इन पांच राज्यों में भाजपा बदलने जा रही प्रदेश अध्यक्ष, जानें- कैसी मजबूरी या फिर क्यों जरूरी?

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नई दिल्ली। BJP to Replace State Party Chiefs : केंद्र की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) गुजरात, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल राज्यों में नए प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति करने जा रही है क्योंकि इन राज्यों के मौजूदा प्रदेश अध्यक्षों को कल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने नए मंत्रिमंडल में जगह दी है। इनके अलावा तमिलनाडु और राजस्थान के भाजपा प्रदेश अध्यक्षों के बदलने की संभावना प्रबल हो गई है क्योंकि हालिया लोकसभा चुनावों में पार्टी ने उम्मीदों के मुताबिक प्रदर्शन नहीं किया है।

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का भी नए सिरे से चुनाव होना है क्योंकि मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा बन चुके हैं और उनका कार्यकाल भी 30 जून को समाप्त हो रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि अब भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद ही इन राज्यों के प्रदेशाध्यक्षों की भी नियुक्ति होगी। पार्टी से जुड़े एक नेता ने इसकी पुष्टि की है लेकिन यह नहीं बताया कि नड्डा की जगह कब तक नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति होगी। नड्डा को कल ही मंत्रिमंडल में जगह दी गई थी और आज (सोमवार को) उन्हें स्वास्थ्य और रसायन एवं उर्वरक मंत्री बनाया गया है।

गुजरात के भाजपा अध्यक्ष और चार बार के सांसद सी आर पाटिल को भी राज्य में पार्टी के लगातार अच्छे प्रदर्शन की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी है। वैसे गुजरात भाजपा अध्यक्ष के रूप में उनका कार्यकाल कुछ महीने पहले ही समाप्त हो चुका है। उन्हें लोकसभा चुनावों तक इस पद पर बने रहने को कहा गया था। अब जब वह केंद्र सरकार में शामिल हो गए हैं तो उनकी जगह नए प्रदेश अध्यक्ष का नियुक्ति होनी तय है।

मामले से परिचित गुजरात भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि एक महीने के भीतर प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति कर दी जाएगी। इस बीच, पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि किसी ओबीसी नेता को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया जा सकता है, क्योंकि भाजपा ने ओबीसी के बीच अपना समर्थन खो दिया है। माना जा रहा है कि भाजपा को यह झटका कांग्रेस पार्टी की जेनीबेन ठाकोर की वजह से लगा है, जो अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के प्रभावशाली ठाकोर समुदाय से आती हैं और अपनी भाजपा प्रतिद्वंद्वी रेखाबेन चौधरी के खिलाफ लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज कर सकी हैं।

गुजरात के राजनीतिक हलकों में जिन ओबीसी नेताओं का नाम प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में चल रहा है उनमें ओबीसी नेता जगदीश विश्वकर्मा और भूपेंद्र पटेल की सरकार में स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री और तीन बार के विधायक पूर्णेश मोदी शामिल हैं। इनके अलावा खेड़ा से मौजूदा सांसद देवुसिंह चौहान, जो पिछली नरेंद्र मोदी सरकार में संचार राज्य मंत्री थे, लेकिन उन्हें इस बार कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया है, उन्हें भी गुजरात भाजपा अध्यक्ष पद के लिए विचार किया जा सकता है।

उधर, तेलंगाना के प्रदेश अध्यक्ष किशन रेड्डी को फिर से केंद्रीय परिषद में शामिल किया गया है। अब उनकी जगह दूसरे ओबीसी चेहरे की तलाश हो रही है। माना जा रहा है कि सांसद ईटाला राजेंद्र को तेलंगाना भाजपा का नया अध्यक्ष बनाया जा सकता है, जो करीब पांच साल पहले पार्टी में शामिल हुए थे। उनका राज्य में काफी प्रभाव है। पश्चिम बंगाल के भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार को भी केंद्रीय मंत्रिपरिषद में जगह दी गई है। इसलिए उनकी जगह भी अब नए चेहरे की तलाश हो रही है।

हालांकि, राजस्थान में भाजपा संगठन में बड़े पैमाने पर बदलाव की योजना बना रही है क्योंकि भाजपा 25 लोकसभा सीटों में से केवल 14 पर जीत हासिल कर सी है। इससे पहले 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने राजस्थान में सभी 25 सीटों पर क्लीन स्वीप किया था। पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी,जो एक सांसद भी हैं,को बदलने की संभावना बढ़ गई है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के अनुसार, नए राज्य प्रमुख के लिए जिन नामों पर विचार किया जा रहा है, उनमें राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत, कुलदीप धनखड़, पार्टी के जाट चेहरा मदन राठौर और पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौर शामिल हैं।

तमिलनाडु में भी भाजपा ने उम्मीदों के मुताबिक प्रदर्शन नहीं किया है। माना जा रहा है कि राज्य में पूर्व भाजपा प्रमुख तमिलिसाई सुंदरराजन और मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई के करीबी नेताओं के बीच अंदरूनी कलह पार्टी के खराब प्रदर्शन की एक वजह रही है। इसलिए पार्टी अब नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश कर रही है। राज्य के भाजपा नेताओं का एक समूह अन्नामलाई को बर्खास्त करने की भी मांग कर रहा है, उन पर AIADMK के साथ गठजोड़ तोड़ने का आरोप लगा रहा है, जिसकी वजह से पार्टी को राज्य में लोकसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है।