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Apple चीन में अपने प्रोडक्शन को सीमित कर रहा है। ऐपल चीन से आईफोन की मैन्युफैक्चरिंग भारत और वियतनाम जैसे देश में शिफ्ट कर रहा है। साथ ही भारत की तरफ से लैपटॉप आयात बैन करके ऐपल पर दबाव डाला जा रहा है, वो चीन से मैकबुक, कंप्यूटर पार्ट और टैबलेट की असेंबलिंग लाइन को भारत शिफ्ट करें। शायद चीन को भारत की इस तरह की रणनीति से कारोबारी नुकसान की संभावना है। यही वजह है कि चीन ने ऐपल के प्रोडक्ट का बहिष्कार शुरू करके ऐपल कंपनी पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। चीनी की सत्ताधारी कम्यूनिस्ट पार्टी की तरफ से सरकारी अधिकारियों को आईफोन न इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है। वैसे कुछ एक्सपर्ट चीन के आईफोन बैन के फैसले को यूएस और चीन के बीच जारी टकराव से जोड़कर देख रहे हैं।
चीन ने आईफोन किया बैन
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट की मानें, तो चीन ने अपने एजेंसी और उनके स्टॉफ से आईफोन को अपने साथ ऑफिस नहीं लाने का निर्देश दिया है। हालांकि इस बारे में अपने अधिकारियों को कोई लिखित आदेश नहीं जारी किया गया है। बता दें कि चीन ने विदेशी खासतौर पर अमेरिकी प्रोडक्ट के ना इस्तेमाल की बात कही है। हालांकि बाकी आम पब्लिक के आईफोन इस्तेमाल पर बैन नहीं लगाया गया है। रिपोर्ट की मानें, तो चीन अमेरिकी प्रोडक्ट को शक की नजर से देख रहा है।
चीन ऐपल के लिए बड़ा मार्केट
चीन में आईफोन बैन Apple के लिए चुनौती बन सकता है, क्योंकि ऐपल के लिए चीन सबसे बड़े मार्केट में से एक है। ऐपल की पिछले वर्ष की कुल कमाई में चीन की हिस्सेदारी करीब 20 फीसद थी। पिछली तिमाही में चीन में आईफोन की कुल सेल अमेरिका से ज्यादा थी। चीन के आईफोन बैन के फैसले के बाद ऐपल के शेयर में 2.9 फीसद तक की गिरावट दर्ज की गई थी। इससे ऐपल कंपनी को मात्र दो दिन करीब 200 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था।
चीन ले रहा अमेरिकी से बदला
बैंक ऑफ अमेरिका के विश्लेषकों की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन की टेक कंपनी हुआवेई के नए हाई-एंड स्मार्टफोन मेट 60 प्रो के लॉन्च को लॉन्च किया था, जिसकी अमेरिकी सरकार ने जांच शुरू कर दी है, जिसे हाल ही में लॉन्च किया गया था।
चीन की बढ़ी टेंशन
बता दें कि अमेरिकी ने चीन में बनने वाली सेमीकंडक्टर के आयात पर बैन लगा दिया है, जिससे चीन को कारोबारी लिहाज से काफी नुकसान हो रहा है। साथ ही 5G टेक्नोलॉजी और अन्य उपकरण बैन कर दिए गए हैं।