बिहार: केंद्र ने मांग लिया सूद तो चुकाना पड़ा 1 करोड़, कॉलेजों की विकास राशि नहीं हो सकी खर्च

Bihar: Center asked for interest, had to pay 1 crore, development funds of colleges could not be spent
Bihar: Center asked for interest, had to pay 1 crore, development funds of colleges could not be spent
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पटना: बिहार के सरकारी कॉलेजों में स्थायी प्राचार्य न होने के कारण अब कॉलेजों के विकास योजनाओं पर इसका सीधा असर पड़ रहा है. इधर केंद्र सरकार ने बची राशि पर सात फीसदी की दर से ब्याज मांग लिया है. मजबूर हो कर बिहार उच्चतर शिक्षा परिषद ने ब्याज के बतौर केंद्र को एक करोड़ से अधिक राशि का भुगतान कर दिया है. बिहार के सरकारी कॉलेजों में स्थायी प्राचार्य न होने का खामियाजा कॉलेजों के वित्तीय प्रबंधन पर दिखने लगा है. इसका सीधा असर कॉलेजों के विकास योजनाओं पर पड़ा है. स्थिति यह है कि रूसा (राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा परिषद) के जरिये कॉलेजों के विकास के लिए मिली 52 करोड़ की राशि खर्च नहीं हो सकी है. इससे उन कॉलेजों का विकास सीधे तौर पर प्रभावित हुआ.

सूद के रूप में एक करोड़ चुकाया
अब इस मामले में एक नया मोड़ आया है. केंद्र ने बची राशि पर सात फीसदी की दर से ब्याज मांग लिया है. मजबूर हो कर बिहार उच्चतर शिक्षा परिषद ने ब्याज के तौर पर केंद्र को एक करोड़ से अधिक राशि का भुगतान कर दिया है. इस राशि के भुगतान के बाद 52 करोड़ की राशि एक बार फिर कॉलेजों को आवंटित कर दी गयी है.

फिर से मिली राशि को लेकर संशय
जानकारों के मुताबिक फिर इस राशि का उपयोग हो पायेगा या नहीं, इसमें संदेह है. इधर वित्तीय प्रबंधन की तकनीकी कमियों को रोकने के लिए राज्य सरकार ने टेक्निकल सपोर्ट ग्रुप का गठन किया है. इस ग्रुप के एक्सपर्ट फंड ट्रांसफर मैकेनिज्म पर काम करेंगे. जानकारी के मुताबिक रूसा वन और टू में उच्च शिक्षण संस्थानों के हर तरह के इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए वर्ष 2015-20 तक साढ़े तीन सौ करोड़ रुपये से अधिक की राशि मिली थी. जानकारी के मुताबिक कॉलेजों के भौतिक विकास के लिए केंद्र से राशि रूसा के जरिये मिलती है.

बोले उपाध्यक्ष..
परिषद के एक्सपर्ट्स ने वित्तीय प्रबंधन की दिशा में महत्वपूर्ण काम किया है. केद्र की मांग के मुताबिक राशि लौटा दी गयी है. इसके बाद मुझे उम्मीद है कि रूसा थ्री की जल्दी ही शुरुआत होगी. प्राचार्यों की नियुक्ति की दिशा में तेजी लाने की जरूरत है. ताकि कॉलेजों के विकास के लिए मिली राशि का ससमय उपयोग किया जा सके.