन दिया गया तो एलजी साहब को इस देश के लोगों को जागरूक करना चाहिए। संभवत: उन्होंने एलजी बनने के लिए लिखित परीक्षा दी थी।

आप ने LG के फैसले को बताया अवैध
एक बयान में आप सरकार ने कहा कि डीडीसीडी को भंग करने और इसके तीन गैर-आधिकारिक सदस्यों की सेवा समाप्त करने का उपराज्यपाल का फैसला अवैध, असंवैधानिक और उनके कार्यालय के अधिकार क्षेत्र का खुला उल्लंघन है।बयान में कहा गया है कि डीडीसीडी मुख्यमंत्री के अधीन आता है और केवल उनके पास ही इसके सदस्यों पर कार्रवाई करने का अधिकार है। बयान में आरोप लगाया गया है कि डीडीसीडी को भंग करने का उपराज्यपाल का एकमात्र उद्देश्य दिल्ली सरकार के सभी कामों को रोकना है।बयान में कहा गया कि हम उपराज्यपाल के इस अवैध आदेश को अदालतों में चुनौती देंगे। डीडीसीडी का गठन 29 अप्रैल 2016 के राजपत्रित अधिसूचना के जरिए किया गया था जिसे दिल्ली के तत्कालीन उपराज्यपाल ने मंजूरी दी थी। अधिसूचना की धारा तीन और आठ को पढ़े तो पता चलता है कि डीडीसीडी के गैर-आधिकारिक सदस्यों की नियुक्ति पूरी तरह से मुख्यमंत्री के फैसले से होती है और केवल उनके पास ही किसी भी सदस्य को उनके कार्यकाल पूरा होने से पहले हटाने का अधिकार है।